अरे ये कर्टेन ढ़ंग से लगाओ ,और ये क्या ये चेयर अभी तक धुली नहीं।
माया जल्दी जल्दी हाथ चलाओ अभी लड़के वाले आते ही होंगे। और बिंदिया ( पुत्र वधू) जाकर मार्या ( बिंदिया की बिटिया) तैयार होने को कह दो।
दादी जी बड़े जोश में घर को सेट करवा रही थी आखिर पोती को देखने लड़के वाले आ रहे हैं।
तभी गुस्से में तमतमाई मार्या अपने रूम से निकल कर आ गई। और बोली दादी ये क्या ” मम्मी कह रही हैं तैयार हो जाओ लड़के वाले आ रहे हैं”
दादा जी ;” हां तो अब हमारी गुड़िया बड़ी हो गई है समय पर हर काम करने ही पड़ते हैं”
मार्या ; “दोनों हाथ कमर पर रख कर बोली अच्छा मैं बड़ी हो रही हूं और भैया वो तो मुझसे चार साल बड़ा है उसका क्या?”
(तेज स्वर में ) हां वो तो लड़का है !
“आ गया ना भेदभाव”
दादी जी ने मार्या के सिर पर हाथ रखा और बोली “पहले इस घर की लक्ष्मी विदा होंगी फिर दूसरे घर से लक्ष्मी को लाएंगे ,ये ही सही रहता है।”
“दादा जी दादा जी दादी को समझाओ ना प्लीज मेरी PHD अधूरी रह जाएंगी।” मार्या ने दादा जी के पास बैठ कर उनका मुंह अपनी तरफ मोड़ते हुए कहा।
दादा जी ;” नहीं बेटा लड़के वाले कोई अंजान नहीं हैं, जाना पहचाना परिवार है और लड़का भी बैंक मैनेजर है।इतना अच्छा रिश्ता घर बैठे मिल रहा है और रही पढ़ाई की बात चिंता ना करो मेरी बात हो गई है उनकी बिटिया इशा तुम्हारे बराबर की है वो भी MBA कर रही है ।
मैने तुम्हारी पढ़ाई की भी चर्चा की थी वै बोले ” हमारे यहां कोई काम नहीं है मर्जी आए तब तक पढ़ो ना?”
और तो और उस घर की सभी महिलाएं अच्छी अच्छी पोस्ट पर हैं। तो नेचुरल है तुम्हे भी कोई रोक टोक नहीं होंगी फिर उन्होंने आगे चलकर तुम्हे मांगा है इससे खुशी की बात क्या हो सकती है ,हां तुम्हे कोई और पसंद है तो बताओ ।”
मार्या मायूस होकर बोली ” दादा जी मैं भी भैया की तरह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं “
दादा जी ने मार्या के गालों को प्यार से थपथपाया और बोले “अब अपने घर जाकर ही पैरों पर खड़ी होना।
बस अब दिमाग से ये चीज निकाल दो और शादी की तैयारियां शुरू करो।
जाओ आज वो लोग आएंगे तो पहले अच्छे से तैयार हो जाओ।”
पर हर कोशिश असफल रही ।
चन्द महीनों में मार्या की शादी अविनाश से हो गई।
नया नया घर नया माहौल स्त्री जाति तो ढलने की पूरी कोशिश कर ही लेती है।
दो तीन महीने बाद मार्या ने अविनाश से PHD की चर्चा की वह बोला ” अरे यार क्यों परेशान होना है मैं इतना कमाता हूं की तुम्हे सोने में तोल दूंगा मस्त रहो ना यार। देखो ना मम्मी भी जिंदगी भर नौकरी के पीछे दौड़ती रहीं, कभी आराम नहीं किया अब तुम आ गई हो सेवा पानी करो। घर का ध्यान रखने के लिए भी कोई चाहिए ना?”
मार्या ने धीरे से कहां ” पर दादा जी कह रहे थे इस घर में पढ़ाई पर कोई रोक टोक नहीं है “
अविनाश एकदम बिफर गया ” एक बार जो कह दिया ना वो कह दिया। दुबारा इस बात पर चर्चा नहीं होनी चाहिए।”
मार्या को आज एहसास हुआ कि वास्तव में लड़के और लड़कियों में भेदभाव कम नहीं हुआ है। समानता की बात जो किताबों में पढ़ी है ,गर्व किया है सब निरर्थक हैं। आज भी हम गुलामी के दायरे में कैद हैं।
पहले पापा का राज था फिर पति का बस गद्दी बदल दी गई।
आज मार्या को लगा चारों और उग आई नुकीली झाड़ियां जो कर रही हैं मन को लहूलुहान ,व्यथित जिंदगी मानों फंस गई है एक चक्रव्यूह में जो कि अभेद्य है।
मन समाज में व्याप्त असमानता की स्थिति को बार बार पढ़ रहा था। मतलब सब झूठ है अर्धांगिनी और सहधर्मिणी । कोरी बकवास है समाज नारी को सिर्फ भोग की वस्तु व दासी बना कर रखना चाहता है ।
उदास सी मार्या को आज मर्द जाति पर ही गुस्सा आ रहा था। फिर उसने सोचा क्यों ना मम्मी जी से बात की जाए।
इसीलिए मम्मीजी के पास चली गई थी ।
मम्मी जी बोली” आओ आओ मार्या क्यों बेटा आज बहुत उदास सी लग रही हो अविनाश से लड़ाई हो गई क्या? अरे बेटा ये सब चलता रहता है जब बच्चे हो जाएंगे ना तब अक्ल ठिकाने आ जाएंगी। अब तो तुम वंश को आगे बढ़ाने की सोचो।”
मार्या बोली ” मम्मी जी मै अभी अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती थी “
मम्मी जी ” अरे बेटा छोड़ो ये सब घर गृहस्थी पर ध्यान दो ?
