क्या टका सा मुंह ले के बैठे हो सुबह सुबह। चलो उठो और पार्क में सैर करके आओ। पिता ने अपने मायूस हो रहे बेटे को कहा।
क्योंकि की कल ही उसका रिजल्ट आया था और वो फिर से कुछ मार्क से रह गया था । ये उसका तीसरा अटेम्प्ट था।
पिताजी ने रात को ही उसको कह दिया था मायूस या खुद पे नाराज़ होने की जरूरत नहीं है।
अपना खुद का व्यापार इतना फैला हुआ है । किसी भी समय तुम जुड़ सकते हो।
पर उसको तो आईपीएस या आईएस कुछ बनना था।
वो पूरा दिन इधर उधर फिरता रहा दोपहर को घर भी नहीं आया। रात को जब वो घर आया तो एकदम थका सा बीमार सा लग रहा था। पिताजी ने देखा तो उन्हें थोड़ी टेंशन होने लगी क्योंकि उन्होंने बेटे को इतना परेशान कभी भी नहीं देखा था।
पिताजी ने बेटे के सर पर हाथ रखते हुए कहा पहले गरम पानी से हाथ मुंह धो लो फिर साथ में खाना खाते है।
जब खाना खाने बैठे तो उसके लटके हुए मुंह को देखते हुए बोले बेटा पहले खाना खा लो शांति से फिर बात करते है।
मां ने खाना लगा दिया और उसने अपने पुत्र के कंधों पे हाथ रख कर हिम्मत देने की कोशिश कर रही थी।
खाना खाने के बाद बेटा जब अपने कमरे में चला गया तो पिताजी भी उसके कमरे में आ गए।
पिताजी ने उसको समझाते हुए कहा देखो बेटा जो भी होता है अच्छे के लिए होता है। शायद इसमें भी कोई अलग बात होगी। ऊपर वाले ने तेरे लिए कुछ बेहतर सोच रखा होगा। जो तुझे पता ही नहीं। एक बात जीवन सदा याद रखना जो तुम्हारे लिए अच्छा है ऊपरवाला वो ही तुम्हें देगा। जो तुम चाहते हो शायद वो तुम्हारे लिए सही न हो। तुम सब अब उसपे छोड़ दो।
वो जो भी करेगा तुम्हारी बेहतरी के लिए करेगा। और जरूरी नहीं कि तुम यहां फेल हो गए तो सब जगह नाकाम हो जाओगे।
मुझे तुम पे पूरा भरोसा है तुम जो भी करोगे वो तुम्हारे लिए बेहतरीन होगा।
आज रात सोचो फिर कल सुबह से अपनी दिमागी ताकत को संगठित करो और जुट जाओ अपने काम में।
ठीक है पापा में सुबह तक निर्णय कर लूंगा।
सुबह पिताजी उसके कमरे में आए तो वो कमरे में नहीं था।
थोड़ी देर के बाद वो जब घर आया तो उसने पिताजी से कहा पापा में पार्क की सैर करके आ रहा हूं। और मै आज से आप की कंपनी ज्वाइन कर रहा हूं। ये मेरा अंतिम निर्णय है।
जो कभी टका सा मुंह लेके बैठा था हार मानकर वो कुछ ही वर्षों में शहर का टॉप बिजनेसमेन का अवॉर्ड ले रहा था।
तालियों की गड़गड़ाहट ने पूरे ऑडिटोरियम को गुंजायमान कर दिया था।
वो पिता के पैर छूते हुए पिता से कहने लगा ये सब आपके प्रोत्साहन का नतीजा है।
पिता ने कहां ये सब तुम्हारी मेहनत और लगन का परिणाम है। मै बस एक निमित एक जरिया हूं। बेटे की आँखें नम थी।
और मन ही मन कह रही थी आप जैसे पिता सबको मिले।
राजेश कुमार
24/03/2025