तलाश (भाग 2) –  अंतरा 

अभी तक आपने पढ़ा कि रोहिणी  एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर है और अपनी सहेलियों के साथ पहाड़ों पर ट्रिप पर आई हुई है लेकिन उसका असली मकसद कुछ और ही है और वह किसी विशेष जंगल की तलाश कर रही है..  अब पढ़ते हैं आगे….

गाड़ी जब एक झटके से रुकी तो रोहिणी को एहसास हुआ कि रिजाट आ गया है। सभी लड़कियां और रोहिणी दिनभर घूमने के बाद काफी थक गई थी.. सुबह जिस जोश के साथ वह घूमने के लिए निकली थी.. अब सारा जोश काफूर हो गया था। सब थकी हारी वैन से बाहर आए और सीधे रूम में जाकर बिस्तर पर गिर पड़ी। रोहिणी भी थक गई थी और उसे भूख भी लगी थी इसलिए उसने सबके लिए खाना ऑर्डर किया और खुद नहाने चली गई! सभी ने नहा कर खाना खाया ! सारी लड़कियां इतनी थकी थी कि खाना खाने के बाद तुरंत सब सोने चली गई पर रोहिणी को नींद नहीं आ रही थी। उसकी आदत है कि वह खाना खाने के बाद कुछ देर टहलती जरूर है। रोहिणी रिसोर्ट के बाहर निकली और चहलकदमी करने लगी।

आसमान साफ था.. तारों से भरा हुआ। समय ज्यादा नहीं हुआ था लेकिन इक्का-दुक्का लोग ही दिखाई दे रहे थे। रिसोर्ट के पास खड़े बड़े-बड़े देवदार के वृक्ष अंधेरे में किसी विशालकाय दैत्य जैसे दिख रहे थे। झींगुरों की आवाज और भी तीव्र हो गई थी.. पास ही बैठे उल्लू भी हुंकार भर रहे थे.. कहीं  दूर से टिटिहरी के बोलने की आवाज आ रही थी.. तभी रोहिणी ने देखा कि रिसोर्ट के सामने पड़ी बेंच पर वही बुजुर्ग बैठे हुए हैं। रोहिणी की नजर जैसे ही बाबा से टकराई वह रोहणी को देख कर मुस्कुराने लगे और उसे इशारे से हाथ हिला कर अपने पास बुलाया… रोहिणी भी मुस्कुराते हुए बाबा के पास चली गई । बाबा ने रोहिणी को बेंच पर बैठने का इशारा करते हुए पूछा,” कैसा रहा दिन.. तुम्हें वह अनोखी जगह मिली?”

रोहिणी –  “नहीं… मैंने कई और लोगों से भी पूछा उस बारे में… पर कोई नहीं बता पाया इसलिए मैंने अब अपना इरादा बदल लिया है… ऐसा लगता है जैसे किसी ने मुझे गलत खबर दी है।”

बाबा-” बिना प्रयास किए ही हार मान लेना कहां तक सही है।”

रोहणी-” पर आप भी तो नहीं बता पा रहे जंगल के बारे में.. जब आपको भी नहीं पता तो यहां और कौन मेरी मदद कर पाएगा.. “रोहिनी ने एक उदासी भरे चेहरे के साथ जवाब दिया!




बाबा-” मैंने तुमसे पहले भी कहा था कि इन पहाड़ों और जंगलों में बहुत कुछ छुपा हुआ है लेकिन वह किसके लिए है… यह कोई नहीं जानता… अगर वह तुम्हारे लिए है तो तुम्हें जरूर मिलेगा।”

रोहिणी -“तो मैं उसे ढूंढूगी कैसे? कुछ तो सुराग दीजिए?”

बाबा-” अगर वह तुम्हारे लिए है तो वह तुम्हें खुद ढूंढ लेगा.. अब मैं चलता हूं.. काफी रात हो गई है… तुम भी जाओ.. देर रात तक बाहर रहना ठीक नहीं है.. कभी-कभी तेंदुआ भोजन की तलाश में बस्ती तक चला आता है!”

