ठोकर – डॉ.पारुल अग्रवाल  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: जया के बैंक की आज छुट्टी थी। अक्सर छुट्टी वाले दिन वो मां को शांत करने मंदिर चली जाती थी।आज वहां किसी स्वामीजी का प्रवचन चल रहे थे। उसके कदम भी खुदबखुद स्वामीजी के प्रवचन की तरफ मुड़ गए। वहां स्वामीजी अपनी बातों में कह रहे थे कि भगवान तो भक्ति और संपर्ण के भूखे होते हैं।

जिसने जिस भाव से उनको अपनाया वो वैसे ही रूप में उसको मिल गए। फिर उन्होंने एक बात और कही कि भगवान ही नहीं हमारे सारे रिश्ते भी समर्पण की आस रखते हैं। जया घर तो आ गई पर कहीं ना कहीं स्वामी जी की रिश्तों में समर्पण की बात बार-बार उसके दिमाग में चलती रही।

घर आकर उसने अपने लिए अदरक वाली चाय बनाई,बाहर का मौसम तो वैसे भी बहुत सुहावना था इसलिए वो चाय का कप लेकर बालकनी में आकर बैठ गई।चाय पीते-पीते वो आज से छः सात साल पहले पहुंच गई जब वो एक बड़े से शहर में अपने छोटे से शहर से नौकरी के सिलसिले में पहुंच गई थी। वो स्वभाव से ही काफ़ी उन्मुक्त थी।

बंधनों में बंधना उसको कभी ना भाया था। घर पर उसकी मां कभी उसको कुछ समझाने की कोशिश भी करती तो वो उनकी बातों को अनसुना कर देती। ऐसा नहीं था कि उसके माता-पिता बहुत पुराने विचारों के थे पर उनके लिए संस्कार और मर्यादा में रहना बहुत आवश्यक था यही बात जया को पसंद नहीं आती थी।

ग्रेजुएशन के साथ वेब डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद उसको दिल्ली में जब उसको एक कंपनी में नौकरी का प्रस्ताव मिला तो वो उसने तुरंत स्वीकार कर लिया।अब वो खुश थी क्योंकि उसको लग रहा था कि वो अब बंधनमुक्त जीवन का आनंद ले पाएगी।उसके साथ उसकी एक दोस्त नीलू का भी चयन इस कंपनी में हुआ था इसलिए उसके घरवाले थोड़ा निश्चिंत थे क्योंकि दोनों पीजी में एक साथ रहने वाली थी।
इस तरह जया की घर से अलग एक नई ज़िंदगी की शुरुआत हुई। जहां जया बहुत ही खुले विचारों की थी वहीं नीलू सिर्फ अपने काम से काम रखने वाली थी। जॉब करते हुए ज्यादा दिन ना बीते थे पर जया ने तो अपना कायाकल्प ही कर लिया था। बहुत ही मॉर्डन ड्रेसेज पहनकर वो काम पर जाती थी। कंपनी का बॉस संजय हालांकि शादीशुदा था पर बहुत ही रंगीन मिजाज़ किस्म का था।

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वो जया को देखते ही समझ गया था कि वो आसानी से उसके जाल में फंस सकती है।वो काम के बहाने जया को अपने केबिन में बुलाने लगा था। धीरे-धीरे काम और फिर कॉफी साथ पीने के बहाने उसने जया को अपनी तरफ आकर्षित करना शुरू कर दिया था।

अब वो जया को महंगे गिफ्ट भी देने लग गया था। जया की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो रही थी। अब शाम को भी कंपनी की छुट्टी के बाद वो नीलू के साथ ना जाकर संजय के साथ देर रात तक बाहर पब और डिस्को में समय बिताकर देर रात तक कमरे में लौटती थी।अब वो शराब और सिगरेट भी पीने लगी थी।

नीलू ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की पर जया ने उसकी बातों को पिछड़ी मानसिकता की बताकर हंसी में उड़ा दिया। इसी तरह समय बीत रहा था अब जया संजय के रंग में ढल चुकी थी। एक दिन जया शराब के नशे में झूमते हुए कमरे में पहुंची थी अगले दिन छुट्टी थी तब नीलू ने उसको समझाने की एक और कोशिश की उसने ये भी कहा कि पूरी कंपनी में सब जानते हैं कि संजय का चरित्र अच्छा नहीं है।

