तोता मैंना का प्यार — डा. मधु आंधीवाल

चढ़ती उमरिया के तो सपने ही रंग से रंगे होते हैं जिन पर किसी की सलाह का कोईअसर नहीं होता । बस सब हीर रांझा हो जाते हैं । यही हाल था अनन्या और प्रतुल का । हुआ ये कि अनन्या  की बढ़ी बहन मीता की शादी  निमेष से हो रही

थी । शादी की सब रस्में चल रही थी । बारात आगयी बरात आगयी का शोर मचने लगा । एक उल्लासित वातावरण के साथ साथ कुंवारो के मन में भी शहनाई बजने लगती हैं । खास कर दूल्हे का कुंवारा भाई और दुल्हन की कुंवारी बहन तो अपने आप को कुछ जायदा ही खास समझते हैं । निमेष का चचेरा भाई प्रतुल सगे से भी अधिक था क्योंकि निमेष का कोई सगा भाई नहीं था । दोनों भाई के साथ अच्छे दोस्त भी थे । जय माला का समय था । दोनों तरफ से चुहलबाजी हो रही थी ।

प्रतुल कुछ अधिक ही अनन्या में रूचि ले रहा था । सब रस्में हो गयी अब अनन्या बहुत सुस्त होगयी क्योंकि मीता और अनन्या में आपस में बहुत प्यार था । मां बाप की आंखें थी दोनों अनन्या के साथ मां भी बहुत बार रो चुकी थी । जब मीता मंडप के नीचे सब से गले मिल कर रो रही थी और अनन्या से मिली तब दोनों एक दूसरे को छोड़ ही नहीं रहीं थी । प्रतुल ने हंस कर कहा चलो तुमको भी विदा करा लेते हैं । वातावरण खुशनुमा हो गया अनन्या ने मुंह बनाकर कहा इतनी हिम्मत है तुम में ।



बारात बिदा होगयी पर प्रतुल के दिल में अनन्या ने जगह बना ली । वह अपने मम्मी पापा के सामने बोला पापा भैया भाभी से अनन्या के लिये बात करिये । प्रतुल ने हिम्मत करके अनन्या को फोन किया बोला अनन्या मुझे तुमसे बात करनी है। अनन्या तुनक के बोली क्या बात करनी है। प्रतुल ने कहा तुमने मेरी बात को मजाक समझा किया सच में मै तुम्हें विदा करवा कर अपने घर लाना चाहता हूँ । तुमने अगर मना किया तो अपनी जान दे

दूंगा  । दोनों घर वाले सहमत थे और प्रतुल और अनन्या बंध गये शादी के बंधन में । अब दोनों के बच्चे बड़े होगये कभी कभी जब अनन्या गुस्से में बोलती है पता ना कौनसी घड़ी थी जो मैने तुमसे शादी की तब प्रतुल कहता अरे मुझे तो तुम्हारे रोने पर प्यार आगया था इसलिए शादी की तब सारा गुस्सा भूल कर अनन्या कहती मैं तो तुम्हारे जान देने की धमकी से डर गयी थी  और दोनों हंस पड़ते । ये था तोता मैना का पल दो पल का प्यार ।

स्व रचित

डा. मधु आंधीवाल

अलीगढ़

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