तोते की सीख

एक बार की बात है एक राजा जंगल में शिकार करने गया और वह शिकार करने के दौरान उसे कोई भी जानवर नहीं नजर नहीं आ रहा था तो उसने सोचा थोड़ी देर आराम कर लेता हूं उसके बाद फिर दोबारा से शिकार ढूंढ लूंगा।  राजा जैसे ही उस पेड़ के नीचे सोया था तब तक उसे पास में एक तोते की आवाज सुनाई दी एक व्यक्ति से कह रहा था कि उस पेड़ के नीचे राजा सोया हुआ है और वह गहरी नींद में है उसके सारे जेवर छीन लो।

जिस व्यक्ति से कह रहा था वह व्यक्ति वास्तव में एक चोर था तोते को लगा कि राजा नींद में है लेकिन राजा सोया नहीं हुआ था। राजा को यह महसूस हुआ कि वह तो अकेला है  क्या पता चोर उस पर हमला कर दें और फिर वह कुछ नहीं कर सकता है तो वह जल्दी से उठा और अपने घोड़े पर बैठकर चला गया।

राजा जैसे ही रास्ते में जा रहा था उसे बहुत जोर से प्यास लगी और उसे सामने एक साधु की कुटिया दिखाई दिया तो राजा ने अपने घोड़े से उतरकर कुटिया में जैसे ही प्रवेश करने को सोचा दरवाजे पर एक तोता पिंजरे में बंद था और तोता ने राजा से कहा स्वागत है श्रीमान आपका आपका, महर्षि के आश्रम में स्वागत है हमें बहुत ही खुशी हुई कि आप हमारे यहां पधारे वहां सामने ठंडे पानी का घड़ा है गिलास में पानी निकाल कर आप पी सकते हैं अभी थोड़ी देर बाद ही महर्षि आएंगे तो फिर आपकी मुलाकात उनसे हो जाएगी।



राजा इस तोते को इतना मीठा बोलते हुए बहुत ही दंग हो गया वह मन ही मन सोच रहा था कि यह तोता कितना अच्छा बोलता है कितना लोगों की आदर करता है और एक वह तोता  था जो दूसरे को लूटने की बातें करता था।

आखिर में राजा ने तोते से कहीं दिया।  एक जंगल में तोता मिला था वह मुझे लूटने की बातें करता था और एक तुम हो जो आदर सत्कार और सेवा भाव की बातें करते हो।  महर्षि के आश्रम का तोता ने बोला कि राजन जंगल में जो तोता मिला था वह मेरा ही भाई है लेकिन वह पेड़ पर ही रहता है और वहां पेड़ के नीचे चोर आकार  अपना डेरा जमाते हैं उनकी बातें सुन सुन कर वह लूटने और मारने की बातें करता है जबकि मैं यहां आश्रम में रहता हूंआरती के साथ रहकर सेवा भाव की बातें सीख गया हूं।

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