तकरार – के कामेश्वरी  : Moral stories in hindi

शर्मा जी बालकनी में बैठकर पेपर पढ़ रहे थे कि उन्हें पास वाली फ़्लैट से चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई देने लगी थी। 

पति है शायद जो चीख कर कह रहा था कि तुमसे शादी करके मेरी ज़िंदगी ख़राब हो गई है । तुम तो मुझे पहले से ही पसंद नहीं थी । मेरे माता-पिता के कारण तुमसे शादी करनी पड़ी है । 

शर्मा जी की पत्नी ने बताया है कि उस फ़्लैट में नए लोग आए हैं । उनके दो छोटे बच्चे हैं । 

पति को हर छोटी सी बात से अपनी पत्नी से शिकायत होती थी । हर रोज़ उनके बीच तकरार होती थी । बच्चे बिचारे सहम कर घर के बाहर आकर खड़े हो जाते थे ।

शर्मा जी ने दस दिन तक सब्र किया फिर उन्हें लगा कि उनके घर जाकर उनसे मिलना चाहिए । उस दिन ऐसे ही उनके घर से आवाज़ें आ रही थी तो  शर्मा जी उनके फ़्लैट के पास पहुँचे और उन्होंने ने बेल बजाई अंदर से आवाज़ें आनी बंद हो गई थी और एक चालीस साल के व्यक्ति ने दरवाज़ा खोला तो शर्मा जी ने अपना परिचय देते हुए कहा कि बेटा मैं सामने के फ़्लैट में रहता हूँ सोचा एक बार मिल लूँ ।

अनमने मन से उसने शर्मा जी को अंदर बुलाया और कहा उसका नाम राघव है वह साफ्टवेयर इंजनीयर है । दस दिन पहले ही इस फ़्लैट में शिफ़्ट हुए हैं और उनके दो बच्चे हैं । पत्नी से कहा कि दो कप चाय बनाकर ला । वह अंदर ही थी शायद थोड़ी ही देर में दो कप चाय लेकर आई । राघव ने कहा कि यह मेरी पत्नी शिवानी है । मैंने देखा कि उसकी आँखें लाल थी । वह रो रही थी ।

राघव मैं तुम्हारे पिता समान हूँ । मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ । 

बिना उसके उत्तर की प्रतीक्षा किए ही कहा कि अपनी उम्र और तजुर्बा के कारण मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि तुम पढ़े लिखे हो अच्छी कंपनी में नौकरी करते हो फिर आए दिन तुम्हारे घर से चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई देती हैं । 

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राघव को ग़ुस्सा आ रहा था कि ये कौन होते हैं जो हमारी निजी ज़िंदगी में दख़लंदाज़ी करने वाले ।

शिवानी अंदर से सोच रही थी कि हमने इनकी इसी तरह चिल्लाने की आदत के कारण कितने ही घर ख़ाली किए हैं । अब फिर घर ढूँढने की नौबत आ गई है शायद । 

शर्मा जी की बातों पर राघव को ग़ुस्सा आ तो रहा था परंतु मालूम नहीं वह उन्हें जवाब नहीं दे पा रहा था । 

उन्होंने कहा कि ऐसी कौनसी बात है कि तुम दोनों के बीच तकरार होती है । शिवानी सोचती है कि तकरार कहाँ यह तो मुझे मुँह भी खोलने नहीं देते हैं । 

राघव ने कहा कि अंकल इसे कुछ भी नहीं आता है सब कुछ मुझे बताना पड़ता है बता भी दूँ तो ग़लतियाँ ही करती है ।

सब्ज़ी बनाएगी तो नमक ज़्यादा या मिर्ची ज़्यादा याने कि इस तरह गिनाते जाऊँ तो शाम हो जाएगी । मैं ऑफिस में काम करके इतना थक जाता हूँ और घर आते ही इसके कारनामों से मेरा खून खौल जाता है ।

शर्मा जी ने कहा कि राघव मैं तुम्हें एक होमवर्क देता हूँ तुम उसे करके देना । चार दिन का समय दूँगा । उसके बाद मैं तुम्हारी इस समस्या पर बात करूँगा। 

राघव से यह भी कहा कि इन चार दिनों में बिना एक दूसरे से लड़ाई किए सिर्फ़ दोनों की दिनचर्या लिखकर बताओगे । चार दिन बाद मैं तुमसे मिलूँगा कहते हुए चले गए । 

दूसरे दिन से उनके फ़्लैट से आवाज़ें सुनाई नहीं दे रही थी ।

चार दिन हो गए सोचा राघव खुद आएगा अपना होमवर्क लेकर परंतु वह नहीं आया तो शर्मा जी ही राघव के घर पहुँच गए थे ।

