दोहरे चेहरे – श्रीमती सविता शर्मा
सुलोचना घर की बड़ी थी दो बहु घर में आई ।लेकिन दोनों के-साथ अलग-अलग व्यवहार निधि के साथ प्रेम भरा व्यवहार अदिति के साथ रूखा व्यवहार। जबकि अदिति शांत और समझदार लेकिन फिर भी उसके साथ होता बुरा व्यवहार। एक बार घर में आए मेहमान सभी के सामने सुलोचना दोनों के साथ अच्छा बर्ताव किया और कहां दोनों ने मिलकर काम किया अदिति से सहन नहीं हुआ और कहती है मम्मी जी आपका असली चेहरा कौन सा है? सभी चौंक जाते हैं अदिति सासू जी का असली चेहरा सामने ले आती है सभी देखकर दंग रह जाते।
श्रीमती सविता शर्मा
मुंबई
दोहरे_चेहरे – नीलम शर्मा
अरे दीदी आइये ना। भाभी ने बहुत अच्छी तरह रक्षा की मेहमाननवाजी की। जाते-जाते रक्षा के मना करते-करते शगुन का लिफाफा भी दिया। रक्षा को लगा भाभी उसके आने से बहुत खुश हैं। रक्षा थोड़ी दूर ही चली थी कि उसे याद आया, उसका फोन तो घर पर ही छूट गया। अंदर जाते-जाते रक्षा ने भाभी की आवाज सुनी, अरे मम्मी आज फिर रक्षा आ गई थी। मेरा तो बात करने का भी मन नहीं करता। इतना खर्चा हो जाता है वह अलग। भाभी के दोहरे चेहरे को देखकर रक्षा की आंखों में आंसू आ गए।
नीलम शर्मा
#दोहरे_चेहरे – मीरा सजवान ‘मानवी’
“नंदिनी आई लव यू” कहते हुए अभिनंदन ने नंदिनी को सैलानियों से भरे पार्क में ही बाहों में भर लिया।
“छोड़ो ना अभिनंदन ,सब देख रहे हैं।” अदिति के गाल शर्म से लाल हो गए और उसने जोर लगाकर खुद को अभिनंदन की बाहों से छुड़ाना चाहा लेकिन अभिनंदन की मजबूत बाहों में वह कसमासाती ही रह गई।
वह फिर से बोला ” ,तुम इतनी खूबसूरत हो और मेरी पत्नी हो ये तो मेरा अधिकार है नंदिनी।” यह कह वह हंसने लगा।
और आज वही अभिनंदन नंदिनी की ओर नज़र उठाकर भी नहीं देखना चाहता। जैसे बेटी को जन्म देकर
उसने कोई गुनाह किया हो।उसे तो बस बेटा ही चाहिए था ।
उसको दोहरा चेहरा देख नंदिनी हैरान थी।
मीरा सजवान ‘मानवी’
स्वरचित मौलिक
#दोहरे चेहरे – गीता यादवेन्दु
“हमें रूढ़ियों का विरोध कर समानता की सोच को बढ़ावा देना चाहिए । आज लड़का-लड़की बराबर हैं और लड़कियाँ, लड़कों से किसी मायने में कम नहीं हैं ।” गोष्ठी में श्रोताओं को अपनी प्रगतिशील सोच से प्रभावित कर लेती थीं डॉ.शालिनी ।
“अरे रमा तेरी बहू के बच्चा होने वाला था….क्या हुआ ?” घर आ कर अपनी मेड रमा से पूछा उन्होंने ।
“लड़की हुई है मैमसाहब ।” रमा ने कहा ।
“अरे फ़िर से लड़की हो गई …! मुझे बता देती तो मैं पता करवा देती कि लड़का है या लड़की ।” डॉ.शालिनी की बेटी अपनी माँ के दोहरे चेहरे को देखती रह गई
।
गीता यादवेन्दु
दोहरे चेहरे – सिम्मी नाथ
पूनम की आज पहली रसोई थी , उसकी सासु मां पढ़ी लिखी सुशिक्षित स्त्री थीं। उन्होंने अपनी बड़ी बहु जया से कहा कि कई रिश्तेदार आने वाले हैं, सभी दोपहर तक आ जाएंगे ,पूनम को रसोई में मदद कर देना ।
