स्वार्थी बहन – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सिया.. क्या तुम सच में अविनाश से प्रेम करती हो, देखो सिया.. मैं तुम्हारी बड़ी बहन होने के नाते तुम्हें समझा रही हूं तुम अविनाश से दूर ही रहा करो माना की अविनाश एक अच्छी कंपनी में काम करता है और उसका घर परिवार भी काफी जाना माना है किंतु मैंने सुना है

उसके पहले भी कई लड़कियों के साथ प्रेम संबंध थे ऐसे लड़कों का कोई भरोसा नहीं होता यह शादी के बाद भी तुमको धोखा दे ही देगा! लेकिन प्रिया दीदी… अविनाश ने मुझसे वादा किया है कि वह मेरे अलावा किसी और से शादी नहीं करेगा वह मुझे सच्चे मन से प्यार करता है! देख लो सिया.. मेरा काम था तुम्हें समझाना बाकी तुम खुद समझदार हो!

प्रिया की बात ने सिया के मन में उथल-पुथल मचा दी उसे प्रिया की बातें अब सच लगने लगी जिस लड़के के मुझ से पहले कई लड़कियों के साथ प्रेम संबंध रह चुके हो वह  इतनी आसानी से कैसे बदल जाएगा हो सकता है शादी के कुछ समय बाद वह मुझसे बोर हो जाए और उसकी जिंदगी में कोई नई लड़की आ जाए ऐसे समय में मैं क्या करूंगी कहां जाऊंगी?

आखिरकार बहुत सोचने समझने के बाद सिया ने अविनाश से कह दिया… अविनाश मुझे अब इस रिश्ते में कोई दिलचस्पी नहीं, तुम मेरी तरफ से स्वतंत्र हो तुम जहां चाहो वहां शादी करके अपनी जिंदगी की शुरुआत कर सकते हो उसने अपनी मम्मी पापा को भी अपना फैसला बता दिया और कह दिया…

मम्मी पापा आप जहां भी कहेंगे मैं वहां शादी करने को तैयार हूं! ऐसे करते करते 6 महीने बीत गए! एक दिन घर में अचानक से विस्फोट हो गया जब सिया की बड़ी बहन प्रिया ने कहा… कि वह और अविनाश एक दूसरे को पसंद करते हैं और शादी करना चाहते हैं यह सुनकर सिया का खून खौल उठा और उसने प्रिया को चिल्लाते हुए कहा…

प्रिया दी आप तो कह रही थी की अविनाश चरित्रहीन लड़का है  उससे दूर रहो, मुझे और अविनाश को दूर करवा कर आप खुद उससे प्रेम की पिंगे बढ़ा रही थी एक बहन इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती है? क्या आपको अविनाश के अलावा दुनिया में कोई और लड़का नजर नहीं आया? अच्छा सिया यही बात मैं तुझसे बोलूं तो….

तुझे अविनाश के अलावा और कोई लड़का नजर नहीं आया और सिया तू तो वैसे भी बहुत समझदार है तुझे तो कोई और भी मिल जाएगा और फिर इसके आगे सिया कुछ नहीं बोली उसने इसे अपनी नियति मान लिया! अगले महीने सिया और अविनाश की शादी हो गई सिया ने भी अब यह रिश्ता धीरे-धीरे मान लिया

उसने सोचा उसके भाग्य में शायद अविनाश था ही नहीं, एक दिन सिया ने अकेले में अविनाश से कहा… अविनाश तुमने मुझे धोखा दिया है तुमने तो मुझसे कहा था कि मैं तुम्हारे अलावा किसी और लड़की शादी नहीं करूंगा फिर तुमने मेरी ही बहन से शादी करके मुझे इतना कष्ट क्यों दिया? काश.. की तुम्हारी शादी कहीं और हो गई होती तो मुझे इतना तकलीफ नहीं होती!

यह क्या कह रही हो सिया… मुझे तो प्रिया ने कहा था की सिया किसी और लड़के से प्यार करती है उसे तुम् मे कोई दिलचस्पी नहीं है वह तुम जैसे लड़कों को तो आए दिन बदलती रहती हैऔर देख लेना अगर तुम्हारी सिया से शादी हो भी गई तो वह तुम्हें छोड़कर भाग जाएगी और तुम्हारे बारे में न जाने क्या-क्या उल्टा सीधा कहा,

सिया मैं तो एक ऐसी जीवन संगिनी चाहता था जो हर कदम पर मेरा साथ दे मेरी जिंदगी स्वर्ग बना दे मैं जीवन भर उसके साथ रहना चाहता हूं! अविनाश के मुंह से ऐसी बातें सुनकर सिया पर मानो वज्रपात हो गया किंतु अब जब अविनाश को भी यह बात पता चली की सिया को भी प्रिया ने ही उसके खिलाफ भड़काया था

अब वह प्रिया से नफरत करने लगा प्रिया जितना उसके करीब आने की कोशिश करती अविनाश  उससे उतना ही दूर जाने लगा, अब  प्रिया दिन-रात अपने किए करने पर आंसू बहाती और सोचती  मैंने अपनी ही बहन का घर तबाह करके क्या पा लिया, मुझे पता था

अविनाश और सिया एक दूसरे सिर्फ प्रेम करते हैं फिर भी मैंने उन दोनों को अलग क्यों किया, पर मैं क्या करूं  मैंने जब से अविनाश को देखा था मैं उसके ही सपने देखने लगी अब अविनाश मुझसे नफरत करते हैं! हे भगवान… यह मैंने क्या कर दिया सच ही तो है

“कुछ गुनाहों का प्रायश्चित भी नहीं होता” क्या अब मेरे माफी मांगने से सारी परिस्थितियों सुलझ जाएगी? नहीं बल्कि अब तो अविनाश के साथ-साथ सिया भी अपनी बहन से नफरत करेगी, मैंने अपनी बहन को भी आज खो दिया, मैं इतनी स्वार्थी बहन कैसे हो गई, क्या मेरी सजा यही है कि अब मुझे इन दोनों की नफरत झेलनी पड़ेगी! अपने चाहिए अपने किए का कितना भी प्रायश्चित कर लो किंतु अब यह है सजा कम नहीं होगी! 

    हेमलता गुप्ता स्वरचित 

   कहानी वाक्य प्रतियोगिता “कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता”

VM

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