बहुत जोर की भूख लगी थी,भूख से रिया का हाल बेहाल हो रहा ,पर ससुराल में पहला दिन उसे चुप रहने के लिए मजबूर कर रहा इतने में रवि का प्रवेश कमरे में हुआ।
उसे देख को थोड़ी असहज हुई,होना लाजिमी है जिस शख्स से कभी मुलाकात नहीं हुई सिर्फ बात ही बात हुई है।आज उसके साथ बिस्तर शेयर करना है।
वो उठी और खड़ी होकर कपड़े ठीक करते हुए उसके पैरों की तरफ झुकी।
फिर रज धूल माथे लगाते हुए थोड़ी पीछे हटने को हुई तो उसने उसे खीच कर अपनी बाहों में भर लिया।
फिर दोनों कब एकाकार हो गए पता न चला।
वक्त अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा
और इनकी बातें थीं कि थमने का नाम नहीं ले रही ,
पहली मुलाकात में ही दोनों इतना घुल मिल गए कि अजनबीपन का अहसास ही नहीं हुआ।
माना रात के सन्नाटे में तन मन एक हुए तो सब कुछ भूल गए,पर पेंट की तो अपनी ही जरूरत है भला उसको इससे क्या लेना देना।
मां पापा को छोड़ने के ग़म में वो पहले ही दो दिनों से कुछ नहीं खा रही थी और आज तीसरे दिन भी सिर्फ मुंह जूठा करके पत्तल छोड़ दिया।
उसके बाद जयमाला के बाद खाने की मेज पर जैसे ही बैठी कि मां के बेहोश होने की खबर सुन बिलखते हुए दौड़कर वहां पहुंची जहां मां और भाभी उसका बक्सा लगा रही थी।
कैसे भी करके उन्हें होश में लाया गया।इतने में समय शादी पत्र बैठने का समय हो गया तो जल्द ही कपड़े बदल मंडप में आ गई।
करते कराते चुंकि भोर में ही विदाई का मुहुर्त था तो जल्दी ही शादी संपन्न हो गई।और वो विदा होके रवि के घर आ गई।
फिर तो यहां रस्म पे रस्म निभाए जा रही , किसी को उसके भूख की चिंता नहीं।
और वो किसी से कह भी नहीं पा रही ।धीरे धीरे शाम हुई और शाम से रात पर दूर दूर तक कहीं कुछ खाने के आसार नज़र नहीं आ रहे थे ।इस बीच घर से भाभी का फ़ोन आया तो उसने लपककर फोन उठाया और उठाते ही सबको प्रणाम किया साथ ही हाल चाल पूछा भी और यहां सब कुछ ठीक होने का संदेश भी दिया।बाद में आंसू भरके बोली भाभी मुझे बहुत भूख लगी है इसकी वजह से मेरे पेट में दर्द भी हो रहा।
कुछ समझ नहीं आ रहा क्या खाऊं।
तो उसने कहा-
अरे काम काज में मैं तुम्हें बताना ही भूल गई कि मैं ने तुम्हारे लिए कुछ रखा है।
सुनो न बाक्स खोलकर देखो कुछ है।
इतना सुनते ही वो फोन काट कर तुरंत बाक्स की ओर झपटी और खोला तो देखा नमकीन चिप्स मसाले वाली कचौड़ी मसाले वाला चना आदि जाने कितनी पसंद की चीजों से उसका बाक्स भरा था।
जिसे खाकर सबसे पहले पेट भरा फिर मां जैसी भाभी को फोन कर थैंक्स दिया।
सच हम किसी की जगह ले तो नहीं सकते पर उसकी कमी को अपने व्यवहार,देख देख,और समझदारी से कम जरूर कर सकते हैं।जैसे कि रिया की भाभी ने किया।
स्वरचित
कंचन आरज़ू