वो शादीशुदा है पर भोली और मासूम लड़कियों को अपने जाल में फंसाना उसका शौक है। नीलू की इस तरह की बातें सुनकर जया ने उसको बहुत कुछ उल्टा सीधा बोला और यहां तक कह दिया कि वो और बाकी लड़कियां उससे जलती है क्योंकि कंपनी का बॉस उनकी तरफ देखता भी नहीं है। उसका ये भी मानना था कि संजय शादीशुदा तो ज़रूर है लेकिन प्यार सिर्फ जया से करता है।

नीलू को समझ आ गया कि जया को अब कुछ भी कहना बेकार है क्योंकि कुछ बातें ठोकर खाकर ही समझ आती हैं।शाम को ही जया ने पीजी खाली कर दिया और संजय के दिए फ्लैट में शिफ्ट हो गई। नीलू उसे चाहकर भी नहीं रोक पाई।
फ्लैट में शिफ्ट होने के बाद तो जया और भी उन्मुक्त हो गई। अब उसने अपने घरवालों से भी ना के बराबर संपर्क कर दिया। इधर नीलू ने भी दूसरी कंपनी में जॉब ढूंढ लिया।

इसी तरह से जया और नीलू को काम करते-करते इस शहर में दो साल बीत गए। अब नीलू के घरवालों ने उसका रिश्ता दिल्ली के ही एक लड़के के साथ तय कर दिया था। नीलू अपनी शादी का निमंत्रण पत्र देने जया से भी मिलने आई। जया ने नीलू को बधाई तो दे दी पर उसके जाने के बाद वो सोचने लगी कि धूमधाम से शादी के बाद भी नीलू उसकी तरह खुश नहीं रह सकती क्योंकि आखिर शादी के बाद उसको अपनी घर-गृहस्थी में तो लगना ही पड़ेगा।

असल में जया को लगता था कि शादी जैसी रस्में सिर्फ लड़कियों को बेड़ियों में जकड़ने के लिए बनाई गई हैं। उसको लगता था कि जब दो लोग एक दूसरे से प्यार करते हैं तो इसके लिए किसी बंधन में बंधने की क्या आवश्यकता है। उसका ये भी सोचना था कि जैसे वो संजय को प्यार करती है तो क्या फर्क पड़ता है कि वो शादीशुदा है।

अपनी पत्नि से ज्यादा समय तो वो उसके साथ रहता है। वैसे भी इतने महंगे उपहार जो उसे समय समय पर संजय से मिलते रहते हैं वो शायद एक पति भी अपनी पत्नि को नहीं दे पाता होगा।जितनी ऐशोआराम की ज़िंदगी वो जी रही है वैसी नीलू जैसी लड़कियों के लिए तो सपना ही है इसलिए ऐसी लड़कियां शादी में विश्वास रखती हैं।

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ये सबसोचते-सोचते उसके चेहरे पर व्यंग्यात्मक हंसी आ गई।
वो तो अपने आपको खुशनसीब मानते हुए संजय के प्यार में पूरी तरह डूब चुकी थी पर कुछ दिनों से उसकी तबियत ठीक नहीं थी। उसको सुबह सुबह उल्टी और चक्कर जैसा महसूस हो रहा था। उसको कुछ ठीक नहीं लग रहा था।उसने संजय से भी इस बारे में बात की पर संजय ने इस बात को ज्यादा गंभीरता से ना लेते हुए उसको डॉक्टर के पास दिखाने के लिए कहा। वो लेडी डॉक्टर के पास खुद दिखाने गई, वहां उसने देखा कि नीलू भी अपने पति के साथ चेकअप के लिए आई थी।

वो पति के साथ बहुत खुश लग रही थी। बातचीत से पता चला कि मां बनने वाली थी। मां बनने की खुशी उसके चेहरे के निखार को और भी बढ़ा रही थी। डॉक्टर ने जया का भी चेकअप किया तो पता चला वो भी एक माह की गर्भवती है। ये सुनकर जया की तो दुनिया ही हिल गई। फिर भी उसने सोचा संजय से बात करती है। संजय जब रात को फ्लैट पर जया के पास आया तब जया के गर्भवती होने का पता चलते ही उसको ही सब बातों के लिए ज़िम्मेदार बताने लगा।

संजय ने कहा कि अगर वो चाहती है कि उसका और संजय का रिश्ता ऐसे ही चलता रहे तो जल्द से जल्द गर्भपात कराकर इस मुसीबत से छुटकारा पाए। वो शादीशुदा है और इस तरह नाजायज बच्चे का पिता नहीं बन सकता। संजय के शब्द जया के कानों में पिघले हुए लावे के तरह पड़ रहे थे।

