सुधा ने सुबह उठकर जैसे – तैसे घर का काम किया , अभी भी पेट में दर्द हो रहा था मगर बच्चों का टिफिन , बच्चों का दूध और नाश्ता तैयार करने में दर्द को एक बाजू रखना पड़ा और उन्हें स्कूल के लिए तैयार किया !! बच्चों की वैन आ गई तो घर की गाउन पर ही चुन्नी डाली और बिल्डिंग के नीचे जाकर दोनों बच्चों को वैन में बिठाकर वापस आई !!
घर आकर लेटना चाहा मगर याद आया कि कल ही मैसेज आया था कि आज सुबह पानी दस बजे तक ही आएगा तो जल्दी – जल्दी मटका , पानी की कोटी और बाथरूम में रखी सारी बाल्टियाँ भर दीं , एक तरफ कपड़ों का मशीन भी लगा दिया और दूसरी तरफ खाने की तैयारी करने लगी !!
पेट में दर्द भी तेज हो गया था , पति राजेश सोए हुए थे !!
रात में सुधा ने तीन बजे उठाकर कहा था राजेश पेट में बहुत दर्द हो रहा है जरा नींबू – पानी तो बना दो तो राजेश को गुस्सा आ गया था और जबरदस्ती का नींबू- पानी बनाकर लाए और बोले तुमने मेरी नींद खराब कर दी इसलिए अब सुबह के नौ बज चुके हैं मगर उन्हें उठना नही हैं वैसे भी दुकान पर नौकर हैं इसलिए राजेश दुकान पर लेट ही जाते हैं !!
सुधा चाहकर भी लेट ना पाई और उसे याद आ गए वह दिन जब माँ भी तबीयत खराब होने पर भी दिन भर ऐसे ही काम किया करती थी तब सुधा बहुत छोटी थी , मां को देखकर सुधा कहती मां तुम सो जाओ थोड़ी देर मगर मां कहती बेटा फिर यह सब काम कौन करेगा ??
सुधा कहती मैं हूं ना मां , मां कहती तुम तो अभी बहुत छोटी हो !!
उन पलों को याद कर सुधा के चेहरे पर अपने आप मुस्कान बिखर गई और सुधा की नजर राजेश पर पड़ गई और सुधा सोचने लगी जब राजेश की तबीयत खराब होती है तो मैं कैसे दिन रात एक कर देती हूं मगर एक भी दिन अगर मेरी तबीयत खराब हो जाए तो किसी को परवाह ही नहीं मेरी !!
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रात को राजेश का जबरदस्ती का नींबू पानी बना कर देना और फिर कहना कि मेरी नींद खराब कर दी तुमने सुधा को अंदर तक झकझोर गया था !!
उसने नाश्ता किया और पेट दर्द की दवाई ली फिर से अपने काम में लग गई !!
राजेश उठा और जैसे ही बोला सुधा पीने के लिए गर्म पानी लाओ , सुधा बाहर कपड़े सुखाने चली गई !!
राजेश ने खुद ही अपना पानी गर्म किया और पिया , सुधा ने चाय नाश्ता टेबल पर रख दिया और वह नहाने चली गई !!
राजेश सुधा को बस एकटक देखता रह गया , उसे इस व्यवहार की वजह कुछ समझ में नहीं आ रही थी मगर सुधा की खामोशी बहुत चुभ रही थी !!
यह वही सुधा थी जो हमेशा राजेश के लिए उपस्थित रहती थी !!
राजेश यह खा लो राजेश यह पी लो राजेश तुमने पानी की बोतल तो ले ली ना ,राजेश तुम्हारे कपड़े स्त्री करके अंदर रखे हैं ,आगे वाले कपड़े पहन लेना वह सुधा आज बिल्कुल खामोश थी !!
सुधा समझ गई थी जाने अनजाने उसकी इन्हीं आदतों ने राजेश को इतना सर पर चढ़ा दिया है इसलिए आज वह बिल्कुल खामोश थी , उसे चाहिए था उसकी खामोशी समझने वाला हमसफर , रात को उसे बुरा लगा यह समझने वाला हमसफर मगर राजेश तो अब तक सोच में ही डूबा था कि आखिर उसने किया क्या है ??
राजेश ने टेबल पर रखा चाय नाश्ता किया और नहा – धोकर दुकान पर चला गया !!
सुधा के पेट में तो आराम था मगर दिल में नहीं !!
सुधा यही सोचती रह गई क्या पुरुष को हर बात समझानी पड़ती है क्या वह बिना समझाए नहीं समझ सकता कि उसकी पत्नी उसके लिए दिन-रात कितना मरती है और अपने लिए भी वही प्यार और ममत्व चाहती है जिसकी अपेक्षा सिर्फ अपने पति से ही तो कर सकती है !!
आखिर सात फेरे उसी के साथ तो लिए हैं उसी के लिए तो आई है !!
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राजेश दोपहर में जब घर आया तब सुधा ने उसे खाना दिया ,राजेश भी बिना कुछ बोले खाना खाकर वापस चला गया मगर उसने एक बार भी सुधा को उसके पेट दर्द के बारे में पूछा तक नहीं !!
रात को राजेश ने सुधा को अपनी बाहों में भरना चाहा मगर सुधा ने पेट दर्द का बहाना बना लिया !!
सुधा को आज अपने मां पापा की बहुत याद आ रही थी , उसे लग रहा था जैसे दुनिया में यही रिश्ते हैं जो निस्वार्थ हमसे प्रेम करते हैं बाकी हर रिश्ते के लिए हमें यहां कीमत चुकानी पड़ती है !
दोस्तों , आपको यह रचना कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें तथा मेरी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!
आपकी सखी
स्वाती जैंन
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