तेरे जाने के बाद इस घर में तेरी कोई जगह नहीं रहेंगी – रश्मि प्रकाश

“ महक दी आप ऐसे कब तक अपने कमरे में ऐसे बंद होकर रहोगी….चलो बाहर आओ .. सब आप का ही इंतज़ार कर रहे हैं ।” महक की भाभी श्यामा उसे अपने कमरे से निकालने की हज़ार कोशिश कर चुकी थी पर महक चुपचाप कमरे में बैठ कर रोये जा रही थी

तभी महक की माँ कमरे में आई और बोली,“ बेटा ये भी कोई बात हुई तुम यूँ छोटी छोटी बातों पर नाराज़ होकर रहोगी तो कब तक कोई तुम्हें मनाने आएगा… अब शादी होने वाली और तुम नाहक ही भवेश ( भाई)की बातों में आकर मुँह फूला कर बैठ गई हो… वो तो बस मजाक कर रहा था…. तुम्हें क्या लगता है सच में तेरे जाने के बाद इस घर में तेरी कोई जगह नहीं रहेंगी?

“ पर माँ भाई को ऐसे तो नहीं बोलना चाहिए था ना… मैं जाने वाली हूँ इसका मतलब वो मेरे कमरे को भी अपने स्टडी रूम में बदल देगा और बोल रहा जो तेरे इतने नॉवल्स है ना सबको बाँट दूँगा,मेरा सामान भी घर से निकाल देगा ।ऐसा करता है क्या कोई? ” महक ने माँ से कहा

“ नहीं महक दी, आपके किसी भी सामान को हाथ नहीं लगाने दूँगी… आप अपने भैया की मस्ती भी नहीं समझ सकती.. वो बस आप को छेड़ते रहते हैं.. अंदर से वो कितना रोते हैं वो बस मैं ही जानती हूँ । अब आप भवेश की बात भूल जाओ और बाहर हॉल में आकर देखो तो सही क्या तैयारी चल रही है ।” श्यामा ने कहा

महक भारी मन से कमरे से बाहर निकली। अभी भी ऐसा लग रहा था एक महीने बाद जो विदाई होनी है भाई आज ही भेजने के मूड में है ।पर ये क्या……हॉल में तो सब कुछ बदला बदला नजर आ रहा था ।

हर तरफ़ पूरे परिवार की तस्वीरें लगी थी ।महक की बचपन एक तस्वीर थी जिसमें भवेश उसकी चोटी खींच रहा था और महक उसको घूर रही थी ।

“ पगली तू कैसे सोच लेती हैं तेरे जाने के बाद इस घर में तुम्हें जगह नहीं मिलेगी… महक तू तो मेरी प्यारी बहन है रे… पापा के जाने के बाद मैंने इतने लाड़ प्यार में बस इसलिए रखा कि तुम्हें पापा की कमी कभी महसूस नहीं हो… आज तू सुबह से खुद को कमरे में बंद करके रखी हुई थी देख मैं खाना भी नहीं खाया, मेरी बहन मुझसे नाराज़ हो गई सोचकर!अब आ जा साथ में खाना खा ले… पता नहीं फिर कब तेरे साथ बैठ कर खाना नसीब होगा ।”भवेश ने कहा



“ चलिए आप दोनों भाई बहन अपने आँसुओं को वॉश बेसिन में बहाकर आइए.. हमारे घर में आँसूकी कोई जगह नहीं रहेंगी ।मैं दोनों के लिए खाना लगाती हूँ।” कहकर श्यामा रसोई में चली गई

 आज श्यामा ने दोनों भाई बहन की पसंद की दाल मक्खनी , पनीर की सब्ज़ी और नान बनाए थे ।

खाना परोसकर श्यामा ने कहा,“ दीदी आप कभी ये मत सोचना ,ना मन में लाना की भवेश आपको एक पल को भी भूल सकते हैं… आज पाँच साल से आप सब के साथ हूँ… जो कभी ये सुबह उठकर मुझे ये ना बोले हो महक का हमेशा ध्यान रखना… उसको हमेशा अपना प्यार दुलार देना… आप जैसे अपने दो साल के भतीजे को प्यार करती हो ना बस वैसा प्यार आपके भाई भाभी आपसे करते हैं ।”

“ महक देख बेटा इतना प्यार करने वाले तेरे भाई भाभी है… पिता के ना होने पर भाई ने सब ज़िम्मेदारी उठा ली … देखना जब मैं ना रहूँगी तेरी भाभी तुम्हें कभी माँ की कमी महसूस नहीं होने देंगी । बेटा प्यार दोनों तरफ़ से होता है तभी रिश्ते भी निभते बस ये समझ तेरी भाभी तेरी माँ जैसी बस फिर किसी बात की कोई कमी महसूस ही नहीं होगी ।क्यों श्यामा बहू मेरे नहीं होने पर भी महक का मायका बना रहेगा ना…!” महक की माँ ने कहा

“ ये कैसी बात कर रही है माँ आप साथ रहेंगी और महक दी को हमसब का पूरा प्यार मिलेगा ।बस अब ये ज़्यादा मुँह फुलाए तो मैं भी मुँह फुलाकर बैठ जाऊँगी फिर देखते हमें कौन मनाने आता ।” महक को छेड़ते हुए श्यामा ने कहा

महक उठकर अपनी भाभी के गले लग गई और बोली,“ अब मुँह फुलाए मेरी जूती….. मैं तो आज से नखरे करने वाली हूँ…. छुटकू ( भतीजे) की तरह जो अपनी बात मनवाने के लिए रोना शुरू कर देता… ।”

 “ अरे दी आँसुओं को बचाकर रखना ,विदाई के वक़्त बहाना अभी तो इन आँसुओं की जगह यहाँ नहीं है ।” श्यामा ने माहौल को ठीक करने के उद्देश्य से कहा

एक महीने बाद महक की शादी हो गई… विदाई के वक़्त श्यामा के गले लग कर महक ने कहा,“ भाभी मेरा मायका सदा मेरा बनाए रखना जैसे आपका मायका आपका इंतज़ार करता है वैसे ही मेरे मायके को भी मेरा इंतज़ार रहें ।”

“ हाँ दी ,आप जैसा छोड़ कर जाओगी वैसा ही मिलेगा हमारी प्यारी यादों को संजोए हुए ।” श्यामा ने महक को गले लगाकर कहा

आज भी महक का मायका महफ़ूज़ है… किसी किसी को क़िस्मत से ऐसे रिश्ते मिल जाते जैसा महक और श्यामा का था।

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धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

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