आज रैना की बिटिया रो रही थीं।तभी उसकी सास कमरे से निकलते ही बोली- ” रैना बहू तेरा ध्यान किधर रहता है? एक तो मेरी मुनिया बिटिया रो रही है और इधर दूध की नदिया बहा दी। “
तब रैना ने कहा- “मम्मी जी मेरी बहन का फोन आ गया।तो ध्यान से निकल गया और बस इसलिए •••• रिया रो रही थी, मैंने सोचा उसके लिए दूध उबाल दूं ,तो तेज आंच पर रख दिया। और बात करते हुए कमरे में रिया के रोने की आवाज सुन कर वहां उसे उठाने आ गई।बस मम्मी जी अभी समेट लेती हूं।”
क्या•• पहले मुनिया को चुप करा और दूध पिला। फिर दूध समेटना उसे डांटते हुए उमा जी कहती हैं।
फिर वह कहने लगी -“मम्मी जी रिया को आप ले लो। ताकि मैं दूध समेट लूं।” तब उमा जी बड़बड़ा कर कहने लगती एक काम तक तो ढंग से होता नहीं और एक फोन न जाने की कहां की बला हो गई।जब देखो तब उसी में घुसे रहो। यहां घर परिवार की फ़िक्र है, न कोई काम की, अपनी बेटी को कम से कम दूध पिला दे। फिर फोन में बात करें। बातें तो बाद में भी हो सकती है।इस बात को ध्यान रखना चाहिए। और पता है कि दूध कितने रुपए लीटर है? मैं बिल चुकता करती हूं, डेढ़ लीटर दूध था।कभी धीमी आंच पर रखकर भूल जायेगी।कभी नदियां बहा देगी।
इस तरह वे लगातार बोले जा रही थी।
तभी रैना बोली- “मम्मी जी मैंने जानबूझ कर तो नहीं किया न•• अब तो पतीले से बाहर आ चुका है।तो आपके इस तरह बड़बड़ाने से पतीले में वापस नहीं चला जाएगा।आगे से अब ध्यान रखूंगी।”
अब मुझसे बहस करेगी क्या •••आजकल की बहूओं को नुक़सान की पड़ी ही नहीं है।जैसे पैसे पेड़ पर उगते हैं। और मेरा बेटा मेहनत से कमाता है।ऐसे ही पैसे नहीं आ जाते हैं समझी••• उमा जी बोले जा रही थीं।
इतना सुनने के बाद रैना देखती है कि चाय के लिए दूध ही नहीं बचा है ,जो थोड़ा सा रह गया था वो रिया को पिला दिया है ,अब शाम को दूध वाला नहीं आता है। क्या किया जाए •••
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तब उसने सोचा कि दूध का नुक़सान तो हो ही गया है, जब सुमित आएंगे तो आधा लीटर दूध ही ले आऊंगी।अभी मैं मिल्क पाउडर से अपनी और मम्मी की चाय बना लेती हूं।
तब चाय पीते ही उमा जी चिल्लाते हुए कहने लगी-” रैना, रैना ये कैसी चाय बनी है! कम से कम डेयरी से दूध ले आती ,पता है न मैं मिल्क पाउडर वाली चाय नहीं पीती अगर तुझे नहीं लाना था तो मुझे ही कह देती। मैं ही ले आती कम से कम दूध पाउडर वाली चाय तो न बनायी होती।
तब रैना कहती -” आप मुझे फिर सुना देती कि सत्तर रुपये का दूध आता है। इसलिए सोचा कि आधे लीटर दूध से काम चला लूंगी।जब रिया के पापा के आने से पहले ले आऊंगी।आप छोटी सी छोटी बात का इतना तिल का ताड़ बना देती है। मम्मी जी इसीलिए नहीं बोला। मैं नहीं चाहती थी कि आप मेरा तनाव बढ़ाए,फिर उमा जी कहती -“चल ठीक है अभी जाकर ले आ••••”
वह आधा लीटर दूध ले आती है। क्योंकि दूध की जरूरत तो पड़नी ही थी।उसके पति सुमित जो आने वाले थे और बिटिया को रात के लिए चाहिए भी था।
अब उमा जी भी कुछ न बोल पाई। खैर•••
अगले दिन पूजन में उन्हें रेड साड़ी पहननी थी।तब उन्होंने रैना को बोला – ” रैना तेरे कपड़े प्रेस हो गये क्या?मेरी रेड वाली साड़ी प्रेस कर दे,कल सरला जी के यहां पहन लूंगी।” जब रैना साड़ी प्रेस कर रही थी ,तभी रिया साड़ी के पास आ जाती है, जैसे ही उसे दूर बैठाने गई, उसी समय उनकी साड़ी गलती से फिर जल गई। थोड़ी देर बाद उमा जी जैसे ही उससे साड़ी मंगाने लगी ,तब वह बोली -“मम्मी जी मुझसे वो साड़ी गलती से जल गई।”
तब तो उनका पारा हाई हो गया , और वो चिल्लाकर कहने लगी -“मेरी सबसे अच्छी साड़ी थी। सोचा था कि मैं कल पहन लूंगी पर तुझे क्या•• कितनी मंहगी साड़ी थी।मैं अब क्या पहनूंगी मुझे लाल रंग पूजन में पहनना अच्छा लगता है अब क्या करुं।”
तब रैना ने कहा-” मम्मी जी गलती हो गई,अब क्या करुं?आप मेरी वाली रेड साडी पहन लेना।यही कर सकती हूं।”
तभी सुमित आ जाता है।वो बेटे से उसकी शिकायतें बताने लगती है •••तब रैना कहती हैं- मम्मी जी अभी उन्हें चैन की सांस तो ले लेने दो।
चाय वगैरह पी ले।तब बताना, बिना बताए तो आप रहोगी नहीं, मुझे पता है •••••तब सुमित कहता क्या हुआ मां••••ऐसी क्या आफत आ गई कि जो रुक नहीं सकती •••!!