इतना कहकर बाबा उठ खड़े हुए और अपनी छड़ी टिकाते हुए चलते चले गए और अंधेरे में कहीं गुम हो गए। रोहिनी उनकी बातों से अचंभित और संशय में आ गई थी कि उसे आगे अपनी खोज जारी रखनी चाहिए या नहीं… रोहिणी बेंच से उठी और रिसोर्ट के अंदर चली गई।

 आज रोहिणी की आंखों में नींद नहीं थी… बाबा की बातों से उसे इतना तो समझ आ गया था कि उसे जिस जंगल के बारे में खबर मिली है.. वह सही है। बाबा ने इशारों में ही सही.. लेकिन यह स्वीकार किया है कि यहां कोई खास जंगल है पर उसे ढूंढा कैसे जाएं… यह समझ नहीं आ रहा था। फिर रोहिणी को याद आया कि बाबा ने कहा था कि जो उसका है.. वह उसे ख़ुद ढूंढ लेगा तो क्या जंगल उसे खुद ढूंढ लेगा.. लेकिन यह भी तो हो सकता है कि वह खास जंगल रोहिणी के लिए हो ही ना… तो क्या वह कभी उस जंगल को नहीं ढूंढ पाएगी… रोहिणी की बेचैनी बढ़ती जा रही थी… आज की रात उससे काटे नहीं कट रही थी… फिर जाने कब सोचते-सोचते रोहिणी की आंख लग गई।

सुबह जब रोहिणी की आंख खुली तो सुबह का 5:00 बज रहा था| रोहिणी अपना मन बना चुकी थी कि अब वह कुछ खास जंगल को ढूंढ कर ही रहेगी। आज फिर से सभी लड़कियों का ग्रुप गाइड के साथ अलग-अलग जगहों पर घूमने जाने वाला था पर रोहिणी अपना वक्त बर्बाद नहीं करना चाहती थी… वह जानती थी कि गाइड कभी भी उस खास जंगल में उन्हें नहीं ले जाएगा, उसे खुद उस खास जंगल को ढूंढना पड़ेगा। रोहिणी ने एक नोट लिखा और कमरे में रख दिया कि वह अपने प्रोजेक्ट के लिए फोटोग्राफ्स लेने जा रही है इसलिए आज उनके साथ नहीं आ सकेगी, हो सकता है कि रात हो जाए इसलिए उसका इंतजार मत करना। रोहिणी ने अपना जरूरी सामान और कैमरा बैग में डाला और रिजाट से निकल पड़ी।




रोहिणी रिसोर्ट से निकल तो आयी पर वह दिशाहीन सी असमंजस में खड़ी थी….बिना किसी मैप, गाइड,  या रास्ते के किसी जगह को ढूंढना… भूसे में सुई ढूंढने के बराबर है लेकिन अब उसे यह करना ही था तो उसने पहाड़ी से नीचे की ओर जाने वाले रास्ते पर चलना शुरू किया जो शायद जंगल की ओर जाता था। पहाड़ी से नीचे चारों ओर सिर्फ जंगल ही जंगल फैला हुआ था पर जिस जंगल को वह ढूंढ रही थी वह तो दूर से ही दिख जाना चाहिए था पर यहां तो ऐसा कुछ नहीं दिख रहा था।

रोहिणी अभी कुछ दूर ही गई थी कि उसे अपने आगे आगे कुछ दूरी पर वही बुजुर्ग जाते हुए दिखाई दिए जो धीरे-धीरे अपनी छड़ी के सहारे पहाड़ी उतरते चले जा रहे थे । उनकी उम्र देखकर बिल्कुल अंदाजा नहीं होता था कि वह इतना एक्टिव होंगे। रोहिणी ने पीछे से उन्हें मुस्कुराते हुए गुड मॉर्निंग विश किया तो उन्होंने भी मुस्कुराहट के साथ पूछा “इतनी सुबह सुबह… क्या शहर के लोग भी जल्दी उठने का शौक रखते हैं?”