उसने हां मांजी कहते हुए राघव की तरफ देखा ,जाने आंखों में क्या बात हुई ।
पूनम ने पूछा , भाभी इतना आटा ठीक है , कचौरियों के लिए ,पूनम ने हां कह दिया । वो नमक अजवायन डालते हुए बोली अब तुम्हें तकलीफ़ नहीं होगी।
पूनम खीर और हलवा के साथ सब्जी और कचौरी भी बनाई , एक तो काम की आदत नहीं ऊपर से सारी चीजें नई ,वो परेशान हो गई । दो बजते ही सारे मेहमान आ पहुंचे । जया ने अम्मा से जाकर कहा,अम्मा पूनम को तो कलछी भी पकड़ना नहीं आता , मेरी तो कम करके जन निकल गई , तभी पूनम जो फ्रेस होने अपने कमरे में जा रही थी, उसने सुन लिया , वो सोचले पर मजबूर हो गई ,अरे भाभी तो दोहरे चेहरे लगाए बैठी है,मुझे छोटी बहन मन रही थी,और मम्मी से ऐसे पेश आ रही ,जैसे मैं बेवकूफ हूं, अच्छा है ,आज ही इनके मुख से बनावटी मुखौटे उतर गए, मैं अब सावधान रहूंगी।
सिम्मी नाथ, स्वरचित
दोहरे चेहरे – लतिका पल्लवी
काम से जल्दी लौटने के बाद बेटे को जो दृश्य दिखा उसे वह स्वीकार न पाया। बेटे ने माँ से कहा “मम्मी आप यह क्या करवा रही है? आपको पता नहीं है कि आरती को डॉक्टर ने भारी समान उठाने को मना किया है और आप उससे कपड़े की बाल्टी उठाकर छत पर भेज रही है।” अपनी गर्भवती पत्नी को भारी समान उठाते देख उसे बहुत दुख हुआ। उसने आगे कहा “आज मेरे सर मे दर्द हो रहा था इसलिए मैं जल्दी घर आ गया और मुझे यह सब देखने को मिल रहा है। आज जल्दी नहीं आता तो मैं आपके दोहरे चेहरे को कभी देख ही नहीं पाता। आरती कभी-कभी कहती थी कि मम्मी आपके और पापाजी के सामने तो मुझसे बहुत ही प्यार से बात करती है और कोई काम नहीं करने देती है परन्तु आप लोगो के ऑफ़िस जाते ही घर के सारे काम करवाती है और आराम नहीं करने देती। उसने बताया कि जब वह कहती है कि डॉक्टर ने मना किया है तो आप कहती है कि यह आजकल के डॉक्टरो के चोचले है, काम करोगी तो बच्चा नार्मल होगा नहीं तो ऑपरेशन करवाना पड़ेगा। उसके यह सब कहने पर भी मैं नहीं मानता था पर आज मैंने स्वयं अपनी आँखों से देख लिया है। अब आपका यह दोहरा चेहरा मेरे सामने आ गया है। आखिरकार, आप भी तो एक माँ हैं, तो फिर किसी महिला के माँ बनने के सफर में ऐसी परेशानी क्यों उत्पन्न कर रही हैं? मैं अपनी पत्नी और बच्चे की भलाई के लिए आज ही आरती को उसके मायके पहुँचा आऊँगा और वह तब तक यहाँ नहीं आएगी जब तक हमारा बच्चा इस दुनिया में नहीं आ जाता।” इस घटना ने माँ को अत्यधिक शर्मिंदगी का सामना कराया।
लतिका पल्लवी
दोहरे चेहरा – के कामेश्वरी
