पिताजी मेरी नौकरी लग गई मै अब शहर जाऊंगा नौकरी करने ।
अब सब अच्छा होगा , हमारे भी अच्छे दिन आ गए पिता जी ।
अनिल – मां कहां है तु ….???
पिता:- अनिल मां मंदिर में है तेरे लिए प्रार्थना कर रही है ।
अनिल – ठीक है पिताजी मां जैसे ही आएगी मुझे शहर को निकलना पड़ेगा ।
कल से मेरी जॉइनिंग है ।
पिता- अनिल तुम्हारी खुशी में ही हम सब की खुशी है ।
परंतु तुम्हें याद है ना तुम्हारे बड़े भाई ने क्या किया हम सब के साथ , वह भी नौकरी करने शहर शहर गया ।
अनिल- हाँ हाँ पिताजी मुझे सब याद है ।
भैया और भाभी आज अपने परिवार के साथ खुश हैं ।
पिता- बस तुम्हारी माँ को यही चिंता है कि तू भी हम सब को छोड़कर शहर ना चले जाओ ।
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यह शब्द बोलते बोलते ……
पिता के चेहरे पर कुछ शिकन और आंखों में नमी सी आ गई ।
लेकिन पिता ने अनिल को जाहिर नहीं होने दिया ।
अनिल पिता के चरणों को छूते हुए , पिताजी मुझे आज ही निकलना होगा ।
मैं माँ से मंदिर में ही मिल लूंगा ।
पिता :- अनिल तुम जहां भी रहो खुश रहो ।
अनिल शहर पहुंचकर एक रूम लेता है और उसमें रहने लगता है ।
कुछ समय बाद ही अनिल की नौकरी में भी बरकत होने लगती है।
कुछ पैसे पिता को गांव भी भेजने लगा , काम में व्यस्तता के कारण अनिल अपने माता-पिता से मिलने भी नहीं जा पाता है ।
काफी दिन बीतने के बाद
माँ ने अनिल को फोन किया ।
माँ – अनिल तू ठीक तो है , बेटा तू तो शहर जाकर के हम सबको भूल ही गया ।
अनिल – माँ मैं ठीक हूं , माँ आप इतना चिंता क्यों करती हो मैं कोई छोटा बच्चा हूं क्या ..?
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माँ या तो मैं पैसे कमा लूंगा , या आप लोगों के पास रहूंगा ।
कोई एक ही काम कर सकता हूं ।
और आप लोगों को क्या दिक्कत है , मैं पैसे तो आपको भेजता ही हूं ना ।
माँ कुछ कहती , उससे पहले ही अनिल में फोन रख दिया ।
अनिल की माँ – अनिल के पिता से – अनिल तो हम सबको भूल ही गया । शहर में पता नहीं समय पर खाना भी खाता होगा या नहीं ।
अनिल के माता-पिता की आंखें नम हो जाती है ।
इधर अनिल तो शहर में ही नंदिनी नाम की लड़की से शादी कर लेता है ।
नंदनी अनिल के दफ्तर में काम करती हैं ।
आज अनिल अपने परिवार के साथ खुश है ।
नंदनी बचपन से ही शहर में रही है इसलिए वह गांव नहीं जाना चाहती है । और अनिल अपने माता-पिता की खुशी को भूलकर नंदिनी के साथ खुश रहने लगता हैं ।
अनिल की मां – बरसों बीत गए अनिल को शहर गाए हुए ।
अब तो कोई खबर भी नहीं है ।
अनिल के पिता -अनिल की मां को समझाते हुए,
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क्यों चिंता करती है हमारे बच्चे आज अपने परिवार के साथ में खुश हैं । तुम्हारे साथ मैं हूं ना तुम्हारा ध्यान रखने के लिए ।
अनिल के पिता की आंखें नम हो जाती है ।
कामिनी मिश्रा कनक
फरीदाबाद