रामप्रसाद जी आराम से कुर्सी पर बैठकर पेपर पढ़ रहे थे उनकी बीवी सुगंधा ने उनको आकर जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाइयां दी राम प्रसाद जी बहुत खुश हुए और सुगंधा जी ने राम प्रसाद के नाश्ते के लिए पोहा और गरम-गरम हलवा उनकी टेबल पर आकर रख दिया राम प्रसाद जी बहुत खुश हुए लगभग दिन के 12:00 बज रहे थे वह सोच रहे थे
आज मेरे बच्चों ने किसी ने विश नहीं किया यह सोचते सोचते उन्होंने नहा धोकर तैयार होकर खाना भी खा लिया सुगंधा जी भी सोच रही थी आज मेरे तीनों बच्चों ने पापा को 75 वे जन्मदिन पर कोई बधाई नहीं दी घर में शांत माहौल था रामप्रसाद जी और सुगंधा रहते थे तीनों बच्चे बाहर नौकरी के लिए निकल गए थे
एक बेटा SDM दूसरी बेटी असिस्टेंट प्रोफेसर और तीसरी सबसे छोटी बेटी साइंटिस्ट थी तीनों बच्चे अपनी अपनी दुनिया में व्यस्त थे तीनों को कभी ज्यादा फुर्सत नहीं मिलती थी ..की मम्मी पापा के पास आकर कभी …आना भी होता था तो एक-दो दिन के लिए . सभी लोग आते थे रामप्रसाद ने घड़ी की ओर देखा तो लगभग चार बज चुके थे
किसी का कोई फोन नहीं आया राम प्रसाद जी बैठकर सुगंधा से कहने लगे मुझे तो पता था बच्चों को पढ़ा लिखा लो…. लेकिन हमारी जिंदगी तो अकेली ही बिताना है…
हम पहले भी हम दो थे और अभी भी हम दो हैं… फिर उन्होंने प्लान किया …कि चलो आज हम दोनों मिलकर गार्डन घूम कर आते हैं… वहीं पर कुछ देर बिताएंगे… और उसके बाद हम डिनर करने के लिए बाहर जाएंगे इतना सा प्लान करने के बाद सुगंधा जी अच्छी सुंदर साड़ी पहनकर तैयार हो गई।
…. और रामप्रसाद जी भी अपनी धोती कुर्ता पहनकर तैयार होकर गार्डन के लिए निकालने तैयार हो गए..उन्होंने अपना पुराना ऑटो रिक्शा बुलाया उसे ऑटो रिक्शा को आने में बहुत देर लग रही थी…. इस बीच राम प्रसाद जी को गुस्साआने लगी…. कि आज तो कोई भी वक्त पर मेरे पास नहीं आ रहा है…
वहीं दूसरी ओर तीनों बच्चों ने प्लानिंग कर ली थी.. तीनों अलग-अलग शहर में रहते थे लेकिन तीनों बच्चों ने प्लानिंग कर ली थी कि हम पापा को एक बड़ा सरप्राइज देंगे …उन्होंने एक बड़ी होटल बुक कर ली थी.. वहां पर डीजे डिनर और सारे रिश्तेदारों को फोन कर कर कह दिया था ..कि पापा की बर्थडे पार्टी में सभी को पहुंचना है
तीनों बच्चों की शादी भी हो चुकी थी और बच्चे भी थे… तीनों अपनी फैमिली के साथ वहां पर कुछ देर में ही पहुंचने वाले थे… आज ऑनलाइन का जमाना है तो हर कुछ ऑनलाइन हो ही जाता है और अच्छे से हो जाता है राम प्रसाद जी को पार्टी का बड़ा शौक था… तो बच्चों ने उनके अकॉर्डिंग ही सारी व्यवस्थाएं की थी …
शाम के 5:00 बज गए थे और ऑटो रिक्शा अभी तक राम प्रसाद जी के घर पर नहीं पहुंचा था… राम प्रसाद की कुर्सी पर बैठे-बैठे इंतजार करके थक गए थे और सुगंधा से कहने लगे अब मेरा मूड नहीं हो रहा है कहीं जाने का सुगंधा जी ने कहा अरे! आपका तो यही बहाना रहता है कोई ट्रैफिक में फस गया…
