करोना के कारण लम्बे लाकडॉऊन के बाद अब कुछ छूट मिली थी ,शहर में। नीता अपनी बेटी मिनी का , जन्मदिन धूमधाम से मनाना चाहती थी, और क्यों नहीं मनाए , वैसे भी लड़कियों के लिए सोलहवाँ साल बड़ा मायने रखता है ।आसपास के सभी बच्चों और कुछ मिनी की और अपने कुछ पारिवारिक मित्रों को बुलाकर छोटी सी पार्टी कर अपनी प्यारी बेटी मिनी को कुछ विशेष सरप्राइज़ गिफ्ट देने का मन था, नीता का। वह,
मॉल में अपनी सहेली करुणा के साथ शॉपिंग करने जा पहुँची। उसने पार्टी के लिए ढेर सारी खरीदी की और मिनी के लिए अच्छी सुंदर ड्रेस ली और साथ ही “सरप्राइज गिफ़्ट” भी।
मॉल से निकलकर बाहर कुछ दूर पार्किंग में उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी , जो काफी फटे पुराने कपड़े पहनी थी । चेहरे पर लाचारी साफ झलक रही थी। उसके आसपास दो तीन शोहदे लड़के मंडरा रहे थे ,और वो लड़की बेबसी से अपने तन को ढकने का असफल प्रयास कर रही थी। तभी करुणा पास आकर बोली चलना है कि नहीं !
“हाँअअ ,नीता जैसे कुछ होश में आई क्योंकि जो कुछ वो देख रही थी, वह बहुत संवेदनशील दृश्य था । उसे लगा जैसे उस लड़की की जगह अगर मिनी होती तो ! सोचकर ही उसका मन काँप उठा ।
कुछ लोग देख कर भी अंजान बने आ जा रहे थे , मानो उनकी समस्या तो है नहीं ! ऐसा ही कुछ सोचकर वह आगे बढ़ी , और उस असहाय लड़की का हाथ थाम कर मॉल में ले गई। वहाँ दो जोड़ी सलवार कमीज उस लड़की के लिए खरीदे और उसे उसके बताए पते पर छोड़कर नीता ने घर की राह ली। शाम को बर्थडे पार्टी में जब मिनी ने “सरप्राइज गिफ़्ट” देखा , तो खुशी से उसकी आँखे चमक उठी । लेकिन नीता को लग रहा था की, इससे कहीं ज्यादा ख़ुशी और कृतज्ञता उसने उस निरीह बच्ची की आँखों में देखी थी, जब उसे उसने दो जोड़ी सलवार कमीज लेकर दिये थे। “जो की उस मासूम का सबसे बड़ा सरप्राइज गिफ़्ट था” !
किरण केशरे