बाबूजी बाबूजी मुझे भी भाई की तरह एक साइकिल दिला दो ना क्योंकि हमारे गांव में तो कक्षा 10 तक ही स्कूल है…मुझे आगे पढ़ने के लिए हमारे गांव से 5 किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ेगा…. हां हां लाडो मुझे याद है मैं कल ही तेरी साइकिल की व्यवस्था करता हूं…..
तभी रानों की दादी अपनी कर्कश आवाज में बीच में बोल पड़ीं अरे भानु तू पागल हो गया है क्या ?? तड़के सुबह से लेकर शाम तक खेतों में हल जोतता है तब कहीं चार पैसे घर में आते हैं…. किसी तरह से गुजारा होता है और तू वह सारे पैसे भी इस नामुराद की पढ़ाई व साइकिल में गंवा देना चाहता है….
बहुत पढ़ाई कर ली . ..दसवीं तक पास हो गई है आगे पढ़ कर क्या करेगी कौन सा कलेक्टर बनना है करना तो चूल्हा चौका ही है….. मेरी बात मान तो रघु को पढ़ा लिखा कर काबिल बना ताकि जब वह बड़ा आदमी बन जाए तो तेरे बुढ़ापे की लाठी भी बनेगा तेरा मान भी बढ़ाएगा और स्वाभिमान की रक्षा भी करेगा…..
अपने सास के मुंह से ऐसी जली कटी बातें सुनकर भानु की पत्नी भैरवी को गुस्सा तो बहुत आया….लेकिन वो कुछ नहीं बोली पर भानु से रहा न गया…..
मां यह कैसी बातें कर रही हो तुम? ?आज के जमाने में बेटा बेटी दोनों बराबर हैं और जहां तक बात स्वाभिमान बढ़ाने की है तो आप अपने इस नालायक पोते रघु से तो कुछ आशा ही मत कीजिए…. सातवीं तक भी कैसे लटक लटक के पास हुआ है…. और रानों को देखो हमेशा फर्स्ट क्लास फर्स्ट आती है
देखना एक दिन यह बड़ी होकर कलेक्टर ही बनेगी…. तब आपको अपनी ही कहीं बात पर अफसोस होगा….. कि मैंने हमेशा अपने निकम्मे पोते की तरफदारी की और अपनी पोती का तिरस्कार किया……
दादी( सुलोचना देवी) के पास कोई जवाब नहीं था…. और भैरवी की आंखों में खुशी के आंसू थे…यह सोच कर कि उसके पति के मन में औरतों के लिए कितना इज्जत और सम्मान है…..
दूसरे दिन भानु साइकिल लेकर आ गया और रानों साइकिल से पढ़ने जाने लगी …उसने 12वीं तक की परीक्षा भी अच्छे अंकों से पास कर ली….. जबकि रघु अभी भी आठवीं में ही था….. लेकिन अब समस्या यह थी कि रानों को आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना था….. क्योंकि गांव में 12वीं तक ही स्कूल थी…..
चूंकि शहर जाकर पढ़ने में खर्चा भी ज्यादा लगने वाला था….और अकेली जवान लड़की को पढ़ने के लिए भानु भेजना भी नहीं जाता था . सो भानू ने अपना खेत और टाली बाड़ी का जो छोटा मोटा घर था …..उसे बेच कर शहर जाने का फैसला किया…..
वहां जाकर उसने किराए का एक छोटा सा कमरा ले लिया….. बेटी को कॉलेज और बेटे को स्कूल में भर्ती कर दिया…… और खुद एक किराने की दुकान में काम करने लगा….. बेटी भी मदद के लिए बच्चों की ट्यूशन देने लगी….
रानों ने जब देखा कि उसके पिता उसकी पढ़ाई के लिए कितनी तकलीफें उठा रहे हैं ….अपने खेत और घर को भी बेच दिया और शहर आ गए….तो वो और निष्ठा व लगन से पढ़ाई में जुट गई…. और नतीजा ग्रेजुएशन में उसने टॉप किया और साथ ही साथ सीएसई और यूपीएससी की परीक्षा क्लियर करके 22 साल की उम्र में कलेक्टर बन गई. …
जबकि भाई रघु लटक लटक के दसवीं पास कर पाया था….. और उसने हार मानते हुए कह भी दिया कि उससे और पढ़ाई नहीं होगी….
24 साल की उम्र में रानों के पास सरकारी नौकरी ,घर ,लाल बत्ती की गाड़ी सब कुछ हो गया… उसने अपने पिता की मोदी किराने की दुकान की नौकरी छुड़वा दी ….और कहा बाबूजी आपने हम बच्चों की परवरिश के लिए बहुत कष्ट उठाया है….अब आप सिर्फ आराम करेंगे…और भाई को कपड़े की दुकान करवा दी जिसे संभाल कर वह भी अपने पैरों पर खड़ा हो गया…..
आज भानु का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है….वह अपनी मां से कह रहा है मां देखा मैं न कहता था मेरी बेटी मेरा स्वाभिमान बढ़ाएगी देखो उसने कर दिखाया और वह आज कलेक्टर बन गई है अब क्या कहती हो मां??
जबकि जिस पोते की आप तरफदारी करती थी…. वो तो अपने पैरों पर ठीक से खडा भी नही हो पाया…. वो तो रानों ने उसे दुकान करवा दी…. तो कमाने खाने के लायक हो गया….. नही तो डंडा ही ढोते फिरता….
सुलोचना जी की आंखों में प्रायश्चित के आंसू थे…. उसने रानों को अपने पास बुलाया… और शाबाशी देते हुए माफी मांगने लगी…. तब रानों ने कहा, अरे दादी ये क्या कर रही हो??
बड़े छोटों से माफी नही मांगते….. आप तो बस मुझे आशीर्वाद दो….. तब दादी ने उसके सर पर अपना हाथ रख के उसे अपने गले से लगा लिया….
एक बार फिर भैरवी की आंखों में खुशी के आंसू थे….
देखा जाए तो यह कहानी नहीं हकीकत है आज भी बहुत से घरों में पैसों के अभाव में बेटा चाहे काबिल हो या ना हो लेकिन बेटे को ही प्राथमिकता दी जाती है जबकि बेटियां काबिल होते हुए भी उनकी पढ़ाई छुड़वा दी जाती है जैसा की इस कहानी में सुलोचना दादी चाहती थी…. लेकिन लड़की का पिता उसके साथ था इसलिए वह आगे बढ़ पाई और अपने पिता का स्वाभिमान भी बढ़ा पाई….
कैसी लगी आपको मेरी स्वरचित कहानी ??कमेंट के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा… और हाँ अगर अच्छी लगे तो लाइक और शेयर करने से मत चूकियेगा….
धन्यवाद🙏
आपकी दोस्त
©मनीषा भरतीया
NICE STORY
Absolutely