रोहणी-” अब क्या करें… मेरा प्रोफेशन ही कुछ ऐसा है कि कभी भी जगना पड़ता है!”

बाबा-” आज भी वजह प्रोफेशन ही है या कुछ और?”

रोहिणी थोड़ा सकपका सी गई फिर संयत होकर उसने जवाब दिया,” नहीं नहीं.. बस कुछ सूर्योदय की कुछ अच्छी फोटोग्राफ्स लेने हैं”

बाबा-” अगर तुम सच बोलो तो क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं?”

रोहिणी -“जी पूछिए… अगर आप जवाब देने लायक हुआ तो जरूर दूंगी!”

बाबा-” तुम तपोवन क्यों ढूंढ रही हो?”

रोहिणी का काटो तो खून नहीं वाला हाल हो गया… वह बिल्कुल समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या जवाब दें और एक तरफ उसे खुशी भी थी कि वह जिस जंगल को ढूंढ रही थी… उसके बारे में रोहिनी  के अलावा किसी और को भी पता है और यह एक मिथ्या नहीं बल्कि हकीकत है।




“तो क्या आप जानते हैं कि मैं तपोवन ढूंढ रही थी …और क्या आप तपोवन के बारे में भी जानते हैं ?…क्या आप बता सकते हैं कि तपोवन कहां है?… “रोहणी एक  सांस में ही सारी बातें बोलती चली जा रही थी… उसकी आंखों में एक अलग ही चमक और उत्सुकता दिखाई दे रही थी।

“मैं तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूंगा पर पहले जो मैंने पूछा है उसका जवाब दो”- बाबा ने बड़ी ही शालीनता से  रोहिणी के सवाल का जवाब दिया तो रोहड़ी की उत्सुकता भी कुछ कम हुई।

रोहिणी में बताना शुरू किया की वह तपोवन को क्यों ढूंढ रही है -,”आकाश मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता था.. तब से हम एक दूसरे को चाहते थे …आकाश मेरे घर वालों को भी पसंद था… उसे मेरे काम से भी कोई एतराज नहीं था …हम दोनों की सगाई भी हो गई थी और जल्दी ही शादी होने वाली थी कि आज से 5 साल पहले एक सड़क हादसे में आकाश के सर पर गंभीर चोट आई जिस वजह से वह कोमा में चला गया ..पिछले 5 साल से वह कोमा में ही है डॉक्टर ने उसे किसी तरह से बस जिंदा रखा हुआ है पर वह बिल्कुल लाश की तरह हो गया है… अब और कितने दिन तक आकाश की यही हालत रहने वाली है इस बारे में डॉक्टर्स भी कुछ नहीं बता पा रहे हैं ” इतना कहते-कहते रोहिणी रोने लगी! ” मुझसे उसकी हालत देखी नहीं जाती थी… उसके लिए दवाओं के साथ-साथ दुआएं भी मांगी गई पर कोई फायदा नहीं हुआ …उसके और मेरे परिवार की उम्मीद साथ छोड़ रही थी …पीर फकीर , ताबीज तक आजमा लिए गए कि अगर विज्ञान काम नहीं आ रहा तो भगवान ही कुछ साथ दे  दे पर आकाश की हालत ज्यों की त्यों बनी रही। मैंने खुद को पूरी तरह अपने प्रोफेशन में झोंक दिया अब मेरे पास जीने का कोई सहारा नहीं था… उसी दौरान सुंदरवन के जंगलों में मेरी मुलाकात एक आदमी से हुई जो हमारी टीम का गाइड था… जब उसे आकाश के बारे में पता चला तो उसने मुझे तपोवन के बारे में बताया कि जब वह 15 साल का था और अपने घर से भागकर जंगलों में भटक रहा था तो उसे ऐसा जंगल मिला.. जहां के लोगों की उम्र 200 साल तक हो जाती है जरूर वहां पर लोगों के पास कोई जड़ी बूटी है जिससे वे लोग अमर हो जाते हैं। उसने यह भी बताया कि वहां एक नीले रंग का पेड़ भी है  । मैं तब से तपोवन की तलाश में भटक रही हूं।”

बाबा -“क्या उस आदमी ने वह जड़ी बूटी देखी थी ?तुम  पहचानोगे कैसे?”

