तेरी जैसी क़िस्मत कहाँ किसी की – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ चलो उठो ये लो चाय पी लो ।” साइड टेबल पर चाय रखते  हुए रोहित ने अंकिता को प्यार से कहा और माथे पर चुंबन अंकित कर दिया 

अंकिता मुस्कुराते हुए पति को देखी और सँभल कर उठ कर बैठ गई।

“ क्या बात है आज पतिदेव बहुत मेहरबान हो रहे है … ये हमारी फ़िक्र हो रही है या आने वाले की ?” अपने उभरे उदर पर हाथ फिराते हुए बोली 

“ देखो तुम अब  अपना ज़्यादा से ज़्यादा ख़याल रखा करो….आज माँ आने वाली है वो कह रही थी बहू से ज़्यादा काम मत करवाना… तू भी उसकी मदद किया कर तो भई हम आज से अपनी ड्यूटी पर लग गए…अब माँ की बात कैसे टाल सकता हूँ ।” हंसते हुए रोहित ने कहा

दोनों मिलकर नाश्ता बनाए और रोहित ऑफिस के लिए निकल गया ।

पाँच बजे  रोहित अपनी माँ बेला जी को स्टेशन से लेकर घर पहुँचा और फिर बेला जी बहू के साथ कुछ देर बातें करने के बाद रात के खाने में बहू की हाथ बटाने पहुँच गई।

अंकिता को सास के आ जाने से बहुत राहत हो गई थी क्योंकि अब उससे ज़्यादा देर खड़ा नहीं रहा जाता था और सब काम तो काम वाली कर जाती पर पेट भरने के लिए जो खाना चाहिए वो किसी भी कुक के हाथों का उसे पसंद नहीं आ रहा था इसलिए ना चाहते हुए भी खाना खुद बना रही थी पर अब सास आ गई थी तो उसकी मुश्किलें आसान होने वाली थी।

खाना खाने के बाद जब अंकिता सोने जा रही थी तभी उसकी बड़ी बहन अनुजा का फोन आ गया….उसके हाल समाचार लेने के बाद जैसे ही पता चला सास आई है वो धीमे स्वर में अंकिता से बोली,” ऐसे समय में सास को बुला लिया है पागल हो गई है क्या….तू आराम करेगी और उनकी खिदमत…इससे अच्छा होता तू मम्मी के पास चली जाती नहीं तो उन्हें बुला लेती… अंकु अपनी माँ से बेहतर कोई सास ख़याल नहीं रख सकती कह रही हूँ देखना तू परेशान होने वाली ।”

“ अरे नहीं दीदी ऐसा कुछ नहीं होगा तुम चिंता मत करो बस बच्चे के जन्म के बाद देखने आने का समय ज़रूर निकाल लेना पता चला तुम तब भी नहीं आ पाई… चलो थोड़ी दवाइयाँ खानी है वो खा कर सो जाऊँगी.. गुड नाइट।” कहकर अंकिता ने फ़ोन रख दिया 

दीदी की बात सुन कर अंकिता को एक बार को लगने लगा कहा सच में मेरी मुसीबत तो नहीं बढ़ने वाली अब तो जो होगा देखा जाएगा इस सोच को परे झटक वो दवाइयाँ लेकर सोने चल दी

समय आराम से निकल रहा था…एक दिन अंकिता की एक कॉलेज फ़्रेंड उसके शहर आई तो उससे मिलने चली आई ।

बेला जी ने अंकिता को उसकी दोस्त के साथ बैठ कर बाते करने के कहा और उनके लिए चाय नाश्ता लाकर रख कर अपने कमरे में जाने लगी ।

“ आप भी इधर ही बैठिए ना मम्मी जी ।” अंकिता ने कहा

“ नहीं बेटा तुम दोनों खुल कर बातें करो मेरे बैठने से ना तुम सहज रहोगी ना तुम्हारी दोस्त ।” हँसते हुए कह कर वो हॉल से चली गई 

“ यार कमाल है तेरी सास… हमारी सास होती तो यही बैठ जाती ना ठीक से बातें कर पाते ना उनकी बुराई ।” धीमे स्वर में अंकिता की दोस्त ने कहा 

“ नहीं यार मेरी सास बिल्कुल अलग है मैं भी पहले यही सोचती थी और तो और मेरी दीदी ने भी मम्मी जी के आने पर मुझे कहा तू परेशान हो जाएगी उनकी ख़िदमत करने में …पर सच कहूँ मुझे लग रहा वो इस उम्र में ज़्यादा परेशान हो रही होगी …. हर वक्त मेरी फ़िक्र में रहती कुछ खा रही हूँ कि नहीं क्या खाने का मन इतना कौन ध्यान रखता है यार… सच में मेरी सास सबसे अलग है।” अंकिता चेहरे पर मुस्कान सजाते हुए बोली

“ हाँ भई क़िस्मत वाली जो हो सबकी क़िस्मत ऐसी नहीं होती जैसी तुम्हारी ।” अंकिता की दोस्त ने कहा

कुछ देर बाते कर वो चली गई ।

 एक महीने बाद अंकिता ने एक प्यारी सी बच्ची को जनम दिया … रोहित और बेला जी के पैर मानो धरती पर पड़ ही नहीं रहे थे….. अस्पताल के सभी स्टाफ़ को मिठाइयाँ बाँटा गया ।

“ मैडम ये बच्चे की नानी है और दादी?” एक नर्स ने अंकिता से पूछा 

“ ये दादी है ।”  जैसे ही अंकिता ने ये कहा वो नर्स आश्चर्य करती हुई बोली,” अभी कुछ देर पहले एक महिला ने बेटी को जन्म दिया उसकी सास उसे बहुत कोस रही थी उपर से हम पर इल्ज़ाम लगा रही थी कि हमने बच्चा बदल दिया बताइए हम ऐसा क्यों करेंगे… आप सच में बहुत किस्मत वाली है किसी की नजर ना लगे।” कहते हुए नर्स अंकिता को दवाइयाँ देकर चली गई 

घर पर अंकिता और बच्ची का भव्य स्वागत हुआ अंकिता के मायके वाले भी आए हुए थे उसकी बड़ी बहन ने जब अंकिता को खुश देखी तो उसके पास आकर बोली ,” मैं तो बेकार ही डर रही थी मम्मी ने बताया तुम्हारी सास ने बहुत सेवा की है तुम्हारी…और पता है क्या कह रही थी जब अंकिता का जन्म हुआ था तब बहुत समय बाद हमारे व्यापार में बहुत मुनाफ़ा हुआ था कह रही थी है क़िस्मत वाली है अंकिता…. उपर से तेरे कदम जब ससुराल में पड़े थे तब रोहित को वो जॉब  मिल गई जो वो कब से करना चाहता थी …मायके ससुराल दोनों जगह अंकिता की क़िस्मत अच्छी ….नाज कर अपनी क़िस्मत पर ।”

“ सही कह रही हो दी सच में मम्मी जी और रोहित ने बहुत ध्यान रखा मेरा जरा भी एहसास ना हुआ मुझे कुछ दिक़्क़त भी है सच में क्यूँ ना करूँ अपनी क़िस्मत पर नाज जब सब अच्छा अच्छा हो रहा हो ।”अंकिता बच्ची के मासूम चेहरे को देखते हुए बोली 

उसकी बड़ी बहन ने झट से नज़र का टीका लगा दिया अपनी बहन की क़िस्मत पर किसी का बुरा साया ना पड़े।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#वाक्यकहानीप्रतियोगिता 

# क्यूँ ना करूँ अपनी क़िस्मत पर नाज़ 

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