स्टेटस-मनीषा सिंह  : Moral Stories in Hindi

“कितनी बार बोला है••• कि••• कमबख्त मेरे कपड़ों को हाथ मत लगाना•• परंतु भेजे में अटता ही नहीं•••! चिल्लाते हुए समीर गंगा से बोला।

 गंगा डरी-सहमी एक कोने में दुबक के बैठ गई ।

जोर की आवाज सुन सासू मां सविता जी और ससुर बंसी लाल जी पहुंचे।

 क्यों सुबह-सुबह बहू पर चिल्ला रहा है •••?बंसीलाल जी अखबार एक ओर रखते अपने ढीले चश्मा को नाक पे चढ़ाते हुए बोले।

 पापा•••! आप तो बस रहने ही दीजिए•• अपने गरीब दोस्त की बेटी को मेरे ही खुटे में बांधना था•• ? जिसे ये भी पता नहीं कि कोट- पैंट को हैंग करके रखा जाता है ना की पूरे सेट को फोल्ड कर पॉलिथीन में जबरन कोचा जाये•••!

 अरे तो क्या हुआ इतनी भी क्या आफत मच गई•••? फिर से प्रेस के लिए डाल देना•• तेरे पास कोर्ट की कमी है क्या•••? दूसरा पहन ले•••!

 मुझे पता था आप इस गवारण का ही पक्ष लेंगे•••!

 चिल्लाते हुए समीर नहाने चला गया।

 इधर सविता जी भी बिना कुछ बोले वहां से चली गई।

 बेटा•••! समीर की बातों का बुरा नहीं मानते••• सब ठीक हो जाएगा••! यह बता तूने कोट-पैंट फोल्ड क्यों किया इसको हैंग किया जाता है बेटा—!

 चल मैं तुझे सिखाता हूं– 

कहते हुए बंसी लाल जी बहू गंगा को हैंग करना सिखाने लगे ।

गंगा बड़े आराम से सीखते हुए बोली पापा जी आइंदा ध्यान रखूंगी•••! 

  खुश रह बच्ची••• और जल्दी से हमारा नाश्ता डाइनिंग टेबल पर लगा दे समीर भी रेडी होकर आता होगा•• हमें आज जल्द ही ऑफिस के लिए निकलना होगा••!

 जी•• पापा जी••! कहते हुए गंगा किचन की तरफ चली गई और जल्दी-जल्दी में सब्जी से भरा पतीला ही डाइनिंग टेबल पर रखने लगी कि तभी••• 

अरेऽऽऽऽ जब ढंग नहीं तो पूछ लिया कर••• कभी देखा नहीं कि सर्विंग बॉल में पहले थोड़ी सब्जी डालते हैं••••?

 गवार कहीं की•••! सविता जी उसके हाथ से पतीला छीनते  हुए बोलीं।

 जा•• जाकर रोटियां सेंक ले•••! खाना गीता (कामवाली बाई) खिला देगी•••!

 जी•• मम्मी जी••! कहते हुए उसकी आंखें भर आई ।

बंसीलाल का हीरों का व्यापार था। उनके बचपन का दोस्त हीरालाल जी की बेटी थी••• “गंगा”।

किसी जमाने में हीरालाल शहर के नामी-गिरामी सोनार हुआ करते••और साथ में हीरों के परख का अच्छा ज्ञान  भी था•• । 

 एक बार दुकान में डाका पर जाने के बाद उनकी स्थिति खराब हो गई । उनकी सारी संपत्ति चोरों ने लूट ली।  फिर उन्होंने अपना परिवार लेकर गांव की तरफ

  रुख किया ।

वहां उनकी कुछ जमीन थी जिसमें वह खेती-बाड़ी करके अपना और अपने परिवार का गुजारा करने लगे । उसी समय उनकी पत्नी गर्भवती थी और उन्होंने एक प्यारी बच्ची “गंगा” को जन्म दिया।

  एक बार हीरे की परख के लिए बंसी लाल जी को हीरालाल जी की याद आई फिर क्या••• पहुंच गए वह हीरालाल जी के गांव जहां उन्हें गंगा को देखा ।

गंगा के रूप और गुण को देखकर उन्होंने मन ही मन उसे समीर के लिए पसंद कर लिया।

 भाई देखो•• अगर “मैं इस दोस्ती को  रिश्तेदारी में बदल दूं••• तो तुझे कोई आपत्ति तो नहीं•••? बंसी लाल जी गिरते चश्मे से आंखों को ऊपर करते हुए बोले। मतलब— ?