होगा उसकी भी सोचो ना आप तो अपने ही बारे में सोचते हैं… राम प्रसाद जी ने गुस्से में कहा कि अब मैं कहीं नहीं जाऊंगा… मैं घर पर ही रहूंगा आज घर में सन्नाटा छाया हुआ था सुगंधा जी भी आज सारे काम छोड़कर राम प्रसाद जी के पास ही बैठी हुई थी उनका मन कर रहा था कि किसी एक बच्चे को फोन कर कर बता दूं
कि पापा का आज जन्मदिन है लेकिन उन्हें पता था यदि मैं यह बात अपने बच्चों को बता दूंगी तो राम प्रसाद को पता चल गया तो वह बहुत गुस्से में आ जाएंगे… दोनों पति-पत्नी आराम से ड्राइंग रूम में बैठे थे सुगंधा जी ने कुछ देर बाद कहा कि मैं डिनर तैयार कर लूं तो राम प्रसाद ने कहा नहीं मुझे आज कुछ भी नहीं खाना है
बस इतना ही चिल्लाते हुए शांत होकर बैठ गए। घड़ी में लगभग 6:30 बज रहे थे होटल से फोन आया राम प्रसाद जी के लिए आपको आज शाम को डिनर में होटल पहुंचना है रामप्रसाद जी थोड़ा सा खुश हो गए कि चलो कहीं से तो न्यौता आया है वह रामप्रसाद जी की पसंदीदा होटल थी अक्सर बच्चों को लेकर वहां पर खाना खाने जाया करते थे
सुगंधा जी तैयार बैठी हुई थी उन्होंने चेंज नहीं किया था और रामप्रसाद से कहने लगी चलो हम अब होटल तो चल सकते हैं .. रामप्रसाद जी ने कहा कि अब उसे ऑटो वाले नहीं बुलाएंगे हम दूसरे ऑटो को आज बुलाएंगे… दूसरा ऑटो वक्त पर आ गया और जब सुगंधा और राम प्रसाद होटल में पहुंचे तो सरप्राइज पार्टी देखकर वह दंग रह गए
तीनों बच्चे तीनों की फैमिली और पापा के ऊपर फूल बरसते हुए हैप्पी बर्थडे कहते हुए और पूरी स्क्रीन में पापा की बचपन से लेकर रिटायरमेंट तक की सारी वीडियो चल रहे थे यह सब देखकर रामप्रसाद की आंखों में आंसू आ गए और वह सोच रहे थे मैं आज दिन भर से इसी में परेशान था कि मेरे बच्चों ने अभी तक फोन नहीं किया
मेरे बच्चों ने इतनी बड़ी पार्टी मेरे लिए अरेंज कर दी …तीनों बच्चे अपने पापा के बगल में बैठकर पूरी कहानी सुनाने लगे कि हमने एक महीने पहले से यह आपके लिए सरप्राइज पार्टी रखी हुई थी और हमारी ट्रेन लेट हो गई इसलिए हम में से कोई भी एक आपके पास नहीं आया हम तीनों ने होटल में रूम बुक कराया था
और यहीं पर रुके हुए थे और होटल वाले से आपको फोन कराया जिससे कि आपको बिल्कुल भी भनक न पड़े और आपको कैसी लगी है सरप्राइज पार्टी रामप्रसाद ने कहां मैं तो सोच भी नहीं पा रहा हूं मैंने सोचा कि तीनों बच्चे अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हैं कि मुझे ही भूल गए तब बड़े बेटे ने कहा
कि पापा हम कैसे आपका जन्मदिन भूल जाते पहली बार हम लोगों ने आपके लिए इतनी बड़ी पार्टी रखी है और मामा मौसी सबको फोन करके हम लोग ने होटल में ही रुकवाया था
पापा आप भी हम लोगों को बचपन में बहुत सारे सरप्राइज गिफ्ट देते थे आज हम सब ने मिलकर आपको सरप्राइज दिया है हम आपको कभी नहीं भूल सकते जिन मां-बाप ने हमें पूरी रात जाकर पढ़ाया लिखाया और इस काबिल बनाया फिर हम आपको कैसे भूल सकते हैं आपने ही हमें सिखाया है कि वक्त कैसा हो हमें वक्त के साथ ही चलना है आपके ही संस्कार हैं हम सब में।
#अपमान बना वरदान
लेखिका : विधि जैन