Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

अब कोई माफ़ी नहीं – विभा गुप्ता

        ” यार माफ़ भी कर दो..अब ऐसा कभी नहीं होगा।तुम्हारी कस..।” 

     ” मत खाओ मेरी झूठी कसम!” विनीता लगभग चीखते हुए अपने पति विनय से बोली। 

          एक कांफ्रेंस में विनीता की मुलाकात विनय से हुई थी।कुछ महीनों बाद दोनों ने शादी कर ली।विवाह के दो महीने तक तो सब ठीक रहा लेकिन फिर विनय घर देर से आने लगा।जब भी उसे कहीं जाना होता तो विनय बहाने बनाकर माफ़ी माँग लेता।यहाँ तक कि अपनी बेटी के पैदा होने पर भी वह हाॅस्पीटल देर से पहुँचा और साॅरी बोल दिया।कुछ दिनों से विनय के एक्स्ट्रा अफ़ेयर की बातें भी उसके कानों में पड़ी थी और कल तो उसने एक रेस्तरां में विनय को किसी युवती की बाँहों में बाँहें डाले देख भी लिया था।आज उसने विनय के सामने तलाक का पेपर रख दिया तो वह फिर से माफ़ी माँगने लगा तब वह कड़े शब्दों में बोली,” अब कोई माफ़ी नहीं..,चुपचाप साइन कर दो वरना तुम्हारे काले कारनामों का पुलिंदा खोलने में मुझे ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं होगी।” कहकर उसने विनय को पेन थमा दिया।

                                      विभा गुप्ता

# माफ़ी                        स्वरचित, बैंगलुरु 

माफ़ी – शनाया अहम 

मैं तुम्हें माफ़ी दे दूंगी लेकिन मेरी एक शर्त है , तुम मुझे मेरा वो वक़्त लौटा दो , मेरे वो सपने लौटा दो , मेरे वो अरमान लौटा दो और लौटा दो वो नींदे जो रात रात भर मैंने क़ुर्बान की हैं तुम्हारी राह देखते देखते।  

मुझे कोई ऐतराज़ नहीं तुम्हें माफ़ी देने में लेकिन बस मेरी शादीशुदा ज़िंदगी के वो 5 साल लौटा दो , जब तुमने मुझे कभी पत्नी समझा ही नहीं और अपने ही ऑफिस की लड़की के लिए तुमने मुझसे रिश्ता तोड़ दिया।  

तुम्हारे लिए मैंने हर तरह से ख़ुद को ढालने की कोशिश की , तुम्हारे अफेयर का पता होते हुए भी मैंने तुमसे निभाने की कोशिश की लेकिन एक दिन तुमने उस लड़की के कहने में आकर मुझे मेरे ही घर से हाथ पकड़ कर निकाल दिया , मुझे बेघर कर दिया। 

और आज आये हो तुम माफ़ी मांगने जब वो लड़की तुम्हें छोड़कर अब तुम से ज़्यादा पैसे वाले के पास चली गई।  

दे देती हूँ माफ़ी तुम्हें, पर लौटा दो ये सब मुझे और ले लो माफ़ी और नहीं अगर लौटा सकते तो आज दरवाज़ा तुम्हारे लिए खुला है लेकिन बाहर जाने के लिए , अंदर आने के लिए नहीं।

 शनाया अहम 

गुस्सा – भगवती सक्सेना गौड़

ये क्या बनाया है, बिल्कुल फीका खाना लग रहा है, खाना बनाना भूल गयी हो क्या।

 “सुधीर अपनी 65 वर्ष की बीबी सुधा पर चिल्ला रहे थे। अचानक उनकी नींद खुल गयी, और देखा अरे सुधा ने तो घर छोड़कर फ़ोटो में आशियाना बना लिया है। आंखे धुंधली होकर उनको अतीत में ले गयी । बहुत गुस्सेल था मैं, हमेशा चिल्लाता रहता। इसी खामोशी से पता नही कैसे, दिल के दौरे से चुपचाप मेरी जिंदगी से निकल गयी। अब महसूस होता है, काश, एक बार सामने आए, मैं माफी मांग लूं।