मार्या ; ” मम्मी दीदी के साथ मैं भी……”
बात भी पूरी नहीं हुई थी कि मम्मी जी भड़क उठी “क्यों अपने पापा के घर पर जोर आ रहा था क्या? जो यहां पढ़ोंगी। हम भी अपनी बेटी को पूरी पढ़ाई करवा रहे हैं। और तुम्हे भी हम ही करवाएं । इतना ही मन था तो पहले ही PHD पूरी करी होती? वैसे भी देखो मैं तो खुद ही नौकरी कर कर थक गई हूं क्यों फालतू में इन लफ्डो में फंसना चाहती हो जब नौकरी ही नहीं करनी तो पढ़ाई का भी क्या ओचित्य?”
मार्या ” पर दादा जी तो कह रहे थे आप लोग मेरी पीएचडी पूरी करवा देंगे।”
मम्मी जी ने मार्या की तरफ प्यार से देखा और बोली ” “बेटा अभिषेक शुरू से ही नौकरी और आगे पढ़ाई के खिलाफ था बड़ी मुश्किल से इसे शादी के लिए राजी किया था । अब वो शादी भी तुमसे ही करना चाहता था,उसने तुम्हे सोनू +तुम्हारी सहेली जो इसके फ्रेंड की बहन है) कि शादी में देखा था। देखो बेटा अब अविनाश ही तुम्हारी जिंदगी है उसे खुश रखो आखिर पति ही परमेश्वर होता है।”
मार्या की आखरी उम्मीद टूट चुकी थी । अपने कमरे में जाकर टी वी ऑन कर लिया और सिसक उठी।
टीवी में एक महात्मा जी का अपना अध्यात्म ज्ञान दे रहे थे ” यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता”
सुन कर मार्या का अपने आप पर हंसने का मन कर रहा था।
देवी बना कर बिठाना चाहता है ये पुरुष समाज ताकि अनभिज्ञ नारी प्रसन्न मुद्रा में उसके अत्याचार सहती रहे। पर नहीं अब ये चक्रव्यूह मैं ही तोड़ूंगी।
पर तभी अविनाश आ गए मार्या ने अनमने मन से अविनाश के साथ रात बिताई सुबह अपनी जिंदगी के केनवास पर रंग भरने को लालायित मार्या जल्दी उठ गई।
तभी कानों में आवाज गूंजी ” लड़का अच्छा है ठिकाने का परिवार है इशा तुम राज करोंगी मान जाओ”
इशा चिल्ला रही थी “नहीं मै अभी शादी नहीं करूंगी। जैसे भाभी के सपने आग में जल गए मैं अपने सपनों को उस आग में नहीं झोंकना चाहती। मैं देख रही हूं भाभी को यहां हर छोटे कार्य के लिए इजाजत लेनी पड़ती है क्यों? उनके अपने जीवन के निर्णय भी वो नहीं ले सकती? तो मुझे भी तो यही सब सहना पड़ेगा। जब तक मेरी MBA पूरी नहीं होती मै शादी नहीं करूंगी।”
तभी रूम में मार्या आ गई।
मार्या को देख मम्मी जी बोलीं
” मार्या समझाओ इसे पगला गई है ये या हमारे लाड प्यार ने बिगाड़ दिया”
मार्या अब अपनी समस्त शक्तियों को समेट कर बोली ” इशा दी मैं आपके साथ हूं।”
इतना सुनते ही अविनाश का हाथ मार्या के ऊपर उठने ही वाला था कि पिताजी ने पकड़ लिया बोले अविनाश
अपनी हद में रहो।
मार्या को सबके सामने अविनाश का ये रूप अच्छा नहीं लगा अब सब कुछ बर्दाश्त से बाहर था इसीलिए
हिम्मत कर बोली ” क्यों डरते हो हमारी उन्नति से मुझे तो रोक ही रहे थे अब अपनी बहन को भी”
पर सॉरी अब हमें कोई नहीं रोक पायेगा चाहे कुछ भी करना पड़े “और
फिर एकाएक ठहाका लगा कर हंस पड़ी और बोली ” मत डरिए अविनाश बाबू अब आपको ये डर नहीं सताएगा कि मैं आपसे कहीं ऊपर ना पहुंच जाऊं? शायद आपको अपने अस्तित्व की चिंता है या आपका इगो आड़े आ रहा है ? पर जो मैं भुगत रही हूं इशा दी को नहीं भुगतने दूंगी । मेरे साथ भले ही कोई नहीं होगा लेकिन ये पहल मैं करती हूं कि मैं इशा के साथ हूं”
अब इशा ने भी मार्या का हाथ पकड़ लिया और बोली सॉरी भाभी पर अब मैं भी आपके साथ हूं और ये कारवां अब रुकेगा नहीं।