आज जया को संजय का नया ही रूप देखने को मिल रहा था।उसको नीलू की संजय के लिए कही बातें और उसके पति के साथ अपनी पहली संतान के आगमन से खुशी से निखरा चेहरा याद आ रहा था। वो गर्भपात को लेकर बहुत कसमकश में थी उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उसकी तबियत भी बहुत खराब थी। घरवालों से तो वैसे ही उसने संबंध खत्म कर लिए थे। उसको लगा एक बार नीलू से बात कर लेनी चाहिए क्या पता कुछ हल निकल जाए।

बस यही सोचकर उसने सुबह होते ही नीलू को अपना पता व्हाट्सएप करके एक बार मिलने के लिए बोला। नीलू को व्हाट्सएप करने के बाद जैसी ही वो सीढ़ियों से नीचे आने के लिए उतरी,वैसे ही उसको तेज़ चक्कर आ गया। वो पेट के बल नीचे आकर गिरी और बेहोश हो गई। उसका संदेश देखकर जब नीलू जया के संजय वाले फ्लैट पर पहुंची तो उसकी हालत देखकर घबरा गई।

वहां एक कामवाली भी थी जो संजय को फोन करके सब बता चुकी थी। संजय ने अपने व्यस्त होने की बात कहकर उसको एंबुलेंस को बुलाने कहकर फोन काट दिया था। कामवाली एंबुलेंस को फोन कर चुकी थी।इधर नीलू भी वहां पहुंच गई। जया की ऐसी हालत देखकर उसने अपने पति को भी फोन कर दिया था। एंबुलेंस के आते ही नीलू ने जया के साथ बैठकर हॉस्पिटल पहुंच गई। उसका काफ़ी खून बह चुका था। नीलू के पति भी ऑफिस से हॉस्पिटल आ गए थे। संजय का कुछ अता-पता नहीं था। यहां तक कि वो फोन भी नहीं उठा रहा था।
नीलू और उसके पति ने ही हॉस्पिटल के सारे पेपर्स पर हस्ताक्षर किए। जया का गर्भपात हो गया था और आगे भी उसके मां बनने की संभावना खत्म हो गई थी। अगले दिन जया को होश आ गया था अब वो खतरे से बाहर थी। अब इतनी बड़ी ठोकर खाकर और अपना सबकुछ खोकर उसको संजय की असलियत समझ आ गई थी।

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कोई रिश्ता ना होते हुए भी नीलू और उसके पति ने उसे बहुत संभाला था।नीलू ने ही जया के माता-पिता को फोन करके सब बताया था और उनको जया के पास आने के लिए बोला था। जया के पिताजी तो आना नहीं आना चाहते थे पर उसकी मां के ये कहने पर कि जया तो गलती कर ही चुकी है पर अब हम भी अगर उसको सहारा नहीं देंगे तो उसको हमेशा के लिए खो देंगे।

जया अभी हॉस्पिटल में ही थी। उसके छुट्टी मिलने से एक दिन पहले उसके माता-पिता भी उसको अपने साथ लिवाने आ गए थे। संजय ने तो वैसे भी उससे सारे रिश्ते खत्म कर दिए थे। यहां तक की उसको कंपनी से उसकी नौकरी समाप्त होने का नोटिस मेल पर मिल चुका था। हालांकि नीलू और उसके पति ने जया से कहा था कि अगर वो चाहे तो संजय और उसकी कंपनी के खिलाफ लीगल नोटिस ले सकती है पर अब जया की मनोस्थिति ऐसी नहीं थी कि वो कुछ सोच समझ सके।

वो अब इस शहर से जल्द से जल्द कहीं दूर जाना चाहती थी।वो माता-पिता के साथ अपने घर वापस आ गई। संजय के द्वारा लगी ठोकर ने उसको ज़िंदगी का बड़ा सबक दे दिया था। माता-पिता से अपने किए की माफ़ी मांग बैंक की परीक्षा की तैयारी में जुट गई। पूरी दुनिया को भुलाकर वो अपने लक्ष्य को पूरा करने में लग गई। जल्द ही उसने बैंक की परीक्षा पास की और वो उत्तराखंड के इस छोटे से शांत से शहर में बैंक मैनेजर बनकर आ गई।

