प्रिया #रोते रोते बस अपनी किस्मत को ही कोसे जा रही थी, आखिर ऐसा क्या पाना था, जिसकी चाहत में आज वो अपना सब कुछ गवा बैठी है…
माता पिता की लाडली बिटिया प्रिया, अपनी खूबसूरती और अच्छे व्यवहार से किसी का भी दिल जीत लेती थी, मगर कॉलेज में आते आते,
गैर धर्म के एक लड़के के प्यार में इतनी पागल हो गई की उसके साथ घर बसाने के लिए घर से भाग गई,
मां बाप की इज्ज़त भरे बाजार नीलाम कर डाली, कुछ महीनों के शारीरिक आकर्षण के जाल में उलझकर अपने मां बाप के
निश्छल प्रेम को ठुकराने वाली प्रिया को पुलिस की मदद से ढूंढ़ भी लिया गया, मगर पुलिस स्टेशन में बालिग प्रिया ने अपने प्रेमी के साथ ही जाने का निर्णय सुना दिया…
आंखो में आंसू लिए पिता ने अपनी पगड़ी उतार कर बेटी के कदमों में रख दी और इज्जत की दुहाई मांगी,
ऐसा दृश्य देख पुलिस वालों के मन भी करुणा से भीग उठे, मगर प्रेम में अंधी प्रिया को पिता की इज़्ज़त और मां के प्यार से अधिक अपने प्रेमी पर भरोसा था।…..
कानूनी तौर पर अब पुलिस भी कुछ नहीं कर सकती थी इसलिए दोनों को उनकी मर्ज़ी का जीवन जीने के लिए आजाद कर दिया….
बड़े लाड़ प्यार से पाली हुई बेटी के इस कदम से मां बाप मानो जीते जी ही मर गए। उधर तीन महीने से
अपने प्रेमी के साथ इंद्रधनुषी सपनों में खोई प्रिया को मन भर जाने पर उसका ही प्रेमी धोखे से उसे एक कोठे पर बेच आया,
होश आने पर खुद को जिस्म फ़रोशी के बाज़ार में देख प्रिया खूब रोई और पछतावे की आग में हर रोज जलने लगी,
एक बार मौका देख अपने घर फोन करके जब अपने पिता को अपने साथ हुए धोखे के बारे में बताना चाहा तो पता चला
की उसकी मां और पिता ने तो दो महीने पहले ही समाज के तानों और बेटी की काली करतूत की वजह से जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी….
अपनी नादानी और गलती से आज प्रिया के जीवन में सिर्फ दुख, दर्द, पीड़ा और गहन अंधकार के अलावा कुछ भी बाकी नहीं रह गया था।
मौलिक स्वरचित रचना
लेखिका कविता भड़ाना
#रोते रोते अपनी किस्मत को ही कोसे जा रही थी