नमिता ने जब से मिश्रा जी जी के घर में सफाई-बर्तन शुरू किया तब से बैचेन रहने लगी। उसकी बैचेनी का कारण था उनका दो साल का बेटा राहुल ।
नमिता जब भी राहुल को देखती उसके प्रति एक लगाव सा महसूस करती। उसका मन उसको गोद में लेने के लिए मचल उठता। लेकिन मिसेज़ मिश्रा जी यानि प्रिया अपने बेटे को किसी को नहीं लेने देती।उनका कहना था “राहुल बड़ी मन्नतों के बाद हुआ है जब तक उसकी मान नहीं उतर जाती वो उसको कहीं बाहर भी नहीं ले जाएगी और किसी की गोद में भी नहीं देगी।”
इसलिए नमिता उसको दूर से ही देख कर खुश हो लेती। कभी-कभी नमिता सोचती कि अगर उसका भी बेटा जिंदा होता तो राहुल जितना ही बड़ा होता।नमिता ने भी दो साल पहले एक बेटे को जन्म दिया था। लेकिन डॉक्टर ने कहा
“सॉरी हम आपके बच्चे को बचा नहीं पाए आपका बेबी सांस नहीं ले पा रहा था। हमने काफी कोशिश की लेकिन वो सांस नहीं ले पाया और होने के कुछ मिनट बाद ही उसकी डेथ हो गई।”
ये सुनकर नमिता बुरी तरह से टूट गई । ना जाने बच्चे को लेकर कितने सपने उसने और उसके पति मोहन ने देख रखे थे जो एक मिनट में ताश के पत्तों के महल जैसे धराशाई हो गए। जैसे-तैसे नमिता अपनी नॉर्मल जिंदगी में लौट पाई और अभी पिछले साल से ही उसने फिर से काम करना शुरू किया था।
प्रिया के घर का काम तो 15 दिन पहले से शुरू किया था। जहां राहुल को देखकर उसके जख्म फिर से हरे हो गए। ऐसा नहीं था कि दूसरे घरों में छोटे बच्चे नहीं हों पर राहुल को देखकर जो बैचेनी होती थी वो और बच्चों को देख कर नहीं होती।
नमिता रोज़ इन्ही विचारों में खोई रहती थी कि एक दिन बड़ा हादसा हो गया। राहुल खेलते-खेलते सिर के बल गिर गया और उसके सिर में बहुत गहरी चोट लग गई जिस कारण काफी खून निकल गया।
जल्दी से उसको अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टर्स ने ब्लड का इंतजाम करने को कहा।
राहुल का ब्लड ग्रुप o- था और उस समय o- ग्रुप ब्लड बैंक में उपलब्ध नहीं था। डॉक्टर ने राहुल के पैरेंट्स को ब्लड देने के लिए कहा लेकिन दोनों में से किसी का तो ग्रुप मैच करना चाहिए।
“क्या आपने बच्चे को एडॉप्ट किया है ? “डॉक्टर ने आश्चर्य से पूछा।
“नहीं ये तो मेरा ही बेटा है।”प्रिया ने कहा।
“डॉक्टर प्लीज़! अभी तो आप राहुल को जिंदगी बचाइए।”मिस्टर मिश्रा जी ने प्रार्थना की।
मिश्रा जी दंपती के साथ आई नमिता भी ये सब सुन रही थी। अचानक उसको याद आया कि प्रेग्नेंसी के समय उसका भी ब्लड ग्रुप टेस्ट करवाया गया था को o- था।
नमिता दौड़ कर डॉक्टर के पास गई और बोली
“मेरा ब्लड ग्रुप o- है आप मेरा ब्लड ले लीजिए।”
नमिता का ब्लड का टेस्ट हुआ और राहुल को नमिता का ब्लड चढ़ा दिया गया। कुछ दिनों में राहुल ठीक हो गया।
नमिता के ब्लड देने से प्रिया उसका काफी अहसान मानती थी और अब उससे बातें भी करने लगी थी। एक दिन बातों ही बातों में नमिता ने प्रिया से पूछा
“मैडम! डॉक्टर कह रहे थे की माता-पिता के ब्लड ग्रुप में से किसी एक का ब्लड ग्रुप बच्चे में आता है लेकिन अपने राहुल बाबा का ब्लड ग्रुप अलग है ये कैसे संभव है ? “
