“अब क्या बताऊं तुझे, कल रात से ही मूड खराब है मेरा। चल माना, कि अमित बहुत बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट नहीं है पर एक अच्छा खासा बिजनेस तो है ही उसका। और ऐसा क्या मैंने चांद तारे लाने को बोल दिया। इतना ही तो कहा था कि एक हल्का सा हीरों का सेट दिला दो जन्मदिन पर…..…
पर श्रीमानजी की तो पसंद ही निराली है!…. पता नहीं है सोने के इस ‘ स्लीक’ से सेट में ऐसा क्या पसंद आ गया जो उठा कर ले आए और हवाले कर दिया मेरे। ‘ स्लीक सा सेट’.…माय फुट!!!! कितने अरमान सजाए थे मैंने कि इस बार की किटी में मैं हीरों का सेट पहन कर जाऊंगी और अपनी सहेलियों को खूब जलाऊंगी। मगर मेरे महान पति महाशय
ने सारा गुड़गोबर कर दिया। सत्यानाश कर दिया अच्छे खासे मूड का। किसी से बात करने का मन नहीं कर रहा मेरा। चल, अभी रखती हूं बाद में बात करूंगी…..” बहन से बातें करके सारी भड़ास निकालने के बाद मीनल ने फोन काट दिया और मोबाइल को वहीं बिस्तर पर पटक दिया। स्वयं बैठी ही थी कि दरवाजे की घंटी बज उठी। भुनभुनाते हुए उसने दरवाजा खोला तो देखा सामने मुस्कुराती हुई कमली खड़ी थी।
“ऐसे क्या दांत दिखा रही है खड़ी खड़ी। अंदर आ और काम कर अपना। सुबह से सारे बर्तन पड़े हैं। उस पर से आई भी इतनी देर से है। पता नहीं तू करती क्या रहती है सुबह से…..कभी-कभी तो जी करता है तुझे काम से ही हटा दूं…” काम वाली बाई कमली को देखते ही मीनल ने उसको भी खरी-खोटी सुना दी।
” ओफ्फो बीबीजी, किस बात का गुस्सा मुझ पर निकाल रही हो। मैं तो टाइम से ही आई हूं,बस 10 मिनट देर हो गई। मगर आप चिंता मत करो मैं फटाफट सारे काम निपटा लूंगी…”यह कहते हुए कमली अंदर आ गई और फटाफट अपने काम में लग गई।
बुरा सा मुंह बनाकर मीनल वहीं सोफे पर बैठ गई। अंदर कमली काम कर रही थी और उसके गुनगुनाने की आवाज भी मीनल तक पहुंच रही थी जिससे उसका गुस्सा और बढ़ता जा रहा था। वह इतने तनाव में थी कि उसका सिर में तेज दर्द होने लगा। सिर को दोनों हाथों से दबाते हुए उसने कमली को आवाज लगाई “- कमली..कमली…. ओ कमली महारानी…सुनती क्यों नहीं.. कहां मर गई। एक कप अदरक वाली गर्म चाय बना दे मेरे लिए। मेरा सर दर्द से फटा जा रहा है.….”
“बस अभी लाई बीबीजी…” कमली की चहकती हुई आवाज आई।
थोड़ी ही देर के बाद कमली गरम चाय का प्याला लिए मीनल के सामने खड़ी थी। उसने मीनल को चाय का प्याला पकड़ते हुए पूछा “- सिर में गुनगुने तेल की चंपी कर दूं बीबीजी?? सारा दर्द पल भर में छूमंतर हो जाएगा…”कमली फिर से मुस्कुरा पड़ी।
“कौन से लड्डू बंट रहे हैं जो इतना मुस्कुराए जा रही है….. आज तो बड़ी खुश है ।आखिर किस बात की खुशी मनाई जा रही है??” उसकी मुस्कुराहट से चिढ़ गई मीनल।
कमली ने उसके गुस्से को अनदेखा करते हुए अपनी ही रौ में बोलना शुरू कर दिया “- अरे बीबीजी, कल रात मेरा आदमी काम से वापस आया तो मेरे लिए मेले से यह चालीस रुपए के झुमके लेकर आया। इतना प्यार करता है ना मुझसे, जब देखो तो कुछ न कुछ तोहफे लाता रहता है मेरे लिए। सुबह काम पर आने लगी
तो जिद पर अड़ गया कि झुमके पहन के जा और उसी ने अपने हाथों से ये झुमके पहनाए इसीलिए तो काम पर आने में भी दस मिनट देर हो गई। देखो ना बीबी जी ये झुमके अच्छे लग रहे हैं ना मुझ पर…..”
हाथों से छूकर उसने अपने कानों में चमकते हुए सुनहरे रंग के नकली झुमके दिखाए। खुशी से उसका चेहरा दमक रहा था।
” चलो, अब आपकी चंपी कर दूं.. – कमली ने मनुहार से कहा।
मीनल ने धीमे स्वर में उससे कहा “- नहीं, जा तू पहले अपना काम खत्म कर ले…”
मीनल की आंखों के सामने वो सोने का सेट घूम गया जो कल रात अमित ने उसको बड़े प्यार से दिया था। पर उसे तो हीरों का सेट चाहिए था न। उसने उस प्रेमोपहार को उठाकर अलमारी मे उपेक्षा से ठूंस दिया। कैसा उतर गया था अमित का चेहरा।एक तरफ वह है जो सोने का सेट पाकर भी तनाव में है और एक तरफ वह कमली है जो चालीस रूपल्ली के उस झुमके में खुशी से नाचती फिर रही है।
उसके लिए उसके पति का प्यार सबसे महत्वपूर्ण है। कमली बचा हुआ अपना काम करने वापस जा चुकी थी… एक यक्ष प्रश्न सा हवा में तैरता छोड़ कर, जिसमें उलझ कर रह गई मीनल…….’ सुख की परिभाषा क्या ?????’
सिंदरी धनबाद झारखंड
स्वरचित और मौलिक रचना