सुखमय जीवन – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

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खाना परोस कर टाठी पति की ओर सरकाती हुई बेना  हांकते हुए बोली सुनिये ना अब तो बिट्टू की नौकरी भी लग गई तो अब  बिआह करे में काहे की देर ।अरे देख लो कोई सुघड़ लड़की और उसके हाथ पीले कर दो।

आखिर कब तक अपने से रोटी बनाई खाई।

अधिकतर  तो होटले में खात है।भाई सहिअई आई अब दस घंटा की नौकरी करके आव तो खाई के बनाव।

भला मर्दन से इ सब कहा होता है।

अब अपने देख लेव केतना रसोइया झाकत आवो

जब से बिआह के आइ हैं आखिर टेम टेम से हमही तो देत आई।कहते हुए उठी तो पानी से भरा लोटा रखते हुए बोली देखो हाथ टाठी में मत धोयेव भला।और खुद भी परोस कर खाने लगी।इस पर दीनू  अपनी गर्दन हिलाते हुए बोले अरे भइया अब तुमको कैसे समझाये कि आज कल के लड़का लड़की खुद आपने से पसंद करते है।उनके लिए ढूढ़ने की जरूरत नही पड़ती।फिर भी पूछेंगे कि अगर कहूं देखे ना हो तो हम देखी और देखे तो राजी खुशी बिआह कई देई।कहते हुए लोटा ले दुलार पर मुखारी करने चले गए।

इतने में देखते हैं कि बेटा मोटर साइकिल लिये सामने खड़ा हो गया।तो उन्होंने पत्नी को आवाज दिया।

सुनती हो देखो तुम याद ही कर रही थी और तुम्हारा लड़का आ गया लो अब खुद ही बात कर लो।

ये कह वो आराम करने चले गए और इधर मां बेटे में दाना पानी के बीच जो बात निकल कर सामने आई वो ये कि उसने कोई लड़की नही देखी है पहली बात और दूसरी ये कि वो शादी ही नही करेगा।

तो फूलो ने पूछा काहे बेटवा,काहे ना करब इस पर वो बोला। अम्मा अब शादी के नाम से डर लगता है।

लड़कियन का कौनों भरोसा नही कि कब कौन सा कदम उठा ले। अब विश्वास नही रही गवा महतारी बाप के दबाव में आपके शादी तो कर लेती हैं पर बाद में अपने आदमी के मरवा देती हैं और पतो नही चलत ऐसे बढ़िया हम कुवारे ही सही।कम से कम जिंदगी तो सलामत रही 

तो फूलों बोली मतलब कहल का चाहत हो। का बिआह न करिहौ । रडुआ रहियो।

नाही अम्मा पति ने बनब बस बेटवा बनके जियब और तोहार सेवा  करब चैन से रहब।

बेटे के इस भय को भीतर लेके दीनू सुन रहे थे।

और सोच भी कि आतंक सिर्फ़ लड़कों का ही नही अब लड़कियों का भी बढ़ गया है।

तभी तो लड़के सहमें सहमें रहते हैं इन्हें अकेले जीवन काटना मंजूर है पर  प्रेमिका और पत्नी के नाम से घबराते है।यह सुन उनसे रहा नही गया और बाहर आकर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोले नहीं बेटा ऐसा नही है सभी एक सी नही होती आखिर तुम्हारी दीदी भी तो ससुराल गई है और सब को लेके रह रही वैसे ही तुम्हारी शादी भी देख भाल कर अपने जान पहचान में करेंगे।

इतना परेशान ना हो।

कहते हुए वो अपने दोस्त बिक्की के घर अपने बेटे के लिए उनकी बेटी का हाथ मांगने गए। इस पर वो बहुत खुश हुए और अपनी बेटी का ब्याह इनके बेटे से कर दिया।

जो कि सफल रही वे दोनों बहुत खुश है और मां बाप के साथ दो बच्चों समेत अपनी पत्नी के साथ सुखमय जीवन यापन कर रहा।

स्वरचित मौलिक

कंचन श्रीवास्तव आरज़ू प्रयागराज

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