स्वरचित

भगवती सक्सेना गौड़

बेंगलुरु

माफी – संध्या त्रिपाठी

        रिक्शा में बैठते ही , कहीं मैं गिर ना जाऊं.. मेरा फ्रॉक पकड़ना और मेरी झल्लाहट.. छोड़ ना माँ अब मैं बड़ी हो गई हूं , फिर भी धीरे से पकड़ना ताकि मुझे पता ना चले, बाल सुलझाते वक्त मेरा चिल्लाना ,धीरे कर ना माँ ..फिर भी तेरा छोटे-छोटे हरे चने को छील छील कर मुझे खिलाना… मुझे दोषी महसूस कराते हैं माँ …मुझे माफ कर देना …आज तेरी नातिन के ऐसे ही व्यवहार से मुझे दुख पहुंचा है पर उसके पास अभी माफी मांगने का समय है..पर मेरे पास तो अब वो भी नहीं… तू जो नहीं है माँ…फिर भी मुझे माफ करना माँ…!

    ( स्वरचित )

     संध्या त्रिपाठी , छत्तीसगढ़

*जैसी करनी वैसी भरनी* – बालेश्वर गुप्ता

        घर के आंगन में पड़े पिता के शव को देख छोटा बेटा सुनील रोते रोते बड़े भाई अनिल से गुहार कर रहा था,भैय्या आप चाहे ये पूरा घर ले लो,पर पिता के अंतिम संस्कार में सहयोग कर दो,मेरी सामर्थ्य इतनी नही है।अनिल बोले  सुनील देखो पिता तुम्हारे भी थे,तुम्हे तो उन्होंने ये घर तक दिया,फिर भी मैं आधा ही खर्च देने को तैयार हूँ।अनिल के कड़े रुख को देख सुनील चुप रह गया।किसी प्रकार अंतिम संस्कार हो गया।असली खर्च तेहरवीं पर होना था,सब रिश्तेदार एकत्रित होने थे।सुनील ने चुप चाप घर को गिरवी रख सब व्यवस्था कर ली।

       अरसे बाद अनिल अपने घर मे असहाय रूप में लकवाग्रस्त पड़ा था।बेटे की खुसुर पुसर सुनी थी कि पापा अब कौनसे अधिक जीने वाले हैं, वैसे ही इतना खर्च तो हो गया।

      कौर से बहते आंसुओ के साथ ऊपर की ओर हाथ उठा अनिल कह रहा था,भगवान मुझे क्षमा कर देना।इसके साथ ही अनिल की गर्दन एक ओर लुढक गयी।

बालेश्वर गुप्ता,नोयडा

मौलिक एवं अप्रकाशित।

माफ़ी – तृप्ति देव 

रिश्तो में गलतफहमियां होती है और माफी मांगने से आदमी छोटा नहीं होता, बल्कि उसकी महानता और समझदारी का परिचय मिलता है। माफी मांगना कमजोरी नहीं, बल्कि साहस और परिपक्वता का संकेत है। “सास और बहू” के बीच अक्सर “मतभेद “और “गलतफहमियां “होती हैं, जिन्हें माफी मांगकर सुलझाया जा सकता है। परिवार में प्यार और शांति बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने अहंकार को छोड़कर, अपनी गलतियों को स्वीकार करें और माफी मांगे। यह न केवल रिश्तों को मजबूत बनाता है बल्कि बच्चों को भी सही संस्कार देता है। अंततः, माफी मांगने से इंसान की गरिमा बढ़ती है।

तृप्ति देव 

भिलाई छत्तीसगढ़

माफी – स्वाती जितेश राठी

माँ  दोनों चाची हमेशा आपस में लड़ती क्यों रहती है? नन्हीं मोली  की बात सुन दादी ने कहा- 

बेटा उनके स्वभाव अलग होने से उनकी आपस में नहीं बनती ।

पर दादी स्वभाव तो मेरा आपका ,मेरे दोस्तों और भाई बहनों का भी तो अलग है ।

हम  भी आपस में लड़ते है पर फिर थोड़ी देर बाद सब भूल कर एक दूसरे से माफी मांग  कर एक हो जाते है।

पर चाचियाँ तो कई दिनों तक आपस  में बात भी नहीं करती।

हाँ बेटा  क्योंकि बच्चों का मन निश्छल  होता है लेकिन बड़े होने पर वो निश्छलता कहीं खो जाती है और  माफी मांगना या माफ करना  सम्मान  का प्रश्न  बनाकर रिश्ते ताक पर रख दिए जाते है।

