” भाभी, आपने अपनी बहू को बहुत छूट दे रखी है | जरा उसपर नजर रखो | ” माधुरी घर में घुसते हुए अपनी भाभी उषा से बोली |
” अरे माधुरी, आओ बैठो | ऐसे क्यों बोल रही हो ? जरा बताओ तो क्या बात है? क्या किया है, मेरी बहू नूतन ने? ” उषा ने पूछा |
” आप तो ऐसे बोल रही हैं, जैसे आपको कुछ पता हीं नहीं? ” माधुरी बोली |
” ठहरो जरा, पहले चाय बनाकर लाती हूँ, फिर आराम से बात करेंगे | ” कहते हुए उषा चाय बनाने चली गई |
” अब बताओ, क्या बात है? ” उषा माधुरी को चाय का कप पकडाई और अपना कप लेकर उसके बगल में बैठते हुए बोली |
” आपको नही पता? ” माधुरी पूछी |
” नहीं, मुझे तो कुछ पता नहीं | मेरी जानकारी में नूतन ने तो कोई गलत काम नहीं किया है |” उषा बोली |
” अब इतनी भोली तो न बनिये आप | आप की बहू किसी लडके के साथ घूम रही है | मैंने खुद अपनी आंखों से उसे लडके के साथ गाड़ी से उतरकर एक रेस्टोरेंट में जाते देखा | उसे कुछ कहने से बेहतर आपको बताना सोचा, इसीलिए आपके पास आ गई | ” माधुरी एक सांस में बोल गई |
” अच्छा तो ये बात है | ” उषा हंसने लगी |
“आप हंस क्यों रही है ं | इसमें हंसने वाली क्या बात है ? ” माधुरी झल्ला गई |
” हंसने वाली बात यह है कि वह लडका उसका मौसेरा भाई है, जो विदेश में होने के कारण उसकी शादी में नहीं आ पाया था | अब शादी के आठ महीने बाद वह भारत आया है तो नूतन से मिलने आ गया | अभी कल ही तो आया है | अब रोहित को तो आफिस से छुट्टी मिल नहीं पाया तो नूतन ही उसे शहर घूमाने ले गई | वे लोग तो मुझे भी साथ चलने को कह रहे थे, पर मै अपने घुटने के दर्द के चलते नहीं गई | उस लडके को तो तुम भी जानती होगी | तुम्हारी जेठानी के चचेरे भाई का लडका है | उसका नाम रवि है |” उषा हंसते हुए बोली -” लो देखो दोनों आ भी गये, मिल लो |”
“प्रणाम बुआ |” नूतन माधुरी के पांव छूते हुए बोली -” रवि इनसे मिलो |ये हमारी माधुरी बुआ है ं और बुआ ये रवि है | ”
“प्रणाम बुआ, बहुत दिनों के बाद आपसे मुलाकात हो रही है | पहले अपनी बुआ, जो आपकी जेठानी हैं, से मिलने कभी – कभी आता था तो आपसे भी मुलाकात हो जाती थी, पर चार साल से विदेश में रहने के कारण आपके यहाँ भी नहीं आ पाया | नूतन की शादी में भी नहीं आ पाया था | अभी अपने देश आया तो सोचा मिल लूं | कल आपके यहाँ आऊंगा | ” रवि बोला |
” हाँ, याद आ रहा है | बहुत दिन बाद देखा, इसीलिए पहचान नहीं पाई | ठीक है, मैं चलती हूँ | ” माधुरी उठते हुए बोली |
” इतनी जल्दी | ” उषा बोली|
” कुछ काम याद आ गया | फिर आऊंगी | ” हडबडाते हुए माधुरी बोली और टका सा मुंह लेकर चली गई |
# टका सा मुंह लेकर रह जाना
स्वलिखित और अप्रकाशित
सुभद्रा प्रसाद
पलामू, झारखंड |