रोहिणी-” नहीं उसने नहीं देखी.. उसने तो सिर्फ अंदाजे से बताया कि शायद कोई जड़ी बूटी होगी वरना आजकल इंसान 200 साल तक कैसे जीत सकते हैं और उसकी इसी बात पर विश्वास करके मैं भी तपोवन ढूंढने निकल पड़ी कि अगर ऐसा कुछ है तो मैं आकाश को बचा पाऊंगी।”

बाबा-” मान लिया कि तुम्हें वह जड़ी-बूटी मिल गई ..फिर भी आकाश को कोमा में रखकर अमर करने का क्या फायदा? बल्कि उसे तो इस जीवन से और कष्ट ही होगा… उसे तो मुक्ति मिल जाना ही ज्यादा अच्छा है।”




रोहिणी -“ऐसा मत कहिए बाबा.. कभी तो वह कोमा से उठेगा.. नहीं उठेगा.. तो मैं जीवन भर उसकी सेवा करूंगी, उसके साथ रहूंगी और यह भी तो हो सकता है कि वहां कोई ऐसी दवा मिल जाए जिससे आकाश ठीक भी हो जाए।”

बाबा-” अगर ऐसी बात है तो मैं भगवान से यही प्रार्थना करूंगा कि तपोवन तुम्हारा  तप स्वीकार करें और जो तुम्हें चाहिए वह तुम्हें दे।”

” पर बाबा , मैं तपोवन का रास्ता तो जानती ही नहीं… अब आपका ही सहारा है ..क्या आप मुझे रास्ता बताएंगे?  रोहिणी ने बिल्कुल  गिड़गिड़ाते हुए अंदाज में बाबा के सामने हाथ जोड़ दिए

बाबा-”  देखो.. चलते चलते हम तपोवन के पास आ भी गए.. इस जंगल में प्रवेश करते ही कुछ दूर चलने के बाद तपोवन की सीमा प्रारंभ होती है |  तपोवन हर इंसान के लिए नहीं है इसलिए वह कुछ खास लोगों को ही दिखता है जिसे तपोवन सच्चा और इमानदार पाता है। यदि तुम सच्चे मकसद और साफ दिल से तपोवन को  ढूंढोगे तो तपोवन जरूर मिलेगा वरना यह जंगल एक साधारण जंगल की तरह ही दिखाई देगा और तुम खाली हाथ वापस आ जाओगी और हां ……एक बात और याद रखना ……तुम जिस मकसद से आई हो…… बस वही तुम्हारा लक्ष्य होना चाहिए……… जरा सा भी लालच तुम्हारे लिए खतरनाक साबित हो सकता है।”

 रोहिणी-” बाबा आप भी क्यों नहीं चलते मेरे साथ।”  रोहिणी ने बड़ी ही उत्सुकता और खुशी के साथ बाबा से प्रश्न किया

बाबा -“मेरा तुम्हारा साथ यहीं तक था… मैंने तुम्हारी मंजिल तुम्हें दिखा दी है…. अब उसे पाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है। अगर भगवान ने चाहा तो फिर तुम से मिलना  होगा।”

रोहिणी ने बाबा को धन्यवाद  देते हुए विदाई ली और अपने रास्ते पर चलना शुरू कर दिया।

क्रमशः

आखिरकार रोहिणी को तपोवन के बारे में पता चल ही गया… पर क्या रोहिणी तपोवन को ढूंढ पाएगी …क्या उसे तपोवन में आकाश को ठीक कर पाने के लिए कोई दवा मिल पाएगी.. क्या रोहिणी अपने मकसद में कामयाब हो पाएगी… जानने के लिए  इंतजार करिए अगले भाग का…

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 अंतरा 

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