प्रिया हमेशा बीमार रहती थी,जिसकी वजह से वह नियमित रूप से विद्यालय नहीं जा पाती थी। एक दिन प्रिया की कक्षा अध्यापिका उसके घर पहुंची तो घर का दृश्य देखकर चौंक उठी।
घर बहुत ही साफ-सुथरा, सुंदर, हवादार और रोशनी से भरपूर था। अध्यापिका हैरान थी कि ऐसे घर में रहते हुए भी प्रिया बीमार कैसे रहती है? प्रिया अपने कमरे में ही थी। अध्यापिका को प्रिया की मां प्रिया के कमरे में लेकर गई। प्रिया का कमरा बहुत ठंडा था। ए.सी और पंखा दोनों चल रहे थे। अध्यापिका ने कमरे में जाते ही कहा “प्रिया कमरा इतना ठंडा क्यों कर रखा है।”
प्रिया अध्यापिका को देखकर बहुत खुश हुई और उठकर नमस्ते किया।
उसने अध्यापिका से कहा कि “मुझे बहुत गर्मी लगती है इसलिए मुझे ए.सी की ठंडक अधिक करनी पड़ती है।”
अध्यापिका ने प्रिया को समझाते हुए कहा कि नहीं इतनी ठंडक में रहना अच्छी बात नहीं है।जब तुम कमरे से बाहर जाती हो तो बाहर ठंड कम होने या गर्मी होने से गर्म सर्द होता है और फिर बुखार आता है। किसी भी मौसम में सुविधा को सही ढंग से इस्तेमाल करना चाहिए।”
प्रिया की मां ने बताया कि” कमरा बंद ही रहने से कमरे में ताजी हवा का प्रवाह नहीं हो पाता।” यह बताकर मां जूस लेने चली गई।
अध्यापिका ने प्रिया को समझाया कि ताजी हवा का प्रवाह होना बहुत जरूरी है। तुमने खुद को अपनी गलत आदतों की वजह से बीमार कर रखा है।”
फिर अध्यापिका ने पूछा कि “प्रिया क्या आज तुम नहाई नहीं हो?”
प्रिया के उत्तर देने से पहले प्रिया की मां जूस लेकर आ गई।
मां ने बताया कि “ठंडक में पसीना ना आने के कारण प्रिया अक्सर कभी एक दिन और कभी दो दिन के बाद नहाती है।”
अध्यापिका ने समझाया कि “नहीं बेटा अगर पसीना नहीं भी आ रहा तो भी हमारे लिए प्रतिदिन नहाना और साफ-सुथरे और धुले हुए कपड़े पहनना बहुत आवश्यक होता है। अगर हम प्रतिदिन स्वयं की साफ सफाई नहीं रखेंगे तो ऐसे ही बीमार रहेंगे।”
प्रिया की मां ने अध्यापिका और प्रिया को जूस दिया। अध्यापिका ने जूस पकड़कर प्रिया की मां से कहा कि “गलती आपकी भी है ।आप इतनी ठंडी वस्तुएं प्रिया को पीने को देती हैं।”
मां ने उत्तर दिया,” गर्मी में प्रिया ठंडा पीना ही पसंद करती है और अगर जूस फ्रिज में ना रखो तो खराब हो जाता है।”
अध्यापिका ने कहा कि जूस घर पर ताजा बना कर दीजिए। फ्रिज के ठंडे फल हों तो उसमें थोड़ा नॉर्मल पानी मिला लीजिए। फ्रिज में रखा समान खाने, पीने से थोड़ी देर पहले ही फ्रिज से निकालकर बाहर रख दीजिए ताकि उनका तापमान नार्मल तापमान के बराबर हो सके। प्रिया अक्सर जंक फूड टिफिन में लाती है या स्कूल की कैंटीन से जंक फूड लेती है। जो सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक होता है।आप प्रिया को हमेशा हेल्दी फूड ही दीजिए।”
अध्यापिका ने कहा कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और स्वस्थ मन में ही शुद्ध विचार होते हैं। अगर हम शरीर से बीमार हैं तो हम किसी कार्य को करने में समर्थ नहीं हो पाते।इसलिए स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना चाहिए। स्वस्थ जीवन शैली का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। कहा भी गया है कि सेहत ही खजाना है।
प्रिया और उसकी मां को स्वस्थ जीवन शैली का महत्व समझ आ चुका था। इसके बाद प्रिया कभी बीमार नहीं हुई।
स्वरचित और मौलिक रचना
डॉ हरदीप कौर ‘दीप’
फरीदाबाद