सोनिया का ससुराल मे दूसरा दिन था, सब कुछ अच्छा होने पर भी उसे माँ बहुत याद आ रही थी |उस पर सोने पर सुहागा, ये हुआ की उसका मोबाइल मायके मे ही छूट गया, अब हाथ मे तो रख नहीं सकती थी, विदाई के टाइम रोते हुए हाथ मे सेलफोन, छी कितनी बेकार पिक आएगी, बस यही सोच कर अपने कमरे मे रखा, और भूल आयी थी |
अगर पास मे फ़ोन होता तो माँ को सारी रिपोर्ट दे कर, मन मे उठती बेचैनी को शांत कर लेती |
वैसे तो पति लोकेश के सेलफोन से वो माँ से तीन चार बार बात कर चुकी थी, पर लोकेश के आस पास मंडराते रहने से कुछ बाते माँ को नहीं बता पाई थी, जिनको पचा ना पाने के कारण उसका मन ठीक नहीं था उसे पसीने भी आ रहे थे |
उसके पसीने की बूंदो को अपने कढ़ाई वाले रुमाल से पोंछते हुए लोकेश बोला “तुम्हारी तबियत ठीक नहीं लग रही, चलो डॉक्टर के पास चलते है |”नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं, सोनिया ने अपनी घबराहट छुपाते हुए कहा “बस थोड़ा लौ फील हो रहा है, नया माहौल है, कल पग फेरे पर मायके हो आयगे मम्मी से मिल कर ठीक लगेगा|”फिर भी लोकेश ने उसे प्यार करते हुए कहा “जब भी तुम्हे लौ फील होता है, तो तुम जो भी energy drink या टॉनिक जो भी लेती हो मुझे उसका नाम बता दो मै केमिस्ट से ले आता हूँ |”सोनिया मुस्कराने लगी और मन ही मन सोचने लगी, कैसे कह दू तुम्हे? मेरा सेलफोन ही मेरा energy drink, tonic सब है |
मायके के लिए घर से निकलने का जो टाइम दस बजे का था, भोला लोकेश उसके लिए सुबह सात बजे ही उठ कर तैयार हो गया, कही नयी नयी बीबी की तबियत ज्यादा ना बिगड़ जाय | 7:30चल कर 9:30 बजे वो दोनों सोनिया के मायके भी पहुंच गए |माँ से जल्दी से गले लगते ही, सोनिया अपना सेलफोन ढूंढने मे लग गयी |लोकेश बेचारे को अभी भी ये लग रहा था, वो अपनी घबराहट दूर करने वाला अपना टॉनिक ढूंढ रही है |