मतलब की अपनी गंगा•• मुझे समीर के लिए पसंद आ गई—! क्या बोलते हो•••?

  भाई••• आज तूने मुझे अपनी दोस्ती का कर्जदार बना दिया•••! हीरालाल जी दोस्त को गले लगाते हुए बोले ।

 श्रीमती जी••• आज मैं समीर के लिए रिश्ता पक्का कर आया हूं– !

घर आते ही बंसीलाल जी सविता जी से बोले।

 बगल में समीर बैठा डिनर कर रहा था 

पर कहां•••? सविता जी खींजते हुए बोली।

अपना हीरालाल है ना•• उसकी बेटी गंगा••• !

लाखों में क्या वह तो करोड़ों में एक है•••!

 अरे उस गरीब हीरालाल की क्या औकात•• हमारे घर रिश्ता करने की••• ?आप सठिया तो नहीं गए•••?

 सविता जी माता ठोकते हुए बोलीं ।

डैडी •••मेरे मर्जी के खिलाफ ••आप कहीं भी किसी के भी साथ मेरी शादी नहीं कर सकते•••! आखिर हमारा भी तो कोई स्टेटस है•••!

 देख रहा हूं– तुम दोनों मां-बेटे को #पैसों का गुरुर होता जा रहा है••• इतना घमंड होना सही नहीं••!

 एक समय था जब हीरालाल मुझसे ज्यादा अमीर था जब मेरी स्थिति कमजोर थी तो ••उसने कई बार मेरी मदद की•••!

 बीती बातों से आप हमारा आज क्यों खराब करना चाहते हैं •••?समीर गुस्से में बोला ।

बिल्कुल सही बात है अरे उन्हें पैसों की जरूरत है तो कुछ पैसे देकर उनकी मदद कर दो••• परंतु उनकी बेटी को इस घर में लाना सही नहीं•• ना उसे हमारे रहन-सहन का पता होगा और ना ही हमारी हाई-फाई सोसाइटी में एडजस्ट कर पाएगी•वह लड़की•••!

 पढ़ाई भी गांव के किसी घटिया स्कूल-कॉलेज से की होगी•••!

सविता जी बोली।

 बस-बस इतनी बेइज्जती मत करो उसे बेचारी का•• मुझे बहुत ग्लानी महसूस हो रही है उसकी बुराई सुनकर •••गलती हो गई कि मैं शादी पक्की कर आया•• मत करो शादी••परंतु ऐसी  बात उसके बारे में ••••• कहते हुए बंसी लाल छाती पकड़ के बैठ गए उनकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी ऐसा देख •••समीर फौरन उन्हें लेटा कर छाती के लेफ्ट साइड में हाथ से दबाने लगा और उनके मुंह में अपने मुंह से हवा भरने लगा। थोड़ी देर के बाद जब वह नॉर्मल हुये तब उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया।

अच्छा हुआ आपने सीपीआर के प्रक्रिया को फौरन ही फॉलो कर उसे इंप्लीमेंट किया••• क्योंकि इनको दोबारा हार्ट अटैक आया•••है क्या कोई स्ट्रेस था इन्हें•••?

 जी••एक छोटी सी डिस्कशन थी मेरी शादी की•••थोड़ी हमारी बहस हो गई•••! समीर बोला ।

आप लोगों को इन्हें मेंटल स्ट्रेस से बचना होगा ••वरना इस बार अटैक आया तो हम बचा भी नहीं पाएंगे•••!