साँवले रंग की नंदिनी की शादी तय होते ही उसके ससुराल वालों का आना जाना शुरू हो गया था । वे उसकी तारीफ़ करते थकते ही नहीं थे । ननंदें कहतीं वाह भाभी आप कितनी सुंदर हैं सास और उसकी बहनें कहतीं बिटिया रानी तुम्हें काम करने की ज़रूरत नहीं है महारानी बन घर में नौकरों पर हुकूमत करना । नंदिनी को अपनी क़िस्मत पर नाज़ था शादी के बाद बिचारी नंदिनी को उनके ससुराल वालों के असली चेहरे का पता चला । वे सबके सामने उसकी तारीफ़ करते थे और पीठ पीछे उसे सताते थे । यह वह किसी से कह भी नहीं सकती थी।
के कामेश्वरी
दोहरे चेहरे – खुशी
नीता और शोभा दोनों पड़ोसने थी।शोभा वैसे तो बड़ा दिखाती की उसे नीता और उसके परिवार की बड़ी चिंता है और जैसे ही नीता वहां ना होती शोभा सब के सामने उसकी बुराई शुरू कर देती।एक बार शोभा के घर से गणपति यात्रा निकलनी थी सब लोग गणपति के दर्शन के लिए उसके यहां इकठ्ठा हुए थे ।वही पर वो शुरू हो गई अरे देखो मेरे पति कमेटी के अध्यक्ष हैं और पिछले महीने नंदा जी की इतनी तबियत खराब हुई नीता और उसका परिवार खुद ही उसकी और उसके बच्चो, पति की सेवा करता रहा हमे तो बताया ही नहीं हमारे अध्यक्ष होने का क्या फायदा हमे तो बताना चाहिए था।तभी नीता की बेटी रिया वहां आई बोली आंटी मेरी मां ने तो निस्वार्थ भाव से सेवा की पर आप तो बड़प्पन चाह रही थी।ये दिखावा रहने दे जो अपना होता है वो पीठ पीछे बुराई नहीं करता। ये दोहरे चेहरे दिखाना बंद कर दीजिए मैने हमेशा आपको मेरी मां के खिलाफ जहर उगलते ही देखा है।आज शोभा का चेहरा शर्म से झुक गया।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी
दोहरे चेहरे( लघुकथा) – रश्मि वैभव गर्ग
पार्क में अचानक मोना से मुलाक़ात हो गई । कुशलता पूछने के बाद मैंने मोना से कहा , मोना बहू कब ला रही हो.. अब तो तुमने बेटे को बिज़नेस भी करवा दिया , जल्द ही मिठाई खिलाओ
।हाँ दीदी ज़रूर.. उसके लिए कोई अच्छा रिश्ता हो तो बताना । हमें तो और कुछ नहीं चाहिए , बस घरेलू लड़की जो परिवार के साथ रह सके ।
मैंने कहा, हाँ बताऊँगी… लेकिन मैं सोच रही थी ,शादी के एक साल बाद ही अलग रहने वाली मोना , परिवार के साथ रहनेवाली लड़की ढूँढ रही है?
रश्मि वैभव गर्ग
कोटा
*जन प्रतिनिधि* – बालेश्वर गुप्ता
15 अगस्त को विद्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हुए स्थानीय सांसद ने संबोधित करते हुए कहा कि मैं चाहता हूं यह विद्यालय पूरे प्रदेश के लिये आदर्श विद्यालय बने और इसके लिये मैं हर सहायता करने को सदैव तत्पर रहूंगा।बच्चो सहित हम सब में हर्ष की लहर दौड़ गयी।
कुछ समय हम विद्यालय में एक कक्ष सांसद निधि से बनवाने के लिये उनके पास गये।उन्होंने बस इतना कहा जरूर जरूर।आप बस इतना करो अपने एस्टीमेट में 20 प्रतिशत अधिक जोड़ लो और वह राशि कैश में हमे भिजवा देना।आपको जरूरत के मुताबिक कक्ष का निर्माण भी हो जायेगा और हमारा भी खर्चा पानी निकल आयेगा।
उनकी बात सुन हतप्रभ हो हम सांसद महोदय का चेहरा देखते रह गये।
बालेश्वर गुप्ता,नोयडा
अप्रकाशित, मौलिक