“जिंदगी की हर सुबह कुछ शर्तें लेकर आती हैं।
“कुछ शर्तें शायद मालिनि के आगे उसकी भाभियों ने भी रखी थी..लेकिन!!” क्या करे मालिनि उन शर्तों के आगे अपने स्वाभिमान के साथ समझौता करे या फिर अपने स्वाभिमान के लिए लड़े.. कुछ समझ नही आ रहा था।
पति संजीव से तलाक लेने के बाद.. मालिनि अपने बच्चों को लेकर अपने मायके लौट आई थी, “क्योंकि वह अपने पैरों पर खड़े होकर अपने बच्चो की परवरिश अकेले ही करना चाहतीं थी लेकिन कहते हैं एक तलाकशुदा स्त्रियों को अपने मायके में पहले जैसा प्यार नही मिलता है.. कुछ ऐसा ही मालिनी के साथ हुआ था।
मालिनी के पिता का स्वर्गवास मालिनि की शादी के कुछ महिनों बाद ही हो गया था..मालिनी की माँ औऱ भैया भाभी थे..माँ की दशा देखकर ऐसा ही लगता था कि भैया भाभी माँ की कोई कद्र नही करते थे..माँ को ही घर के सारे काम करने पड़ते या यूं कहें नोकरानी बना कर रखा था घर मे।
“मालिनि से भी उसकी भाभियों ने साफ साफ कह दिया था ग़र यहाँ रहना है तो हमारे अनुसार ही चलना होगा.. हमारी शर्तों का पालन करना होगा.. जैसे तुम्हारी माँ घर का काम करती है,वैसे ही तुम्हे भी घर के कामो में हाथ बटाना होगा..औऱ हा तुम्हारे बच्चो की पढ़ाई लिखाई का खर्चा स्वंय ही उठाना हमारे पास फिजूलखर्ची के लिए पैसे नही है,हम नही उठा सकते बच्चो का खर्चा.. भाभियो ने कहा।
इस तरह मालिनि अपनी भाभियो से रोज अपने स्वाभिमान को मरते देख रही थी लेकिन करे भी क्या आखिर कोई उपाय भी तो नही था..!!
मालिनि ने अपने भाइयो की तरफ देखा.. लेकिन भाभीयों के सामने उनके जुबां को भी ताला लग जाता था..वो चाहकर भी कुछ नही कर सकते थे..मालिनि ने अपनी भाभीयों की सब बातो में हाँ मेँ हाँ मिलाकर कहा-“
ठीक है आप जैसा चाहती है वैसा ही होगा..मालिनी ने अपने बच्चों के मासूम चेहरों की तरफ देखते हुए कहा।
मालिनि ने मन ही मन सोचा..कुछ दिन यहाँ रहकर अपने लिए कुछ काम की तलाश भी कर लूंगी।
ताकी अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोच सकूँ औऱ उसका किसी अच्छे स्कूल में एडमिशन करा सकूँ..।
मालिनि दिन भर अपनी माँ के साथ घर के काम काज में लगी रहती औऱ उधर..भाभियां गप्पे मारने में लगी रहती।
एकदिन मालिनि की माँ ने कहा-“तेरी भाभियां रोज रोज तुझे जलील करती है यह मुझे देखा नही जाता है,तेरे पिता थे तब तक ही इस घर मे मेरी चलती थी। मैं तो यह सब सहन कर लेती हूं लेकिन तेरे साथ जो यह व्यवहार करती है,वह मुझसे देखा नही जाता है।
मैं तुझे कहना चाहती हूं कि”
तू एक काम क्यों नही करती..तुम्हे तो सिलाई करनी आती है ना.. फिर तू सिलाई करने का काम शुरू क्यो नही करती..!
अपनी माँ की बात सुनकर मालिनी के मन मे एक उम्मीद जगी.. ।वो तो भूल ही गई थी कि उसे सिलाई करना भी आता है।
यह तो माँ ने अच्छा सुझाव दिया है…
मालिनि ने अपनी माँ से कहा-“अरे माँ आपने तो मुझे सच मे अच्छा सुझाव दिया है। लेकीन मेरे पास सिलाई के लिए ऑडर कहाँ से आएंगे?
“कौन हैं जो मुझे काम देगा?