 ओके डॉक्टर अब वो जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूंगा••• कहते हुए समीर रो पड़ा।

कुछ दिनों के बाद

गंगा से समीर की शादी बड़े धूमधाम से हुई•••।

 गंगा देखने में सुंदर तो थी ••  परंतु समीर उसको गवार, देहाती समझ उससे नफरत करता•••। कभी भी उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता जब देखो तब उसे जली-कटी सुनाता।

वह भी अपने पति से डरी- डरी रहने लगी थी •• अब वह समीर के कमरे में तो सोती परंतु अलग सोफे पर।

 शादी के कुछ दिनों बाद सविता जी ने अपने घर किट्टी रखी।

 मेरी कुछ फ्रेंड्स आ रही हैं•••! तुम उनके सामने मत चली आना••• !

 गीता है सब कुछ करने के लिए••! वे लोग काफी हाई- सोसाइटी से हैं किसी भी हाल में बाहर आने की जरूरत नहीं—! ठीक है मम्मी जी—!

 हाय•• इतनी सुंदर है भाभी आप••• फिर भी मैम जाने क्यों हर वक्त आपको जलील करते रहती हैं•••  गीता बोली।

गंगा चुपचाप गीता के साथ दोपहर के खाना का ••• मदद करने लग गई ।

सभी लेडीज आ चुकी थीं ।

गीता भागी-भागी सब के स्वागत के लिए ठंडा और स्नेक्स ला रही थी इसी हरबराहट में उसके पैर फिसल गये और पैर में मोच आ गई— ।

उसकी हालत को देख गंगा उसको दवा लगाते हुए बोली दीदी••• आप यही बैठो मैं सबको चाय देकर आती हूं– !

तुम तो बोली की बहू मायका गई हुई है•• पर ये तो यही है••? जैसे ही चाय लेकर हाॅल में गंगा ने प्रवेश किया तो सविता जी की फ्रैंड पूनम तपाक से बोल पड़ी। अब सविता जी बिल्कुल ही घबरा गई अचानक से वह बोली 

 हां•• थी तो यहीं पर मैंने तुम लोगों को सरप्राइज देने के लिए ऐसा बोला था क्यों गंगा ••?

 जी मम्मी जी••!

 वह •••गीता••• फिसल के गिर गई तो मैंने सोचा कि मैं ही चाय सभी को दे आती हूं– !

कहते हुए उसने सभी के पाव छूये•••।

उसके बाद दोपहर का लंच भी गंगा ने सभी को बहुत प्रेम से खिलाया  ।

सभी उसके इस आवभगत और व्यवहार से बहुत खुश थे।

 सविता तेरी बहू••• तो साक्षात लक्ष्मी का रूप है••• देखो आजकल किस में इतनी तमीज है•• तुम तो बहू के मामले में जीत गई••!

  ऐसा सुन सविता जी को अच्छा लगा परंतु गंगा ने अनजान में ही सही उनके झूठ का पर्दा फास करने में कोई कसर नहीं छोड़ी–। जब सभी चले गए तो 

तुम्हें मैंने मना किया उसके बावजूद तुम  चली आई•••? पता है मेरी कितनी बेइज्जती होती••• वह तो अच्छा हुआ कि मुझे समय रहते ही अपना जवाब सूझ गया  वरना तुमने तो••• खैर वैसे••• तुम्हारी प्रशंसा से आज मुझे बहुत खुशी मिली ••!

पहली बार मम्मी जी के मुंह से गंगा अपनी प्रशंसा सुनकर बहुत खुश हुई ।

अरे गीता कहां गई •••?मेरे सिर में दर्द है•• अरे हां•• गीता के तो पैर में मोच आई है मुझे तो याद ही नहीं था••! हां मम्मी जी•• मैं आपको बताना  भूल गई की गीता के पति आए थे•• पैर में मोच आने की वजह से वह दो दिन की छुट्टी बोल घर चली गई •••!

