तोहफा ” – गोमती सिंह : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : कल  मनोज और सरिता का मैरिज एनिवर्सरी का दिन आने वाला था। मनोज और सरिता दोनों ही बहुत खुबसूरत थे कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी। 

       दोनों बहुत खुशी खुशी जीवन ब्यतीत कर रहे थे ।

       मगर गृहस्थी में पति-पत्नी के बीच जहाँ सुख है वहीं जबरदस्त झमेले भी होते हैं। 

           मैरिज एनिवर्सरी के पहले दिन से ही दोनों वादा किए  रहते थे कि आज किसी भी हाल में हम लड़ाई नहीं होंगे। लेकिन हर बार झगड़ा हो जाते थे ।

  ( यहाँ कहना न होगा कि प्रत्येक पति-पत्नी में झगड़ा और प्रेम एक दूसरे के पूरक होते हैं।  )

       पति-पत्नीके बीच झगड़ा ऐसा पेड़ होता है जिसका चर्मोत्कर्ष फल ” अगाध प्रेम ” होता है ।

      इस बार भी एनिवर्सरी के दिन मनोज ने सरिता को सुबह सुबह बेरुख़ी और सख्ती से डांट दिए।    

       मनोज का इस तरह डाँटना लाज़मी भी था।

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    सरिता को कविता लिखने में अत्यधिक रूचि थी, इसी लिखने के चक्कर में देर रात तक जागती रही और मनोज को सुबह समय पर टिफ़िन वगैरह न दे सकी। सुबह पांच बजे मनोज को ड्यूटी में उपस्थिति दर्ज कराने रहते थे।  लेकिन सरिता खुद देर से सोकर उठी और मनोज को भी उठाने में देरी कर दी।

        फिर क्या था …..तांडव की शुरुआत भोर में ही हो गई। 

     जैसे तैसे मनोज ड्यूटी पहुँच गए।  वहां होना कुछ भी नहीं था आधा माधा घंटा देर से आनें पर उपस्थिति दर्ज हो ज़ाती थी । केंटीन में चाय नाश्ता भी उपलब्ध रहते थे। 

       मगर गृहणी को डांटने का मौका कोई नहीं छोड़ना चाहते। 

      उसका भी कोई शौक है ,उसकी अपनी जिंदगी में उसका खुद का भी हक है ,ऐसा कोई नहीं समझना चाहते।

   मनोज के जाने के बाद सरिता अपने रोजमर्रा की जिंदगी में तल्लीन हो गई थी।  उसकी आदत सी हो गई थी कि क्रोध मेंघ के गड़गड़ाहट के साथ प्रेम की वर्षा जरूर होगी ।

         आज के दिन इस तरह सुबह सुबह बेरुख़ी से डांटना मनोज को अखर गया ।सोच सोच कर वो दुखी होने लगे ।

       अतः घर वापस लौटते समय वो पास के मार्केट में सरिता के लिए साड़ी खरीदने चले गये।  और एक सुन्दर सी साड़ी ख़रीद लिए। 

           घर आकर दरवाज़े पर नाॅक किए तो श्रीमती जी ने दरवाज़ा खोला और तुरंत पीछे मुड़कर किचिन की ओर चली गई।

        मनोज ने कहा-ऐ सुनो ! सरिता को आश्चर्य हुआ इतनी जल्दी इतना मीठा स्वर !!!सरिता ठिठक गई,रूक गई और कहा-” क्या हुआ ?”मनोज ने कहा आज क्या दिन है?दिन…..आज सोमवार है।  दोनों ही समझ रहे थे आज क्या विशेष दिन है मगर जाहिर करने मे आना कानी कर रहे थे।

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        महिलाएं लाख कहतीं हैं कि हम पुरूषों के हाथों खिलौना हैं, प्रताड़ित हैं, शोषित हैं मगर सम्मान भी पुरूषों से ही पाती हैं।

        शास्त्रों और पुराणों में भी उल्लेख मिलता है कि माँ काली के क्रोध को शांत करने के लिए स्वयं शंकर भगवान उनके कदमों में बिछ गये थे। 

     और यहाँ भी ऐसा ही हुआ, मनोज और सरिता एक दूसरे की आँखों में देखने लगे और देखते ही देखते हंसी की फुलझड़ी लग गई।  फिर मनोज ने अपनें हाँथ में पीछे छिपाए साड़ी को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ये लो आज का तोहफा,ऐसा कहते हुए सरिता को गले लगा लिए।  इस तरह जेहाद खत्म हुआ अनमोल तोहफे के साथ।

        ।।इति।।

       -गोमती सिंह

         छत्तीसगढ़

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित रचना आप सभी के समक्ष

आशा करती हूँ आप सभी को पसंद आएगा।

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