मालिनि ने निराश होकर कहा।
तू चिंता मत कर..घर के पास ही एक बड़ी दुकान हैं वहाँ से तुम्हे सिलाई के लिये ऑर्डर मिल सकते हैं.. मालिनि की माँ ने कहा।
मालिनि घर का सारा काम निपटाकर उस दुकान पर गई औऱ अपनी सिलाई के बारे में बताया ..उसने दुकान से कहा -“आप पहले मेरा ट्रायल लेने के लिए कुछ सस्ते कपड़े दे दो ग़र आपको मेरे द्वारा बनाये गए कपडे पसन्द आये तो मुझे काम दे देना वरना कोई बात नही।
दुकानदार मालिनि की बातों से सहमत हो गया.. उसने मालिनी को सिलाई के लिए कुछ कपडे दे दिए..। मालिनि खुश थी।
मालिनि इस खुशी के साथ जैसे ही घर पहुँची भाभियो को न जाने इस बात का कैसे पता चल गया..।
भाभियां नाराज हुई उन्होंने मालिनि से कहा-“कुछ हमारे घर की इज्ज़त का ख्याल है भी या नही..लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे कभी सोचा है.. लोग तो यही कहेंगे ना कि भाइयों से अपनी एक बहन भी नही संभाली जा रही..वह भी बोझ लगने लगीं हैं जो उसे काम करने के लिए बोल दिया.. भाभीयों ने कहा।
नही !!”भाभी ऐसा कुछ नही होगा.. ग़र कोई कुछ बोले तो मै जवाब दे दूंगी आप फिक्र मत कीजिए..मुझे कुछ दिन काम करने दीजिए ग़र मेरा काम दुकानदार को सही लगा तो ठीक वरना फिर मै खुद ही काम छोड़ दूँगी..मालिनि ने कहा।
ठीक है हम कुछ नही कहेंगे.. ग़र घर की इज्ज़त पर बात आई तो फिर देख लेना… भाभीयों ने धमकी भरे अंदाज़ में कहा।
मालिनि उनकी बातों को इग्नोर करके अपने काम मे लग गई।
घर के काम से फ्री होते ही सिलाई करने बैठ जाती औऱ देर रात तक सिलाई करती रहती..। दुकान दार को मालिनी का काम पसन्द आया।अब तो मालिनी को ऐसा लगने लगा जैसे वह अपने बच्चो का भविष्य बना सकती है। अपनी माँ औऱ खुद को इन भाभियो के अत्याचार से छुटकारा दिला सकती हैं। अब वह एक स्वाभिमान से भरी जिंदगी जी सकती है।
औऱ दुकानदार ने मालिनि को बड़ा ऑर्डर दिया।
सिलाई करते करते मालिनि अच्छे पैसे कमाने लगीं थी..यह देखकर भाभियो को गुस्सा आने लगा था.. औऱ उनका अत्याचार भी बढ़ने लगा ..इसलिए मालिनि ने निश्चय किया कि
सिलाइयो के पैसे से सबसे पहले मालिनि ने एक छोटा सा कमरा किराये पर लिया औऱ अपनी माँ औऱ बच्चो के साथ वहाँ रहने लगीं।
बच्चो (सोनू-साक्षी) का एडमिशन एक अच्छे स्कूल में करवाया।
मालिनी अपनी मॉ को साथ इसलिए लाई क्योंकि वह अपनी माँ को उन भाइयों के बीच अकेला नही छोड़ना चाहती थी जो मूक बधिर बनकर रोज माँ का तमाशा बनते देखते थे…!
अब मालिनी के हाथों के बने कपड़े दूर दूर के शहरों जाने लगें.. मालिनि को सभी जगह से आर्डर मिलने लगें। अपनी मेहनत से मालिनि ने नाम कमा लिया था..मालिनि ने अपनी माँ को धन्यवाद दिया कि
माँ ग़र आप समय पर सुझाव नही देती तो शायद आज मै अपने पैरों पर खड़ा नही हो पाती औऱ ना ही सम्मान की ज़िंदगी जी पाती ।मै तो बस भाभियो के ताने सुनकर रोज अपने स्वाभिमान को ठेस पहुँचाती। शुक्रिया माँ।
अरे बिटिया शुक्रिया तो मुझे अदा करना चाहिए.. जो तू मुझे उस नरक में से निकाल कर लाई..। आज मैं भी तेरी वजह से स्वाभिमान से जी सकती हूँ,जो फ़र्ज बेटों को निभाना चाहिये वह तू निभा रही है.. लोग कहते हैं कि बेटा बुढापे का सहारा होता है.. बल्कि सच तो यह हैं कि बेटियां भी माँ बाप के बुढ़ापे का सहारा होती है.. बेटी चाहे कितनी भी दूर हो वह अपने माँ बाप को तकलीफ में देखकर कभी मुँह नही मोडती दौड़ी आती है औऱ बेटे के पास माँ बाप के रहते हुए भी उसे माँ बाप की तकलीफ समझ नही आती है। मालिनि की माँ ने कहा।
मालिनि ने कहा माँ दूसरों की शर्तों पर जिंदगी जीना मतलब अपनी जिंदगी का समझौता करना है..।औऱ मैं भाभीयों की शर्तो पर जी अपना औऱ अपने बच्चो की ज़िंदगी का समझौता नही कर सकती थी। उस समय उनके साथ रहना मेरी मजबूरी थी,वो समय कुछ औऱ था जब मुझे मेरा स्वाभिमान भाई भाभी के हाथों में गिरवी रखना पड़ा। लेकिन मैं नही चाहती थी कि मेरे बच्चों को भी वो ही सब सुनने को मिले जो मुझे मिलता था…! इसलिए आज मैं अपनो पैरो पर खड़े होकर औऱ स्वाभिमान के साथ अपनी ज़िंदगी जी रही हूं। इस बात से बहुत खुश हूं।
आप औऱ मेरे बच्चे मेरे साथ है।
दोस्तों आपको मेरी कहानी कैसी लगी प्रतिक्रिया जरूर दे… करने के साथ अपना प्यार भी दे🙏
#स्वाभिमान
ममता गुप्ता