सुख दुख –  नीलम शर्मा  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi:

सर्दी की रात थी जनवरी का महिना था सब नाचने मे मगन थे पर कोई था जो मजबूर और दुःखी था 

पर फिर भी बड़ी मेहनत से अपना काम कर रहा था 

      अवि के दोस्त की शादी थी 19 जनवरी शाम के समय बारात प्रस्थान कर चुकी थी साथ ही बैंड बाजे

का फुल इंतजाम था आखिर अवि का दोस्त दिल्ली पुलिस मे जो नौकरी पा चुका था बारात तय समय पर लड़की वालो के यहाँ पहुँच चुकी थी सब चढ़त के लिए तैयार थे सब खुशी खुशी नाच रहे थे ढोल बा जे के आगे किसी के पैर नही रुक रहे थे सभी अवि को भी नाचने के लिए बुलाने लगे अवि भी नाचने लगा तभी नाचते नाचते अवि की नजर उस वृद्ध व्यक्ति पर गई जो ढोल बजा रहा था. 

अवि ने देखा उनके हाथ से खून बह रहा है इतने शोर मे अवि ने किसी को कुछ नही कहा उसने वृद्ध व्यक्ति से कहा बाबा आपको तो बहुत खून बह रहा है आप मेरे साथ आईये और एक तरफ ले जाकर अवि ने साफ पानी से उनके हाथ धुलवाये फिर अपना रुमाल उनके हाथ पर बांध दिया बाबा रोने लगे अवि ने उनको चुप कराया और पूछा बाबा क्या मजबूरी है जो आप इतने दर्द मे भी काम कर रहे हो सर्दी की बजाह से कांप ते हुए बाबा रो कर बोले बेटा मेरा एक ही बेटा है जिसका एक्सीडेंट 4 दिन पहले हो गया है जो अब हॉस्पिटल मे भर्ती है इतना कह कर बाबा जोर से रो पड़े |

   अवि ने तब तक बोतल से बाबा को पानी पिलाया और सहा नुभूति दी सब ठीक हो जायेगा और अपनी गर्म जैकेट बाबा को पहना दी। 

बाबा आगे बोले की सब इंतजाम हो गया है कुछ रिस्तेदारी से कुछ खुद से फिर भी 5 हजार कम है इसलिए मे ये का म कर रहा था अवि ने बाबा की पूरी बात सुनी और  उसे बहुत दुःख हुआ की आजकल बहुत कम औलाद माँ बाप का ख्याल रखती है पर कभी अपने फर्ज से पीछे नही हटते वो ये सोच ही रहा था|

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  तभी पीछे से आवाज आई हराम के पैसे नही मिलेंगे जो तुम ढोल छोड़ कर बैठे हो ये आवाज अवि के दोस्त के फूफा जी की थी क्योकि अवि के दोस्त के पिता नही थे तो उसके चाचा और फूफा ही मुखिया

बने हुए थे इस से पहले वे बाबा उठते अवि ने उनसे ढोल लेकर खुद बजाना शुरू कर दिया ये देख सभी शांत हो गए। सब अवि से ये जानने के लिए बैचैन् थे की उसने ऐसा क्यों किया? 

अब गाने बा जे की आवाज बंद हो गयी थी तब तक लड़की वाले भी कुछ लोग वहां पहुँच गए थे अवि ने सबको सच बताया और सब मदद करने के लिए तैयार हो  गए परंतु तब तक अवि ने खुद बाबा को 7 हजार रुपये दे दिये बाबा बोले बेटा मुझे सिर्फ 5 हजार ही चाहिए और मैं बाद मे आपको वापिस जरूर करूँगा अवि ने कहा बाबा इसकी कोई जरूरत नही है आप अपना बेटा समझकर रख लीजिये।  तब तक एक लड़की ने   अपने पर्स से निकाल कर बाबा को डेटॉल लगाकर हाथ साफ कर दिया और पटटी बांध दी आगे बाबा कुछ नही बोले सभी ने अवि के लिए तालिया बजाई

और खुशी खुशी अवि के दोस्त की शादी संपन हुई । 

कुछ दिन बाद अवि की मुलाकात उन्ही बाबा से एक मंदिर मे हुई जो अपने बेटे के ठीक होने पर भगवान को परसाद चढ़ा ने आये थे उन्होंने देखते ही अवि को ढेरों आशीर्वाद दिया और धन्यवाद किया बाबा के साथ अम्मा भी थी जो अवि के सामने हाथ जोड़कर कह रही थी की तुमने हमे हमारा सुख हमारे जीने का सहारा लौटा दिया. 

अवि ने अम्मा के चरण स्पर्श किये और उनसे हाथ जोड़ने को मना किया । और तब तक बाबा ने जेब से पैसे निकले और अवि को देने लगे अवि ने बहुत मना किया पर बाबा जिद पर आड़े रहे तब अवि ने बाबा से पैसे लेकर अम्मा के हाथ मे रखते हुए कहा एक बेटा अपनी माँ को कुछ दे रहा है प्लीज़ मना मत करना। इतना सुनते ही माँ बाबा अपने उस बेटे के गले लग गए जो भगवान ने उनकी जिंदगी मे भेजा था और आँखों से आशु बह निकले परंतु ये सुख के आशु थे जो दुःख के बाद आये थे। 

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                                                   नीलम शर्मा

#सुख-दुख

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