अब वो यहां आकर सबसे अपने काम से काम रखती। यहां उसके साथ ही बैंक में काम करने वाला नीतीश उसको पसंद करने लगा और एक दिन उसने जया के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। जया उसके प्रस्ताव का बिना कुछ जवाब दिए चली आई पर नीतीश भी हार मानने वालों में से नहीं था। वो फिर से अपना प्रस्ताव लेकर जया के पास आया,आज जया अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाई और फूट फूट कर रोने लगी और कहने लगी कि उसका एक भयावह अतीत है जिसे सुनकर वो क्या कोई भी उससे शादी नहीं करना चाहेगा।

उसकी इस बात पर जब नीतीश ने कहा कि वो उससे सच्चा प्यार करता है और उसके अतीत से उसको कोई मतलब नहीं है। वो तो जया के साथ वर्तमान और भविष्य की ज़िंदगी जीना चाहता है। ये सुनकर जया ने कहा कि कि मेरे अतीत की कुछ गलतियों की वजह से वो भविष्य में कभी मां नहीं बन सकती क्या तब भी वो उसको अपनाएगा। ये कहकर वो बिना नीतीश का जवाब सुने रोते-रोते वहां से चली आई। नीतीश वहीं पर बैठा रह गया। जया जल्दी छुट्टी लेकर अपने कमरे पर आ गई।

अगले दिन वैसे भी रविवार था। काफ़ी देर रोने के बाद वो थोड़ा शांत हुई। अब उसे लग रहा था कि नीतीश अब दोबारा उससे कभी शादी की बात नहीं करेगा।कुछ सोचते हुए उसने अपना ट्रांसफर भी दूसरी जगह करवाने का मन बना लिया था। अगले दिन जब वो सोकर उठी तो थोड़ा शांत थी। नहाधोकर वो मंदिर गईं और वहां अच्छे से समय बिताकर प्रवचन सुनकर कमरे पर आ गई। चाय लेकर बालकनी में बैठी तो स्वामीजी के प्रवचन के शब्द और पिछली सारी बातें उसके दिमाग में फिल्म की भांति चलने लगी।

वो और कुछ सोचती इतने में दरवाज़े की घंटी ने उसका ध्यान भंग कर दिया। दरवाज़ा खोलते ही देखा नीतीश अपनी मां को साथ लेकर उससे मिलने आया था। उसने शिष्टाचारवश उन दोनों को अंदर बुलाया और बैठाकर पानी लेने जाने लगी। जैसे ही वो जाने लगी नीतीश का मां ने प्यार से उसका हाथ पकड़कर अपने पास बैठा लिया और कहा बेटा नीतीश ने मेरे को सब कुछ बता दिया है। उसका प्यार तुम्हारे लिए सच्चा है।

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माता-पिता बनना हर किसी के लिए के लिए बहुत बड़ी बात है पर अगर कुछ लोग इस सुख से वंचित रह जाते हैं तो वो आगे किसी बच्चे को गोद लेकर इस कमी को पूरा कर सकते हैं। इसके बाद उसकी मां ने ये भी कहा अगर दो लोग एक-दूसरे से सच्चा प्यार करते हैं और उनके मन में एक दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण है तो वो बड़ी से बड़ी बाधा पार कर सकते हैं। जया कुछ कहती उससे पहले दोबारा घंटी बजी देखा कि इस बार उसके माता-पिता थे।

नीतीश ने किसी तरह उनका फोन नंबर लेकर अपनी मां से उनकी बात करा दी थी और उनको भी शादी के लिए मना लिया था। सबकी खुशी को देखते हुए जया के पास कुछ कहने के लिए नहीं था। दोनों के घरवालों ने आपसी सहमति से दोनों का रोका कर दिया। ज़िंदगी में इतनी बड़ी ठोकर मिलने के बाद जया को सच्चे प्यार और समर्पण का महत्व समझ आ गया था।
दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी?

अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। रिश्ता कोई भी हो पर सभी में समर्पण का भाव बहुत आवश्यक है। शायद इसलिए हमारे समाज में शादी में सात वचन का भी इतना महत्व है। सातों वचन पति और पत्नी दोनों को ही समर्पण का भाव सिखाते हैं। चाहे हम कितने भी आधुनिक क्यों ना हो जाएं पर शादी के इतर बनाए गए रिश्ते समर्पण के अभाव में हमेशा दम तोड़ जाते हैं।
नोट: कहानी पूर्णतः काल्पनिक है इसे असली जीवन से जोड़कर ना पढ़ें।

डॉ.पारुल अग्रवाल
नोएडा

#समर्पण

 

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