‘मां! अब मैं यहां कभी नहीं आऊंगी। यदि भैया भाभी को मेरा आना इतना ही बुरा लगता है तो मैं सिर्फ तुमसे मिलकर ही चली जाया करूंगी।’
‘क्यों? राखी बेटा! तुम ऐसा क्यों कह रही हो? मुझसे ऐसी क्या गलती हो गई जो तुम इतना नाराज हो रही हो?’
‘नहीं मां! मैं तुमसे नाराज नहीं हूं परंतु, मैं कितने सालों से देख रही हूं। जब कभी मैं छुट्टियों में या त्यौहार पर दो-चार दिनों के लिए आती हूं, तो भाभी अपने घर चली जाती हैं। कभी भी यह नहीं सोचती की मुझ पर क्या बीतती होगी? ससुराल में तो पूरा दिन काम करके ही बीत जाता है। सोचा था यहां पर दो-चार दिन आराम से आपके और भाभी के साथ रहूंगी पर, यहां भी वही जिम्मेदारी।’
राखी की बात सुनकर निर्मला का चेहरा उतर गया। सही ही तो कह रही थी राखी।
उसकी भाभी मोनिका ने कभी भी अपनी सास और ननंद का सम्मान नहीं किया। जब भी मन करता था अपने मायके चली जाती थी। वह भी निर्मला से बगैर पूछे।
उसका बेटा अजय भी उसकी हां में हां मिलाता था परंतु, अब तो राखी की शादी हो चुकी थी। अब तो उसे सुधर जाना चाहिए था।
राखी सिर्फ दो-तीन दिन के लिए ही मायके आई थी। वह भी पूरे 1 वर्ष के बाद। मोनिका ने उसका हाल-चाल भी नहीं पूछा और झट से तैयार होकर अपने मायके चली गई परंतु, अब की बार निर्मला ने मोनिका को सबक सिखाने का निर्णय ले लिया था।
उसने मोनिका की मम्मी के पास फोन मिलाया। मोनिका की मम्मी ने फोन उठाया और वह समधन से दुआ सलाम करने के बाद सब का हाल-चाल पूछने लगी तो निर्मला रूआसी सी होकर मोनिका की मम्मी से बोली – ‘एक बात बताओ, क्या आपकी बहू भी मोनिका के साथ ऐसा ही व्यवहार करती है
जैसा मोनिका मेरी बेटी राखी के साथ करती है? जब कभी भी राखी दो-चार दिन के लिए मायके आती है तो ये तुरंत अपने मायके चली जाती है। कभी यह भी नहीं सोचती उसके ऐसा करने से हमें कितना दुख होता होगा मैं कभी इसे मायके जाने से रोकती हूं तो यह मेरे से तकरार करती हैं?’
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यह सुनकर मोनिका की मम्मी बड़ी दुखी हुई वह निर्मला जी से बोली” मैं तो समझती थी कि यह आपकी सहमति से ही यहां आती होगी मुझे नहीं पता था कि आपके मना करने से यह आपके साथ तकरार करती है ऐसा करने से तो ननद भावज के रिश्तों में हमेशा के लिए दरार पड़ जाएगी समधन जी!
आप परेशान मत हो। अबकी बार मैं उसे ऐसा सबक सिखा दूंगी कि वह फिर कभी आपसे तकरार नहीं करेगी। आज वह ऐसा आपके साथ कर रही है तो कल को मेरी बहू भी उसकी देखा देखी ऐसा ही करेगी। मैं आज ही उसकी भाभी रमा को उसके मायके भेज दूंगी। जब उसे भी काम करना पड़ेगा और भाभी भी दिखाई नहीं देगी।
तब उसकी अकल ठिकाने आ जाएगी”। यह कहकर उन्होंने निर्मला जी से राम-राम कह कर फोन रख दिया। मोनिका की मम्मी ने रमा को अपने बेटे के साथ चुपचाप उसके पीहर भेज दिया।
अगले दिन जब मोनिका की मम्मी घर में खाना बना रही थी तो मोनिका ने पूछा “मम्मी आज आप खाना क्यों बना रही हो भाभी कहां गई? “इस उम्र में आप इतना काम करेंगी तो बीमार पड़ जाएंगी। मैं अभी भाभी को बुला कर लाती हूं।”तब उसकी मम्मी बोली – ‘रमा आज ही अपने मायके चली गई।’
“‘क्या? भाभी की इतनी हिम्मत। मैं 2 दिन के लिए मायके क्या आई वह अपने घर चली गई। यह भी नहीं सोचा कि उसके जाने के बाद घर का काम कौन करेगा? उन्होंने मुझसे मेरा हाल-चाल भी नहीं पूछा। तो क्या वह इतनी लापरवाह और घमंडी हो गई है मैं अभी फोन करके भाभी को सुनाती हूं?
यह सुनकर उसकी मम्मी ने मोनिका से पूछा – बेटी ऐसे फोन पर बहु से तकरार मत कर इसमें गलती बहू की नहीं तुम्हारी भी है वह तो सिर्फ अबकी बार ही मायके गई है। वह भी मेरे कहने पर और तुम तो हमेशा ही अपनी ननद के साथ ऐसा व्यवहार करती हो सास के यहां आने पर मना करने के लिए तुम उनके साथ तकरार करती हो तो उन्हें कैसा महसूस होता होगा?
कभी तुमने सोचा तुम्हारे यहां आने पर तुम्हारी ननद कैसा महसूस करती होगी बेटियां ससुराल में कुछ लेने नहीं आती बस थोड़ा सा प्यार और सम्मान लेने आती है जब उन्हें वह भी नहीं मिलता तो वह दुखी होकर अपनी ससुराल चली जाती हैं जैसे आज तुम भाभी के न रहने से दुखी हो गई” मम्मी की बात सुनकर मोनिका की आंखें खुल गई थी।
अपनी गलती पर शर्मिंदा होते हुए वह अपनी मम्मी से बोली “मम्मी जी माफ कर दो मुझे मैं आगे से ऐसी गलती कभी नहीं करूंगी अपनी ननद के आने पर उनका पूरा सम्मान करूंगी और उनके खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखूंगी मुझे आशीर्वाद दीजिए मैं अभी अपने घर जा रही हूं “मोनिका की बात सुनकर उसकी मम्मी ने उसे प्यार से आशीर्वाद देते हुए खुशी-खुशी उसकी ससुराल विदा कर दिया था उनकी सूझबूझ से ननद और भावज के रिश्ते में दरार आने से बच गई थी।
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बीना शर्मा