“सुपर मॉम ” – कविता भड़ाना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुप्रिया ने बड़े सुंदर तरीके से आसमानी नीले रंग की साड़ी पहनी, हल्का सा मैकअप कर अपनी बेटी सिया का इंतजार करने लगी। नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली सिया के स्कूल में आज पेरेंट्स टीचर मीटिंग है। शहर के जानें माने इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाली सिया के पापा अभय को किसी जरूरी काम से शहर से बाहर जाना पड़ गया था वरना सिया के स्कूल की सभी गतिविधियों के सहभागी वही होते है,

दरअसल सुप्रिया की अंग्रेज़ी बहुत अच्छी नहीं होने से उसे स्कूल में टीचरों से बात करने में बहुत हिचकिचाहट होती, सिया भी नही चाहती थीं की उसकी मां स्कूल आए और दूसरे बच्चों के सामने उसे नीचे देखना पड़े, पर सिया को मजबूरी में आज अपनी मां के साथ स्कूल जाना पड़ रहा है… मीटिंग शुरू हो चुकी थी सुप्रिया ने बड़े ही आत्मविश्वास और इत्मीनान से टीचरों के साथ सवाल जवाब किए पूरी तरह अंग्रेजी तो नही पर हां जितना बोली, समझ कर बड़े ही सलीके से बात की थी।

सिया ने भी चैन की सांस ली की चलो ये मीटिंग ठीक ठाक हों गई पर आगे से अपने पापा को ही बोलोगी आने के लिए। सिया अभी क्लास से निकली ही थी की उसकी खास सहेली टीना अपनी मम्मी के साथ आती दिखी, अत्याधुनिक कपड़ो और मेकअप किए बहुत ही बोल्ड महिला थी टीना की मम्मी “संध्या”….. टीना ने सुप्रिया और सिया को हेलो किया और अपनी मम्मी से मिलवाया तो टीना की मम्मी ने सुप्रिया को अचरज से देखा और हल्की सी व्यंग मुस्कान के साथ हेलो किया,

सिया को अच्छा तो नही लग रहा था पर मजबूरी थी, “पापा होते तो अंग्रेजी में बात करते तो टीना की मम्मी पर कितना अच्छा इंप्रेशन जाता पर मम्मी तो वही अपनी हिंदी में ही बात कर रही है”… सिया, टीना से बात करते हुए अपनी मम्मी और टीना की मम्मी को बात करते हुए देख सोच ही रही थी की तभी एक फ़ोन आ जाने से संध्या हड़बड़ाहट से बैचेन हों गई,…

क्या हुआ आपको ?..सुप्रिया ने पसीने से लथपथ संध्या से पूछा तो वो रुआंसी होकर बोली की मेरे बेटे को घर के बाहर मैदान में खेलते हुए सर पर बॉल लग गई और उसका सर फट गया है, यहां से तो ऑटो और कैब भी जल्दी से नही मिलती अब मैं क्या करूं… अरे आप घबराइए मत स्मिता ने पानी की बॉटल से पहले संध्या को पानी पिलाया और फिर अपनी गाड़ी निकाल कर जल्दी से संध्या के बताए हुए पते पर चल दी,

वहा टीना का भाई रोहन सर फट जाने से लहूलुहान दर्द से कराह रहा था, स्मिता ने रोहन को गाड़ी में बिठाया और पास के अस्पताल पहुंची एडवांस जमा कराते वक्त संध्या के पास पैसे भी बहुत कम थे और कार्ड वो रखती नही थी क्योंकि ये सारे काम उसके पति ही करते थे वो तो बस अपने खर्चें के लायक पैसे लेती ओर मगन रहती पर अभी वो साथ नही थे तब ऐसे में स्मिता ने अपने कार्ड से पेमेंट की और रोहन का जल्द से जल्द इलाज शुरू हुआ, माथे पर गहरी चोट थी साथ ही कई टांके भी आए, लेकिन वो खतरे से बाहर था.. 

इसी बीच स्मिता सबके लिए चाय नाश्ता लेकर आई साथ ही सिया और टीना को घर छोड़कर वापस हॉस्पिटल आ गई, रात तक रोहन की हालत भी ठीक हो गई थी और उसके पापा भी आ गए थे सब कुछ जानकार उन्होंने कृतज्ञता व्यक्त की और बहुत बहुत धन्यवाद दिया…

संध्या भी जो उसके कपड़ों और हिंदी में बात करने से उसका मन ही मन उपहास उड़ा रही थी, अब दोनों हाथ जोड़कर उसके सामने खड़े होकर बोली, आज आपने इतनी बड़ी मुसीबत में मेरा इतना साथ दिया आपका ये एहसान में कभी नहीं भूलूंगी और स्मिता के गले लग गई, रोहन ने भी स्मिता को थैंक्यू आंटी कहा तो स्मिता भी सबको बाय करके घर आ गई, घर पर सिया भी अपनी मम्मी के गले लग गई और बोली मम्मी आप सब से बेस्ट हों….

आज उसे अपनी मम्मी पर गर्व हो रहा था, आखिर उसकी आंखों से आधुनिकता की धुंध की परत छट जो चुकी थी।

 आधुनिकता सिर्फ अंग्रेजी बोलना, आधुनिक कपड़े पहनने तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि मुश्किल समय में सही समय पर सही निर्णय लेकर मुसीबत से लड़ने वाला इंसान सबसे बेहतर होता है।

स्वरचित, मौलिक रचना

#मुसीबत

कविता भड़ाना

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