शर्मा जी को देखते ही वह अपनी डायरी लेकर आया । मैंने शिवानी को भी बुलाया उन दोनों के सामने ही पढ़ना शुरू किया । 

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शिवानी सुबह उठती है चाय पीती है हम सबको चाय नाश्ता देकर बच्चे और मेरे जाने के बाद टी वी देखती है ।

एक बजे मेरे आकर जाने के बाद खाना खाकर सो जाती है । शाम को बच्चों के आने के बाद उन्हें दूध देती है उनके साथ खेलती है खाना बनाकर सबको खिलाकर खुद भी खाकर सो जाती है । बस और कुछ नहीं करती है ।

मैं सुबह उठकर चाय पीता हूँ । लेपटॉप में ऑफिस का काम करता हूँ । नाश्ता करके ऑफिस चला जाता हूँ । दोपहर को ऑफिस से घर पर खाना खाने के लिए आता हूँ । 

शर्मा जी ने कहा कि लंचबॉक्स नहीं ले जाते हो । 

राघवेंद्र नहीं मेरा ऑफिस पास में ही है इसलिए दोपहर को खाना खाने आ जाता हूँ । बच्चों का स्कूल भी नज़दीक ही है । वे भी लंचबॉक्स नहीं ले जाते हैं । घर आता हूँ और शिवानी जो भी बना देती है खाकर थोड़ी देर आराम करके फिर ऑफिस जाता हूँ । 

वहाँ काम ख़त्म करके बच्चों को स्कूल से लेकर आता हूँ और चाय पीकर कुछ लाइट स्नेक्स खाकर बच्चों के साथ आधा घंटा खेलता हूँ फिर अपने लैपटॉप पर काम करता हूँ। नौ बजे तक खाना खाकर थोड़ी देर टी वी देखकर सोने के लिए चला जाता हूँ । देखिए मुझे कितना काम करना पड़ता है मेरे जाने के बाद उसके पास काम ही नहीं रहता है । 

शर्मा जी ने कहा कि ओह सही बात है। सुबह दूध कौन लाता है । 

शिवानी ही ला लेती है क्योंकि पैकेट लाकर देने के लिए पंद्रह रुपये लेता है । मैंने ही कहा कि मार्निंग वॉक हो जाएगा और दूध भी घर पर आ जाएगा । 

घर का सामान ऑफिस से आते समय ला लेते हो ।

अरे मुझे कहाँ समय मिलता है शिवानी ला लेती है । 

सब्जियाँ तो लाते होगे । कहाँ शर्मा जी वह भी शिवानी लाती है । सुबह का नाश्ता वही बनाती है । सुबह शाम का खाना वही बनाती है बच्चों को लंचबॉक्स मेरे आने के पहले स्कूल में देकर आती है ।

राघव काम वाली बाई है आपके घर में। कहाँ शर्मा जी कितने पैसे माँगते हैं कि बस मैंने कहा कि तुम घर में ही रहती हो हमारे जाने के बाद कर लिया करो तो बर्तन झाड़ू पोंछा शिवानी कर लेती है हाँ कपड़े मशीन में डालकर सुखा लेती है ।

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शर्मा जी ने कहा कि राघव तुम ऑफिस में ए सी में बैठकर काम करते हो । 

शिवानी तुम्हारे घर के पूरे काम करती है । कभी तुम ऑफिस से आए और घर गंदा दिखाई दिया । 

बच्चों को होमवर्क कराना उन्हें पढ़ाना यह भी तो शिवानी ही करती है । तुमने तो ऐसे लिखा था जैसे कि वह सिर्फ़ खाती पीती और सो जाती है परंतु तुम्हारे पीठ पीछे तुम्हारे पूरे घर को बच्चों को सँभाल रही है । वह खुद पढ़ी लिखी है परंतु नौकरी नहीं कर रही है क्योंकि उसे घर सँभालना है । राघव पुरुष अहंकार का पर्दा तुम्हारी आँखों पर पड़ा हुआ है उसे हटाओ और देखो । पति पत्नी गाड़ी के दो पहियों के समान है दोनों से ही गृहस्थी चलती है । तुम कमाते हो तो वह घर सँभालती है । उसे कभी नीचा मत दिखाओ । वह तुम्हारी संगिनी है साथी है प्यार दोगे तो खुश रहोगे । 

उनकी बातों को सुनकर राघव को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने शर्मा जी के सामने ही शिवानी से माफी माँग ली ।

शर्मा जी खुश थे कि उन्होंने एक परिवार को टूटने से बचा लिया है ।

दोस्तों पति पत्नी के बीच तकरार को इतना मत बढ़ाओ कि मन में कड़वाहट आ जाए । रहीम जी सही कहते हैं कि रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए 

टूटे से फिर ना जुरै, जुरै गाँठ पड़ जाए॥

के कामेश्वरी 

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