एक सुनसान सड़क पर एक 60 साल का बुजुर्ग एक भारी गठरी लिए शहर की तरफ जा रहा था. गठरी बहुत भारी था इसलिए वह पैदल चलते-चलते बहुत थक गया था। तभी उसने सड़क पर एक बाइक सवार को जाते हुए देखा। उस बुजुर्ग आदमी ने बाइक सवार को आवाज लगाई अरे बेटा 1 मिनट के लिए रुक जा।
बाइक सवार बुजुर्ग आदमी की बात सुनकर रुक गया और अपनी बाइक रोक कर उस बुजुर्ग आदमी से पूछा क्या बात है बाबा
बुजुर्ग आदमी ने कहा बेटा मुझे जो पास में शहर है वहां पर जाना है शहर में मेरा बेटा रहता है। मेरा गठरी बहुत भारी है अब उसे लेकर चला नहीं जाता मैं बहुत थक गया हूं तू तो शहर की तरफ ही जा रहा है मेरी गठरी को अपने बाइक पर रख लें फिर मुझे पैदल चलने में आसानी हो जाएगी।
बाइक सवार ने बुजुर्ग आदमी से कहा बाबा तुम तो पैदल चल रहे हो और मैं बाइक पर हूं। शहर भी अभी यहां से लगभग 10 किलोमीटर दूर है पता नहीं तुम कब तक शहर पहुंचोगे। मुझे शहर में बहुत जरूरी काम है मैं आपका कब तक इंतजार करता रहूंगा बाइक सवार ने यह कह कर बुजुर्ग आदमी को मना कर दिया।
बाइक सवार अभी कुछ दूर ही पहुंचा होगा तभी उसके मन में पाप जगना शुरू हो गया। उसके पापी मन ने कहा तू कितना मूर्ख है वह बुजुर्ग आदमी ठीक से चल भी नहीं पा रहा है और बुजुर्ग होने की वजह से उसे तो ठीक से दिखाई भी नहीं देता है तुझे वह अपना गठरी दे रहा था क्या पता उस गठरी में उसने बहुत सारे रुपए पैसे रखा हो। अगर तू उसको लेकर भाग जाता तो क्या पता चलता वह तुम्हें कहां पर ढूंढता ऐसा कर तू जा वापस और उस बुजुर्ग आदमी से गठरी ले ले।
बाइक सवार ने अपने पापी मन की बात मान ली और वापस लौट गया और वापस जाकर उस बुजुर्ग आदमी से कहा। बाबा लाओ अपनी गठरी मुझे दे दो मैं लेकर शहर पहुंचा देता हूं और वहां पर मैं आपका इंतजार करूंगा।
उस बुजुर्ग आदमी ने कहा नहीं बेटा अब तू तो चला जा यहां से मुझे गठरी नहीं देनी है। मैं खुद लेकर आ जाऊंगा।
बाइक सवार ने कहा बाबा अभी तो कुछ देर पहले ही आप कह रहे थे कि मेरा गठरी बहुत भारी है और मुझसे चला भी नहीं जा रहा है अब मैं जब आप की गठरी को लेकर चलने के लिए तैयार हो गया हूं तो आप मुझे गठरी नहीं दे रहे हैं। आपको लग रहा है कि मुझ पर भरोसा नहीं है। कौन आपको ऐसे समझाया है।
बुजुर्ग आदमी ने मुस्कुरा कर बोला बेटा मुझको उसी ने समझाया है जिसने तुम को यह समझाया है कि वापस जाकर उस बुजुर्ग आदमी की गठरी ले लो।
बेटा तुम्हें नहीं पता जो तुम्हारे अंदर ईश्वर बैठा है वही ईश्वर मेरे अंदर भी बैठा है।
तुम्हें उस ईश्वर ने कहा कि जा उस बुजुर्ग आदमी का गठरी लेकर भाग जा और मुझे वही ईश्वर ने समझाया है कि जो बाइक सवार वापस आए तो उसे गठरी दोबारा मत दो नहीं तो वह भाग जाएगा बेटा तुमने अपने मन की आवाज सुनी और मैंने अपने मन की सुनी।
दोस्तों इस कहानी का आशय यही है आप जब भी इस दुनिया में कोई भी कर्म करते हैं तो आपका मन एक बार आपको यह बात जरूर बताता है कि यह काम अच्छा है या बुरा इसीलिए आप अपने मन को तराजू में तौलिए और यह देखिए जो आप काम करने जा रहे हैं वह अच्छा है या बुरा अगर वह थोड़ा सा भी बुरा है तो उस काम को मत कीजिए क्योंकि अगर आप किसी का भला नहीं कर सकते हैं तो बुरा करने के बारे में क्यों सोचेंगे।