स्टेटस सिंबल योगा – प्राची अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

काव्या घर में घुसते ही मम्मी से कहती है, “मम्मी कल मुझे जल्दी उठा देना। मैं सिटी गार्डन जाऊंगी। योगा के लिए। कल 21 जून है। अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस।”

मम्मी आश्चर्य से काव्या का चेहरा देखती हैं। काव्या और योग। जो लड़की बिस्तर से 8:00 बजे से पहले ना उठती है, वह योग करने जाएगी।

काव्या अपने कमरे में अपनी योगा ड्रेस तैयार कर रही है। काव्या मम्मी को आवाज़ लगाते हुए कहती हैं,”मम्मी मेरी व्हाइट टीशर्ट कहां है?

कल चाहिए गी मुझे,ग्राउंड में योगा करने के लिए। आपको पता है कितने लोग आएंगे। योग करने के लिए। कितना फोटो सूट होगा?

कल कितनी सेल्फी ली जाएंगी। पूरा मोबाइल योगा स्टेटस से भरा पड़ा रहेगा। मुझे भी तो अप टू डेट रहना है।

काव्या अपनी धुन में बोले जा रही थी।”

“बेटा तेरी व्हाइट टी शर्ट तो धुलने को पड़ी है” मम्मी ने कहा। ‌

काव्या तड़ककर कहती हैं,”अरे मम्मी आप भी कितनी लापरवाह हो। घर का काम भी ढंग से नहीं कर सकती। हमारे कपड़े भी मेंटेन नहीं कर सकती। करती ही क्या हो? पूरा दिन घर में पड़े पड़े।”

काव्या की मम्मी नेहा मन ही मन सोचती हैं, कितने दिखावे की जिंदगी रह गई है। जो कभी मॉर्निंग वॉक पर भी ना जाए, योगा दिवस पर योगा कर ऐसे दिखाते हैं जैसे कितने बड़े योगाचार्य हो। केवल सेल्फी और फोटोशूट के लिए।

बच्चों के लिए अपनी सारी जिंदगी लगाने वाली माँ के हिस्से में आपका ही क्या है? अगर माँ‌ घर के कामों में खुद को समर्पित ना करें तो औलादे को #दिन में तारे ही दिखाई दे जाएंगे।

घर में काम करने वाली महिलाओं का कष्ट कभी किसी की समझ में आया है क्या? आंसुओं को भी चुपचाप आंखों में ही छुपाना पड़ता है

क्योंकि निकल गये तो फिर उलाहना मिलेगी लो फिर रोना शुरू कर दिया। अत्यधिक कष्ट की अवस्था में भी सुनने को मिलता है कि रोज-रोज का नाटक अच्छा नहीं लगता।

अपने ही परिवार द्वारा जब ऐसा कहा जाता है तब कितना कष्ट होता है एक स्त्री मन पर

ताने, उलाहना वह भी अपनी ही संतानों के द्वारा।

काव्या की मम्मी नेहा बुझे मन से टी-शर्ट धोने के लिए बाथरूम में चली जाती है।

प्राची अग्रवाल 

खुर्जा उत्तर प्रदेश

#दिन में तारे दिखाई देना मुहावरा आधारित लघु कथा

 

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