सुधा जी के दो बार ग्लास खटखटाने की आवाज से प्रिया को महसूस हुआ कि शायद मम्मी जी पानी मांग रही हैं !!
प्रिया डायनिंग टेबल पर सुधा जी के लिए पानी लेकर पहुंची ही थी कि सुधा जी बोली – पानी लाने में इतना समय लगता हैं क्या ?? मायके से कुछ संस्कार लेकर आई होती तो जल्दी जल्दी हाथ चलाती मगर बस ऐसे ही लड़की को भेज दिया ससुराल , अब यहां हमें सुधारना पड़ रहा हैं इसको !!
प्रिया सास की बात पुरी होने से पहले ही बोल पडी बस मम्मी जी !! बहुत हो गया आपका , दो साल से यही सब सुनते आ रही हुं , आपका हर दिन का ड्रामा अब झेला नहीं जाता , रोज एक नए डर के साथ सुबह उठती हुं कि जाने आज क्या नई गालियां सुननी पड़ेंगी मुझे !!
बहु , तेरी इतनी हिम्मत कि तु मेरे सामने जबान चला रही हैं , आशिष – आशिष कहां हैं तु ?? सुधा जी अपने बेटे को आवाज देने लगी !!
आशीष के कमरे से बाहर आते ही सुधा जी बोली – यह देख तेरी बीवी क्या क्या बक रही हैं , अगर तु इसे सर पर ना चढ़ाता तो इसकी इतनी हिम्मत कभी नहीं होती कि यह अपनी सास को उल्टा जवाब दे !!
आशिष बोला – प्रिया मम्मी से माफी मांगो और चुपचाप अपने कमरे में चलो !!
प्रिया बोली – आप तो चुप ही रहिए , मम्मी जी आज दो साल से मुझ पर अत्याचार कर रही हैं मगर आप और पापाजी घर के मर्द होकर भी महाभारत के भीष्म पितामह की तरह चुप होकर बस देखते रहते हैं , गलत को गलत कहने की हिम्मत नहीं करते , अगर आप दोनों ने गलत के खिलाफ आवाज उठाई होती तो आज मुझे कभी अपने लिए नहीं बोलना पड़ता !!
सुधा जी बोली – आशीष , लगता हैं तेरी पत्नी का दिमाग खराब हो गया हैं , तेरी बड़ी भाभी ने भी घर में इसी की तरह मेरे सामने जवाब देने की गलती की थी जिसकी सजा तेरी भाभी के साथ साथ तेरा बड़ा भाई भी भुगत रहा हैं !! दोनों को घर से निकाल दिया मैंने और आज जाने कहां किरायों के मकान में भटक रहे हैं दोनों !! चार साल हो गए मुझे उनका मुंह देखे !!
प्रिया बोली – मम्मी जी अपने ही बेटे और बहू को घर से निकालने का बड़ा फक्र हैं आपको जबकि आपको अपनी गलती का पश्च्चाताप होना चाहिए था मगर नहीं आप तो हमको भी धमका रही हैं !!
सुधा जी के पति नरेन्द्र जी डायनिंग टेबल पर बैठे चुपचाप सब सुन रहे थे , दरहसल नरेन्द्र जी बहुत सुलझे हुए और समझदार इंसान थे !! ऐसे समझदार इंसान को सुधा जी जैसी तेज – तर्राट पत्नी मिली थी !!
अपने टाईम के शिक्षक रहे नरेन्द्र जी पुरी दुनिया को ज्ञान देने में काबिल थे बस अपनी पत्नी को छोड़कर !! वे कभी सुधा जी के गुस्से को काबू नहीं कर पाए थे इसलिए हमेशा चुपचाप सारा तमाशा देखते !!
आज तो नरेन्द्र जी का घर , घर कम और युद्ध का अखाड़ा ज्यादा लग रहा था !! दोनों सास बहू एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रही थी !!
आशीष जबरदस्ती प्रिया को अपने कमरे में ले गया और बोला – प्रिया , तुम क्यों मां के मुंह लग रही हो ?? तुम जानती तो हो मां कैसी हैं ?? सारे रिश्तेदार , पड़ोसी और समाज वालों को पता हैं मां का स्वभाव फिर भी तुम इनके मुंह लग रही हो !!
प्रिया बोली – आशीष , तुम्हें क्या तुम तो सुबह ऑफिस के लिए निकल जाते हो , घर में पूरे दिन मैं ही बच जाती हुं इनकी गालियां सुनने !! सोचो क्या दो साल में मैंने कभी अच्छा खाना नहीं बनाया होगा ?? क्या कभी अच्छी चाय नहीं बनाई होगी ??
आशीष बोला – प्रिया तुम बहुत अच्छा खाना और चाय बनाती हो मगर मां की आदत हैं बहु को नीचा दिखाने की वह तुम्हारे हर काम में कमी निकालेगी !!
प्रिया बोली ओर हर बात पर मेरे मायके वालों को गलियां देना वह तो इनका रोज का हो गया हैं आशीष , अब मुझसे बरदाश्त नहीं होता , बड़े भैया और भाभी को भी घर से निकाल दिया इन्होंने और अब मुझे और तुमको धमका रही हैं वे !! क्या यह सही हैं ??
आशीष बोला – मैं जानता हुं प्रिया , मम्मी गलत हैं मगर तुम क्यों बात का बतंगड़ बना रही हो !!
प्रिया बोली – आशीष शायद तुम मेरी जगह होते तो तुम मेरा दर्द समझ पाते !!
खैर प्रिया ने मन ही मन ठान लिया कि वह सास की अक्ल ठिकाने लगाकर रहेगी , पुरा घर उनसे डरता हैं बस इसी बात का फायदा उठाती हैं वह !!
