तिरस्कार करना – खुशी : Moral Stories in Hindi

अदिती और लीना बहने थी।यू तो वो चार भाई बहन थे पर चुकी बड़ा भाई और बहन दूसरे शहर में रहते थे जहां का सफर हजारों मिल था तो इसलिए अदिति और लीना का एक दूसरे के यहां ज्यादा आना जाना था।जब तक लीना के पास पैसा नहीं था

तब तक अदिति से उसका बहुत मिलाप था पर जैसे ही उसके बेटे को अच्छी नौकरी लगी बड़ा घर हो गया अच्छी बड़े घर की।बहु आ गई तो उसने अदिति की तरफ से मुंह मोड़ लिया।कभी कही मिलती तो भी कहती समर कहता है

मौसी को ना बुलाओ इतना तेज बोलती है हंसती है प्रिया क्या सोचेगी।एक बार तो हद हो गई लीना के घर कुछ प्रोग्राम था सब को बुलाया था तो उसे अदिति को भी बुलाना पड़ा सबके जाने पर अदिति वही थी

उसने अदिति पर अंगूठी की चोरी का इल्ज़ाम लगा दिया इतना अपमान और तिरस्कार किया कि अदिति मुंह छिपा रोती हुई घर आ गई।कुछ दिन में अंगूठी वही आलमारी के कपड़ो में मिल गई।लीना ने फोन पर बात दिया पर अदिति अपना तिरस्कार कैसे भूल सकती थी उसने लीना से संबंध खत्म कर दिए।बाद में लीना पछताती रही पर क्या फायदा जब आपका अपनी जुबान पर काबू ना हो।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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