तैयारी – कंचन श्रीवास्तव 

कहते हैं शरीर साथ न दे तो छोटा सा छोटा काम भी भारी लगता है, ऐसे में कोई हाथ बटा दे।तो लाखों लाख दुआएं निकलती हैं।

पर आज के समय में इसकी उम्मीद झूठी दिलासा दिलाने जैसा है।

बस इसी बात को लेके सुलेखा परेशान हैं ,होना  लाजिमी भी  है।

भाई दौर ही ऐसा चल रहा है ,अभी पांच छह महीने पहले ही बेटे की शादी की है।

वो भी कामकाजी ,अब कामकाजी हैं तो जाहिर सी बात है उतना वक्त नहीं दे पाएगी जितना घरेलू लड़कियां ब्याह के बाद दे देती है।

सब कुछ फिक्स है उससे न एक मिनट इधर न उधर और अगर कभी हो जाता है तो सारी कटौती अपने नाश्ते खाने में करती है ।

वो ऐसे की नए जगह पर आकर अरजेस्ट तो र रही पर यदि कभी काम काज के दौरान देर होती है तो नाश्ता नहीं करती या जल्द बाजी में खाती है और यह भी नहीं हुआ तो सीधे खाना का लेती है वगैरा वगैरा कुछ ऐसा ही रोटीन उसका चलता है।

जिसे वो बहुत अच्छे से नोटिस करती है। पर कुछ कहती नहीं।

वो इसलिए की उसके बेटे की नौकरी भी प्राइवेट है , और आर्थिक रूप से घर से भी ज्यादा मजबूत नहीं है।

ऐसे में जब परिवार बढ़ेगा तो गृहस्थी चलाना कठिन हो जाएगा।

बस यही सोच वो चुप हो जाती है।

पर कहते हैं ना कि बुढ़ापे में हड्डियां कमजोर हो जाती है।उतनी ताकत नहीं रहती जितनी की जवानी में बढ़ चढ़ कर फटाफट काम कर लेती है।

तभी तो कल की चिंता उसे सता रही हैं कैसे होगा इतना बड़ा त्योहार है  ,उसका शरीर अब चलता नहीं और दिव्या के पास वक्त नहीं है।



यही सोच सोचकर रात भर परेशान रही , और भोर हे रात उसे जाने कब नींद आ गई।

और वो सो गई।

सो गई तो उठी नौ बजे।

घड़ी देखी तो वो नौ बजा रही थी हड़बड़ाकर उठी और सीधे रसोई में भागी।

अरे बाप ये बाप आज तो बड़ा लेट हो गया अब क्या होगा।

सारा काम बिज बिजाया पड़ा है आज तो रेखा भी नहीं आएंगी।

वो तो कल ही छुट्टी लेकर चली गई कि कल करवा चौथ है हम नहीं आएंगे।

पर वहां पहुंच कर देखी रसोई एकदम चमचमा रही थी , बहुरानी मेंहदी लगे हाथों से दाल और मसाला पीस रही ।

जिसे देख ये बोली अरे आज तुम्हारा आफिस नहीं है क्या।

तो वो बोली।है मां पर आज थोड़ा देर से जाऊंगी और जल्दी ही आ जाऊंगी । पीछे से कंधों को सहलाती हुई बोली मां मुझे अपनी जिम्मेदारियां निभानी आती है , सुनिए 

मैं प्री प्रिपरेशन करके जा रही हूं और जल्द ही आकर सब कुछ बनाऊंगी आप परेशान मत होइएगा।

और हां बाबू जी का नाश्ता, इनका टिफीन और देवर जी के लिए जूस निकाल दिया है।

अच्छा मैं चलती हूं कहते हुए निकली और दुपट्टा संभालते हुए स्कूटी स्टार्ट कर आफिस चली गई, आज उन्हें ऐसा लगा कि आधुनिक के साथ साथ जिम्मेदार भी है।

सोचते हुए नहा धोकर पूजा कमरे में पूजा की तैयारी करने चली गई।

शाम को करवा चौथ की पूजा जो दोनों को करनी है।

 

स्वरचित

कंचन श्रीवास्तव 

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