स्वार्थ – खुशी : Moral Stories in Hindi

मीता शादी हो कर आई तब घर में सास ससुर पति धीरज और ननद  रीमा जो शादी शुदा थी पर हर समय मायके में ही रहती थीं । मीता ने शुरू शुरू में तो सबको बहुत प्यार से बांधने की कोशिश की पर जल्द ही उसे समझ आ गया कि उसकी सास एक स्वार्थी महिला है जिसे सिर्फ खुद से प्यार  करती हैं

उसकी जिंदगी में वो और उसकी बेटी रीमा ही मायने रखती हैं। मीता घर का सारा काम करती और सास बहु आराम करती । उसी बीच रीमा के गर्भवती होने की खबर आई।अब तो सारा घर सर पर था पहले तो रीमा भूले भटके अपने घर भी चलीं जाती।पर अब तो उसने वही ठिया मांड लिया।

सास मीता से सब करवाती पर बेटी को हाथ भी ना लगाने देती। इसी बीच मीता की भी गर्भवती हो गई परंतु उसे बाहर का खाने पर रोक घर के कामों का बोझ इस व्यवहार से खुश मिजाज मीता चीड़ चिड़ी होती जा रहीं थी।समय पूरा हुआ रीमा ने बेटे को जन्म दिया अब तो सास फूली ना समाती ।

बेटी को तब भी घर ना भेजा उसकी तीमारदारी बहु से करवाती।फिर मीता के भाई की शादी में सबका जाना हुआ तो ननद रानी को उनके घर विदा मिली।पर बहु को आराम ना देना काम वाली लगाई नहीं।सासू जी सुबह से बेटी के घर उसकी मदद करने चली जाती।बिचारी मीता पति ससुर का नाश्ता खाना घर की साफ सफाई सब अकेले करती।

नियम समय पर मीता ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया।मीता की सास का  बडबडाना जारी था।लड़की पैदा कर दी। डिलीवरी भी यही करवाई मां के यहां नहीं गई हमारा खर्चा करवाया।मीता बहुत रोई उस दिन उसके पति ने अपनी मां से कहा मेरा बच्चा है तो खर्च भी मै उठाऊंगा।

धीरे धीरे बच्चे बड़े हुए पर मीता की सास सिर्फ अपनी बेटी से और उसके बच्चे से प्यार करती।पोती का अधिकार धोते को देती।धीरे धीरे मीता सिर्फ अपने बच्चों और घर में सिमट गई नौकरी पर जाती घर आती अपना बच्चा सब देखती।ससुर दुनिया छोड़ चले गए पर सास का बेटी प्रेम खत्म नहीं हुआ।

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मीता की बेटी रिया भी कहती मम्मी दादी हमें प्यार क्यों नहीं करती।क्यों कहती हैं लड़का बन के आना था। ।मीता समझाती बेटा वो बुजुर्ग है ना ध्यान मत दिया करो।वो आपको बहुत प्यार करती हैं।बच्चे उम्र के उस पड़ाव में थे जब वो अपना करियर सेट कर रहे थे।मीता की बेटी रिया का मेरिट पर एडमिशन हुआ

और रीमा के बेटे का साधारण से कॉलेज में हुआ इस बात पर भी मीता की सास चीड़ गई आज मीता को बहुत गुस्सा आया कि बोली माता जी आप कितनी स्वार्थी है आपको सिर्फ अपनी और अपनी बेटी नवासे की पड़ी रहती हैं।मीता की सास चीड़ गई अब तक जिस बेटी नवासे के लिए पागल रहती थी।

वो भी अपनी दुनिया में मस्त रहती ।रीमा के पास वो जब जाने का कहती वो कहती आज ट्यूशन है आज यहां जाना है वहां जाना है।सास देखती मीता घर संभालती बाहर का संभालती बच्चो को देखती।हर आदमी मीता की तारीफ करता।सास के भाई के बेटे की शादी में इतना काम करवाया।

अब सब रीमा और उसकी मां की जगह मीता को ही पूछते।इस बात से मीता की सास नाराज़ हो जाती कहती ऐसा क्या करती हैं जो इतनी बनी फिरती हैं।मीता अपने काम घर और बच्चों में खुश थी। मीता की सास का 75 जन्म दिवस था मीता ने सब रिश्तेदारो को बुलाकर सरप्राइस बर्थडे पार्टी प्लान की सब बड़े खुश थे

हर कोई बेटे बहु की तारीफ कर रहा था।मीता की सास बोली ऐसा क्या कर दिया इनका फर्ज है।तब धीरज की मौसी बोली अरे तू कितनी मूर्ख है नीला तेरी बहु तेरा सब करती हैं समाज में तुम्हारी क्या हैसियत थी और आज तुम क्या हो ये सब इन्हीं की वजह से है।तुम सारा दिन बेटी बेटी करती हो उसने तो तुम्हारे लिए कुछ नहीं किया कभी।

अब इस उमर में अपनी आंख से पट्टी उतारो और अपनी गलती मानो ।आज पहली बार नीला को अपनी गलती का एहसास हुआ।वो घर आकर बोली मीता मुझे माफ करदो मैं अपने स्वार्थ में अंधी हो गई थी जो सही गलत में फर्क ना कर सकी। मै अपने वव्यवहार के लिए शर्मिन्दा हु मुझे माफ कर दो बेटा।मीता बोली मां हमे आपका आशीर्वाद चाहिए और कुछ नहीं। नीला बहु के गले लग रो पड़ी और सारा द्वेष धूल गया।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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