तकरार खट्टी मीठी – माधुरी गुप्ता : Moral stories in hindi

तकरार तो तकरार है ,चाहे खट्टी मीठी हो या तीखी।हां ये बात सच है कि तकरार के लिए दो लोगों का होना बेहद जरूरी होता है।अकेला इनसान क्या खाक तकरार करेगा।हां तकरार में बहस व स्वर साफ ऊंचा होना भी जरूरी होता है।

चलिए असली मुद्दे पर चर्चा कर ते हैं ।यहां बात कर रहे हैं रीमा व अंगद की तकरार की।अंगद जिस कोर्ट में जज था रीमा वहीं वकील थी दोनो ने लव मैरिज की थी।मजे की गुजर रही थी दोनों की लव लाइफ,हां कभी कभी खट्टी मीठी तकरार ज़रूर हो जाती थी,दोनो के बीच।

सन्डे का दिन था,अंगद छुट्टी के दिन देर से सोकर उठता था।

सुबह के आठ बज चुके थे,रीमा बैड टी लेकर आई पतिअंगदके लिए।

अंगद नेजैसे ही चाय की चुस्की लेना शुरू किया कि रीमा ने अपना फरमान परोस दिया।

सुनते हो जाी , स्वर में चाशनी घोलते हुए बोली,

अरे ,भागबान,सुन ही तो रहा हूं। जब से तुम से शादी की है,बोलनेकी आजादी तो सिर्फ कोर्ट में ही मिलती है मुझे।

अरे हरेक बात को हंसी में मत लिया करो,मैं सीरियस हूं अतः आप भी सीरियस होकर सुनो।आज हम लोग शॉपिंग के लिए चल सकते हैं कया।

शॉपिंग का नाम सुन कर अंगद की त्योरियां चढ़ गई।

इस कहानी को भी पढ़ें:

अंजान बेटा – माता प्रसाद दुबे

माथे पर बल डालते हुए उसने कहा शॉपिंग,कैसी शॉपिंग।अभी पिछले सप्ताह ही तो हम लोग शॉपिंग करके आए हैं।फिर अव कौन सी शॉपिंग बाकी रह गई है, लिस्ट में जो भी सामान लिखा था वह सब तो ले ही लिया था।

अरे ,वह तो राशन-पानी था घर का मैं तो अपनी पर्सनल शॉपिंग की बातकर रही हूं।

पर्सनल से मतलब कया है तुम्हारा, पर्सनल,यानी मेरी साड़ी,मेकअप का सामान जवैलरी बगैरह।

यह सब किसलिए,अंगद,ने गुर्रा कर कहा।

देखो जी स्वर ऊंचा करना मुझे भी आता है,अभी तो मैं सिर्फ प्यार से ही बात कररही हूं।लेकिन तुम्हारी ना-नुकर मैं नहीं सुनने बाली,जो सोचा है वह सब तो मैं ले रही रहूंगी।

हां,हां,पैसे तो पेड़ पर उगते हैं जो हर तीसरे महीने तुम्हारी शॉपिंग होने लगती है।

तीन महीने पहले जब तुम्हारी बहन वन्दिनी की शादी हुई थी तब क्या पैसे पेड़ पर लगे थे जो पूरे कुनबे के लिए ढेर सारी शॉपिंग की थी,और मेरी साडी ही सबसे हल्की ली गई थी, तुम्हारी पॉकिट तो हमेशा मेरे लिए ही कम हो जाती है,अपने परिवार के ऊपर तो हमेशा खूब पैसा लुटाते रहते हो‘मेरी बारीआतेही तुम्हारी कगांली आजाती है। देखो,मेरे परिवार को अपनी तकरार के बीच में मत घसीटो।जोकहनाहै साफ साफ कहो।

इस बार मैं तुम्हारी एक नही सुनने बाली आखिर मेरी मौसेरी बहन की शादी है,यदि मैं अच्छी नही दिखी तो बदनामी तो तुम्हारी ही होगी न ।

तुम औरतों को न पता नही शॉपिंग की बिमारी क्यों होती है,अंगद ने बड़बड़ाना शुरू कर दिया।

बैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं,मैने तो शादी के पहले ही ,जब तुमने मेरीहॉबी के बारे में पूछा था तो मैंने तो साफ़ शब्दों में कहा था कि शॉपिंग मेरी हॉबी है। हर तीसरे चौथे महीने यदि मैं शॉपिंग न करूं तो मुझे डिप्रेशन होने लगता है।

हां,हां जानता हूं एक्स वकील साहिवा।दलीलें देने में तो तुम माहिर हो।

कम तो तुम भी नही हो जज साहब,बस विना सोचे समझे फैसला सुनाना ही तो तुम्हारा काम है

इस कहानी को भी पढ़ें:

दहेज लोभी – पिंकी सिंघल

देखो मेरे पेशे को लेकर कीचड़ मत उछालना,नही तो मैं न जाने क्या करबैठूगा।अंगद ने गुस्से से कहा।

देखो यह कोई कोर्ट नहीं है जो मैं तुम्हारा फैसला चुपचाप सुन लूंगी। डॉमेस्टिक वायलेंस के केस में एसा फंसाऊगी कि ज़िन्दगी भरजेल में सडोगे। वहां तुम्हारी जजगीरी नही चलने वाली।

ये मेरा घर है जहां वकील भी में हूं और जज भी में हूं।तुमतोआज तकरार करने के मूड में ही हो।

हां , हां जानता हूं, तुम्हारी इन्हीं धुआंधार दलीलोंने ही तो मुझे प्रभावित कर दिया था और मैं बेचारा फंस गया तुम्हारे प्यार के जाल में।

हां अब आया न ऊंट पहाड़ के नीचे, अच्छा मेरी मां अब तकरार करके मेरा संडे मत बर्बाद करो।

मुझे कोई शौक नही है तकरार करने का, तुम्हीं अपनी जज गीरी झाड़ रहे थे मेरे ऊपर।

चलो छोड़ो,तुम भी क्या याद करोगे,बोलो क्या नाश्ता बनाऊं,बैसे तुम्हें तोआलू का पराठा ही पसंद है जानती हूं।

तुम जल्दी से फ्रेश होकर आओ फिर नाश्ता करके निलकतेहैं शॉपिंग के लिए, फिर लंच भी बाहर ही करलेंगे हां,

अब क्या बोलूं,तकरार करके संडे थोड़े ही खराब करना है।

कभी कभी खट्टी मीठी तकरार करना भी जरूरी होता है ज़िन्दगी में नीरसता न आए इसलिए।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

नईदिल्ली

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!