मम्मी जी ने भी इशा का हाथ पकड़ लिया था । सॉरी मार्या अब ” हम साथ साथ हैं”
जब घर की सभी महिलाएं एक साथ हो गईं तो तो अब किसी के रोकने से कैसे रुकती।
मम्मी जी ,पापा जी को बहुत मुश्किल हुई पर अविनाश को समझा दिया।
फिर क्या था एक दिन परिणाम तो आना ही था जिसके फलस्वरूप आज मार्या को PHD की उपाधि मिलने वाली थी ।
भरे सभागार में मार्या ने कहा ” हमें तो सही मायने में समानता का अधिकार चाहिए यकीन कीजिए किसी के सम्मान में कोई कमी नहीं होंगी। पर सॉरी मैं ये उपाधि उन लोगों के हाथ लेना चाहूंगी जिसने मुझे इस उपाधि लेने में अपना भरपूर सहयोग दिया। जी हां मम्मी जी ,पापा जी और अविनाश प्लीज़ आप मुझे ये उपाधि प्रदान करें, सभी की बदौलत ही मैं इस मुकाम पर पहुंची हूं।”
अविनाश,मम्मी जी ,पापाजी बड़े गर्व से स्टेज की सीढ़ियां चढ़ रहे थे। पापा जी ने माइक अपने हाथ में लिया और बोलने लगे
” सर्वप्रथम तो मातृ शक्ति को प्रणाम। नारी में बहुत शक्ति होती है बस चाहता हूं हर वो मुकाम जो वो पाना चाहती है उसके लिए खुद नारी शक्ति भी एक जुट रहे, पर वाह! रिश्ते बदलते ही इनकी भावना बदल जाती है ?
ये बदलाव भी मातृ शक्ति में ही होता है अगर ये सभी एक दूसरे का हाथ पकड़ लें तो मजाल है कि किसी नारी के सपने चकनाचूर हो जाए सवाल ही नहीं। अरे नारी शक्ति ने अपने विवेक, बुद्धि,सहनशीलता,समर्पण भाव से हर युग में अपना लोहा मनवाया है। और आज भी किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। सबको रोशनी प्रदान करने वाली शक्ति आज खुद अंधकार का सामना करती है क्यों?
क्योंकि एक जुट नहीं है।
अपने रिश्तों के अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी शक्ति को दांव पर लगा देती है।
मैं कहता हु हर नारी को अपने स्वाभिमान के साथ जीना चाहिए।
अब मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूं मार्या का जिसने हमारी आंखें खोल दीं कि वास्तव में आज भी नारी शक्ति को पूरी तरह समानता का हक नहीं मिला है।
जो चीज जेंट्स को आसानी से मिल जाती है उसी चीज के लिए नारी शक्ति को एडी से चोटी तक का जोर लगाना पड़ता है आप बता सकते है वो चीज क्या है?
नहीं ना चलिए मैं ही बताता हूं वो है “इजाजत “।
हर छोटे से छोटे काम की इजाजत मांगों वो भी अगले कि मर्जी हो तो मिले वर्ना नहीं।
जहां तक मैं समझता हूं ऐसा नहीं होना चाहिए। नारी को भी हक होना चाहिए कि वो अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी सके। पर हमारा इगो ये सब करने की इजाजत नहीं देता है , क्योंकि इस इगो को बनाने वाली भी एक नारी शक्ति ही है वो होती है हमारी मां जो चाहती है कि उसके बच्चों से बढ़कर कोई नहीं।
मै यही कहूंगा” सम्पूर्ण नारी शक्ति चाहे वो मां हो ,सासू मां ,बहन , नन्द,भाभी बहू,दादी,किसी भी रूप में हो एक दूजे का साथ दें। अगर सम्पूर्ण नारी शक्ति एक जुट हो जाए तो मेरा चैलेंज है कि आपके अधिकार से कोई वंचित नहीं कर सकता। क्योंकि आप ही सृष्टि की रचियता हो। असीमित शक्ति के साथ आपका जन्म हुआ है। फिर से एक बार समस्त मातृ शक्ति को प्रणाम।”
और अपनी बुलंद आवाज में बोले” नारी शक्ति की…
पूरा सभागार जय जय से गूंज उठा।
साथ ही पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान हो रहा था।
दीपा माथुर
#स्वाभिमान