सुधा जी घर के मर्दो की बिल्कुल भी नहीं सुनती थी !! घर के मर्दो को इस घर में कुछ भी फैसले करने का तक हक नहीं था क्योंकि घर के छोटे बड़े सभी फैसले सुधा जी ही लेती थी !!
रात को जब प्रिया सभी को खाना परोस रही थी तो सुधा जी ने खाने की थाली फेंकते हुए कहा – मुझे नहीं खाना तुम्हारे हाथ का खाना , तुमने अब तक अपने किए की माफी नहीं मांगी !!
प्रिया बोली – मम्मी जी , लड़ाई की शुरुवात आपने की थी और आपको खाना नहीं खाना तो कोई बात नहीं मगर अन्न को फेंककर यूं अन्न का अनादर मत कीजिए !!
सुधा जी चिल्लाकर बोली – अभी की अभी तुम मेरे घर से निकल जाओ और आशीष तुम भी इसके साथ चले जाओ !! मैं अपनी सारी प्रापर्टी अनाथालय में दान कर दूंगी !! बड़ा बेटा और बड़ी बहू तो नालायक थे ही अब छोटा बेटा और बहू भी उन्ही के नक्षे कदम पर चल रहे हैं !! सुनो जी , कल की कल वकील को बुलाओ मैं कल ही प्रॉपर्टी के कागजात बनवाती हुं और सब कुछ अनाथालय में दान कर दूंगी !!
प्रिया बोली – हां बुलाइए वकील को मैं भी देखती हूं हमारे रहते आप कैसे सब कुछ अनाथालय में दान करती हैं ??
आप भी इस घर की बहू हैं और मैं भी और यह सारी प्रापर्टी आपकी नहीं हैं जो दान कर देंगी , यह खानदानी प्रापर्टी हैं जिस पर आपका अकेले का हक नहीं हैं !!
बड़ी भाभी को तो डरा -धमकाकर घर से निकाल दिया आपने , अब चाहती हैं कि हम भी निकल जाए , ताकि आप अकेली यहां आराम से रहे !!
सुधा जी फिर से गरजते हुए बोली – चुप हो जाओ बहु वर्ना अच्छा नहीं होगा !!
नरेन्द्र जी बोले – बहु , तुम एक काम करो , थोड़े दिन मायके चली जाओ , सुधा अभी बहुत गुस्से में हैं !!
आशीष भी उसके पापा का साथ देते हुए बोला – हां प्रिया यही ठीक रहेगा !!
प्रिया बोली – क्या मेरे मायके जाने से यह प्रॉब्लम खत्म हो जाएगी पापाजी ?? मम्मी जी को तो मैं दो सालों से आंखों में खटक रही हुं !!
मुझे तो लगता हैं कि जब घर के मर्द एक औरत से डरने लगे तो समझ जाना चाहिए कि घर का सर्वनाश नजदीक हैं !!
सुधा जी पैर पटकटे हुए चिल्लाकर अपने पति नरेन्द्र जी से बोली – आप क्या खडे खड़े इस कल की आई लड़की की बातें सुन रहे हो ?? बता दो कि तुम इस घर के मर्द ही हो , इसको घर से बाहर निकालकर बता दो कि इस घर में तुम्हारा ही चलता हैं !!
नरेन्द्र जी ने एक इन्नाटेदार चाटा सुधा जी के गाल पर जड़ दिया , सुधा जी को तो अचानक झटका लग गया और वह हक्की बक्की नरेन्द्र जी को देखने लगी !!
नरेन्द्र जी बोले – सुधा , दरहसल यह काम मुझे बहुत पहले ही कर देना चाहिए था जो मैंने आज किया हैं !! तुम्हारी वजह से मैं अपने एक बेटे बहु को खो चुका हुं , अब दूसरे को नहीं खोना चाहता !! तुमने अपनी मनमानी कर करके मेरा घर र्बबाद कर दिया , मैं सोचता रहा शायद तुम एक दिन सुधर जाओगी मगर तुममें तो कोई बदलाव नहीं आया , तुम जाहिल की जाहिल ही रही मगर अब एक बात कान खोलकर सुन लो बहुत कर ली तुमने अपनी मनमानी , अब इस घर में वही होगा जो मैं चाहूंगा कहकर तुरंत उन्होंने अपने बड़े बेटे और बहू को फोन करके घर आने कहा और बोले अब बड़ा बेटा और बहू भी हमारे साथ यही रहेंगे और सुधा अगर तुम मुझसे तलाक चाहती हो तो बुढ़ापे में भी मैं तुम्हें तलाक देने तैयार हुं , यह सारी मेरे पुरखो की प्रॉपर्टी हैं , तुम्हारे पिता ने मुझे दहेज में नहीं दी थी जो तुम बात बात पर अनाथालय में प्रॉपर्टी दान करने की धमकी देती हो !! तलाक के बाद तुम्हें तुम्हारा हिस्सा मिल जाएगा !!
सुधा जी एकदम चुप थी और चुप्पी साधे वह सीधे अपने कमरे में चली गई !! उनकी चुप्पी इस बात का प्रमाण थी कि अब घर की कमान सही आदमी के हाथ में थी !!
दोस्तों , बहुत से घरो में देखा गया हैं कि कुछ औरते मर्दो की सही बातों को दबाकर खुद घर का मर्द बनने की कोशिश करती हैं जिस चक्कर में उनका घर हमेशा के लिए बर्बाद हो जाता हैं इसलिए आवश्यक हैं कि ऐसी घर की स्त्रियों के पुरुषों को घर की बागडोर अपने हाथ में रखनी चाहिए !!
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आपकी सहेली
स्वाती जैंन