प्रिया ने नमिता की बात टाल दी। लेकिन नमिता को ये बात उसी दिन से खटक रही थी। इसलिए उसने इस बारे में और जानकारी जुटाने के लिहाज से अपनी डॉक्टर से बात की जिनको वो प्रेग्नेंसी टाइम में दिखाती थी पर पैसे की कमी के कारण डिलीवरी सरकारी अस्पताल में करवाई और उस समय ये डॉक्टर छुट्टी पर थीं।
नमिता ने जब सारी बात डॉक्टर मैडम को बताई तो उन्होंने कहा
“नमिता जब तक मैंने तुमको एक्जामिन किया तुम्हारा बच्चा एकदम स्वस्थ था लेकिन ये भी संभव है कि डिलीवरी के समय कुछ कॉम्प्लिकेशन हो जाएं और बच्चा बच ना पाए।”
नमिता ने अपने मन में चल रही उधेड़ बुन को मैडम से शेयर करना उचित समझा और बोली
“मैडम जी ! मेरा मन कहता है कि उस वक्त मेरा बेटा ठीक था और उसको बदल दिया गया। ये बात राहुल वाली घटना से और ज्यादा महसूस होने लगी है। जब तो मैंने अपने को संभाल लिया था लेकिन अब बहुत मुश्किल हो रहा है। क्या कोई तरीका नहीं है ये पता करने का कि राहुल किसका बेटा है ?”नमिता ने कहा।
“डीएनए टेस्ट से इस बात का पता लगाया जा सकता है। लेकिन वो इसके लिए तैयार हों तब ही कराया जा सकता है।”डॉक्टर ने कहा।
“मैडम! अभी जिन डॉक्टर ने राहुल का इलाज किया था अगर वो कहे तो शायद प्रिया मेमसाहब मान जाएं।”नमिता ने कहा।
“ठीक है। मैं कोशिश करती हूं।”डॉक्टर ने आश्वासन दिया।
आखिरकार राहुल का डीएनए टेस्ट हो गया और इधर नमिता और उसके पति ने भी डीएनए टेस्ट करवा लिया जो कि राहुल के डीएनए से मैच हो गया। ( पैरेंट्स के डीएनए से कुछ हिस्सा मैच करता है पूरा नहीं)।
अब नमिता ने प्रिया से कहा
“मेमसाहब ! आप सच बता दें कि राहुल आप का बेटा नहीं है आप ने धोखे से इसे अपना बना लिया है।”
“तुम इतनी बड़ी बात कैसे कह सकती हो ? “प्रिया गुस्से से चिल्लाई।
“अभी तो मैं आप से कह रही हूं लेकिन अगर आपने सच्चाई नहीं मानी तो मैं पुलिस के पास जाऊंगी क्योंकि राहुल आपका नहीं मेरा बेटा है।”नमिता ने कड़ाई से कहा।
प्रिया के चेहरे का रंग एकदम सफेद पड़ गया और उससे कुछ कहते ना बना।
नमिता ने आगे कहना जारी रखा
“जब से मैं आपके घर काम करने आई थी तब से मेरा मन राहुल की तरफ खिंचा-खिंचा रहता था ।लेकिन जब राहुल गिरा और मेरा ब्लड ग्रुप उसके ब्लड ग्रुप से मैच कर गया तो मेरा माथा ठनका कि कुछ तो दाल में काला है । इसलिए मैंने और जानकारी जुटाई और राहुल का डीएनए टेस्ट करवाया। जिसमें सच्चाई सामने आ गई क्योंकि राहुल का डीएनए टेस्ट मेरे और मेरे पति से मैच कर गया है। अब आप या तो खुद ही राहुल को मुझे सौंप दें नहीं तो मुझे कानूनी सहारा लेना पड़ेगा।”
प्रिया के पास अब कोई चारा नहीं था क्योंकि वह जानती थी कि उसने एक मरे हुए बच्चे को जन्म दिया था और उसके बच्चे से किसी दूसरे का बच्चा बदल दिया गया था। जिसका बच्चा बदला गया था उससे इस तरह से सामना होगा उसने सपने में भी नहीं सोचा था।
प्रिया ने राहुल को नमिता की गोद में दे दिया। नमिता मंत्रमुग्ध होकर राहुल को देखती रही और धीमे-धीमे गुनगुनाने लगी
#धोखा
तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई यूं ही नहीं दिल लुभाता कोई…..
अनिता गुप्ता