वो कहती -” ठीक है बेटा तू चाय पी ले। फिर तुझे कुछ बताती हूं।”
अब थोड़ी देर बाद सुमित उनके पास आकर बैठता है बोलो-” मां क्या कह रही थी आप?तब रैना की लापरवाही थोपते हुए उसे गुनहगार ठहरा देती है।बताओ बेटा अगर मैं बहू पर न चिल्लाऊं तो क्या करुं?
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तब रैना भी कहां चुप रहने वाली थी।पता नहीं मम्मी जी को मुझसे इतनी परेशानी क्यों है?मैं जानबूझकर तो नहीं करती हूं।घर में थोड़ा बहुत तो चलता रहता है।ये तो मेरी ग़लती थी,तो मैंने मान ली ।तब पर भी मम्मी जी बड़बड़ाती ही रहती है। और फालतू में घर का माहौल खराब होता है साथ ही तनाव की स्थिति होती है।
तब सुमित मां को समझाकर कहता -” मां कलह करने से जो नुक़सान हो गया वो मुनाफे में बदल तो जाएगा नहीं , इससे होगा क्या, आपकी बातों का असर रैना पर होगा नहीं।तो आप कम से कम अपना सम्मान बनाए रखने के लिए कम से कम उसके दिल में अपना सम्मान तो मत खोइए।इस तरह नफा नुकसान से ऊपर उठकर बेटे ने मां को समझाया , मां आप प्यार से अपनी छवि बनाएं न कि बिगाड़े ताकि आप दोनों के बीच तालमेल बना रहे। तनावमुक्त माहौल से घर की शांति बनी रहेगी।”
और यह सुनकर रैना ने भी कहा- “मुझे भी पता है कि पैसे बड़े मुश्किल से आते हैं।पर हर जगह नफा नुकसान देखकर बहू को कोसना भी कहां तक ठीक है।”
इस तरह सुमित मां और बहू के बीच सुलह कराता है। फिर दोनों को समझाया कि मैं पूरे दिन घर में नहीं रहता हूं।तो आप लोग प्यार से एक दूसरे के साथ रहिए क्योंकि प्यार से रिश्ते में तनाव नहीं होता।इस तरह उसकी मां ने भी कहा-” हां बेटा मैं भी कोशिश करुंगी कि मैं गुस्सा न करु। तनाव वाली स्थिति न आए कि मैं तुम्हें बताऊं या फिर बहू का मेरे प्रति सम्मान न रहे।और फिर वह कहना ही न सुने या मेरी बात का असर ही न रह जाए। इस तरह घर में तनाव की स्थिति खत्म होने लगती है।न ही अब सुमित को मां शिकायतें करके तनाव बढ़ाती।
घर में यदि सास बहू के बीच सही तालमेल हो तो कभी तनाव नहीं हो सकता है।
दोस्तों – आमतौर पर घरेलू नुकसान तो होते रहते हैं ,थोड़ी बहुत तो चलता है, पर बात जितनी ज्यादा खींची जाए तो बात उतनी ही बढ़ती है,सामने वाला भी आपको बोलने से चूकता नहीं है। इसलिए आपस में मेलजोल से काम किए जाएं।ताकि तनाव और परेशानी न हो।जैसे छोटे बच्चे वाला घर हो तो नाती पोतों को सास संभाल ले।या घरेलू काम में मदद कर दे। इस तरह एक दूसरे का साथ दिया जा सकता है।
स्वरचित मौलिक रचना
अमिता कुचया
Amicable adjustment is best for peaceful family life. Respect and get loved.
Bahu should be more careful while working and sas should keep her temper in control.