मम्मी जी अगर आप कहे तो मैं आपके सर की मालिश कर दूं••••? डरते-डरते गंगा बोली। सविता जी को दर्द बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था उन्होंने झट से हां बोल दिया।

 गंगा के मालिश से उन्हें बहुत आराम आई••• ।

 बेटी••• जा -जाकर तू भी आराम कर ले मुझे तो अब आराम मिल गया•••!

 जी मम्मी जी•••! कहते हुए गंगा लाइट बूझाकर वहां से चली गई। अब तो सविता जी गंगा को बहुत मान-सम्मान देने लग गई । जिसे देख बंसी लाल जी बहुत प्रसन्न हो रहे थे और मन ही मन •••चलो 50% काम तो हो गया भगवान ने चाहा तो बचा 50% भी जरूर हो जाएगा••••!

एक दिन 

मम्मी जी कई दिन हो गए आप कहें तो मैं कुछ दिनों के लिए अपने पापा के घर से हो आती आई हूं •••?

ठीक है बेटा•• तू जाना चाहती है तो जा•• पर ज्यादा दिन मत लगाना••• जब भी मन करे मुझे बता देना मैं यहां से गाड़ी भिजवा दूंगी•••

 ठीक है मम्मी जी तो मैं कल ही निकलने की तैयारी कर लेती हूं–!  गंगा अपने कमरे में जाकर सामान की पैकिंग कर ही रही थी कि•••अचानक से समीर ऑफिस से  आया और चादर तान सो गया।

 गंगा को समीर के इस बर्ताव से बहुत आश्चर्य हुआ ।

आज आने के बाद उन्होंने मुझे कुछ जली-कटी  नहीं सुनाई •••क्या बात है ••?कहीं तबीयत तो खराब नहीं•••? फिर घबराते डरते उसने हिम्मत करके बदन छूना चाहा पर डर से छू नहीं पाई••• फिर जल्दी-जल्दी  सविता जी को बुलाया।

 जब सविता जी ने समीर के सिर पर हाथ रखी तो उसका सिर ताप से जल रहा था और शरीर के कुछ हिस्सों में फोड़े से उभर आए थें।  मुझे लगता इन्हें चेचक••• हो गया है•••! गंगा बोली। 

हां बेटा ••लग तो मुझे भी ऐसा ही रहा है•••!

 सविता जी ने फौरन डॉक्टर को बुलाया।

 इन्हें परहेज करना होगा•• पूरे 15 दिन क्योंकि मिजील्स  जब छुटने लगता है तब इसका डेड स्किन और भी ज्यादा इनफेक्शियस हो जाता है जिससे दूसरे लोग भी प्रभावित हो सकते हैं वैसे मैंने कुछ मेडिसिंस लिख दी  हैं •••! जी••• हम पूरा ध्यान रखेंगे इस बात का••••!

 मम्मी जी आप निश्चिंत रहिए मैं हूं ना••• मैं इनका ध्यान रखूंगी•••! पर बेटा तू तो कल अपने मायका जा रही है ना •••?

कोई बात नहीं मां जब यह ठीक हो जाएंगे तब मैं जाऊंगी••• अभी तो मुझे अच्छा भी नहीं लगेगा••• इन्हें छोड़कर जाना•••!

 गंगा समीर की सेवा करने में पूरी जी-जान से लग गई ।

पहले समीर को थोड़ी हिचकीचाहट होती परंतु गंगा के के इस नि:स्वार्थ सेवा को देखकर, उसे अपने ऊपर शर्मिंदगी महसूस होने लगी ।

मैंने इस बेचारी को बहुत तकलीफ दिया बहुत जली-कटी सुनाई और यह बेचारी मेरी कितनी सेवा कर रही है•••! 

  गंगा मुझे माफ कर दो••••तुमने मेरी इतनी देखभाल की मैंने तुम्हें बहुत तकलीफ दिया••••! 

नहीं नहीं •••आप ऐसा ना बोले••• ये तो मेरा फर्ज था •••!

कहते हुए दोनों एक दूसरे के बाहों में समा गए।

 

 दोस्तों अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे लाइक्स ,कमेंट्स और शेयर जरूर कीजिएगा। 

धन्यवाद ।

मनीषा सिंह

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