स्वाती जितेश राठी

माफी – के कामेश्वरी

सविता दो दिन से घर में मुँह फुलाकर बैठी हुई थी । किसी से भी बातचीत नहीं कर रही थी और ना ही किसी की बातों का जवाब दे रही थी । रमेश को बार बार माँ से माफी माँग कर बात करने के लिए उकसाते हुए देख बेटे से रामदेव जी ने कहा रहने दे घर में इसी तरह से थोड़ी शांति बनी रहेगी वर्ना इसने तो बहू का जीना हराम कर दिया है । तुम्हें नहीं मालूम है उसने मौन धारण क्यों किया है । मैं सब इसकी हरकतों को देख रहा हूँ । दो दिन पहले बहू अपनी छोटी बच्ची को सुला रही थी और तुम्हारी माँ ने बहू से चाय की फ़रमाइश की थी । वह बच्ची को सुलाकर चाय लाई तो कहने लगी कि मुझसे माफ़ी माँग । बहू ने पूछा कि किस बात पर ? तो कहने लगी कि मेरे लिए देर से चाय लाई है ना इसलिए । बहू के माफी ना माँगने पर मौन व्रत धारण किए हुए है तू भी चुप रह अपने आप ठीक हो जाएगी । जब पति बेटे और बहू की तरफ़ से कोई बात नहीं बनी तो वह धीरे-धीरे सबसे बात करने लगी । सबने देखा कि उस दिन के बाद से सविता में कुछ परिवर्तन आया है । पति ने सोचा कि चलो देरी से ही सही सविता में परिवर्तन तो आया है ।

के कामेश्वरी

 माफी – मनीषा सिंह

दादाजी—-! दादाजी—-! दादी मां , मुंह फुला के बालकनी में बैठी है।

8 साल की पीहू  ओलंपिक के मैच का मजा लेते हुए रमेश जी से  बोली।

 उतेरीकी—! ” मैं तो भूल ही गया था कि तेरी दादी मां मुंह फुला के बैठी होगी।

 सर को खुजलाते हुए रमेश जी  बोल पड़े।

जाता हूं –!जब तक “माफी” नहीं मांगूंगा तब तक पगली बाहर ही बैठी रहेगी।

पर दादाजी मां ने खाना लगा दिया है पहले खा लीजिए पीहू ने डाइनिंग टेबल पर लगे खाना की तरफ इशारा किया ।

ना– !ना –! पहले दादी मां को मनाऊंगा फिर इकट्ठे दोनों बैठकर खाना खाएंगे !

ये  लड़ाई फिर रूठना-मनाना इसी कारण से तो हमारी शादी के 45 साल इतनी हसीन और जवा  है!

 कहते हुए रमेश जी बालकनी की ओर चल पड़े।

मनीषा सिंह

सिगरेट – मंजू ओमर

आज रोहिणी को बेटे रोहित के कमरे की सफाई करते वक्त कुछ सिगरेट के टुकड़े मिले तो वो सहम गई क्या रोहित,,,,,,,।रंगे हाथों पकडने के लिए जब रोहित कमरे में था तो चाय देने के बहाने से रोहिणी कमरे में गई तो रोहित सिगरेट पी रहा था ।ये क्या रोहित तुम सिगरेट पी रहे हो अच्छी बात नहीं है बेटा फेंको इसे ।

             क्या है मां जब देखो तब रोका टोकी करती रहती है ये मत करो वो मत करो  ये दोस्त तुम्हारा ठीक नहीं लगता , क्या है ये सब मैं बड़ा हो गया हूं मुझे पता है क्या करना है क्या नहीं ‌‌‌ आप ज्यादा  नसीहत न दें । रोहिणी अपना सा मुंह लेकर वापस आ गई ।

        थोड़ी देर में रोहित मां के पास आया वो सारी मां गलती हो गई आपसे ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी मुझे वो दोस्तों के संग थोड़ा हो गया था ।अब नहीं करूंगा माफ कर दीजिए । ठीक है बेटा समय रहते संभल जाओ तो बहुत अच्छी बात है ।

           मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश 

8अगस्त 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!