सुनो दीया मै तुमसे कुछ कहना चाहती हू।
जब से चिराग मेरी गोद में आया ,मुझे लगा तुम बड़ी हो गई हो और इसीलिए मैंने अपना सारा ध्यान चिराग और
मेरी जॉब में लगा दिया।
आज सुबह जब तुम उठी और मुझसे चिपक कर गुड मॉर्निंग कहा तो मैंने नाराज होकर तुम्हे झिड़क दिया।
फिर तुम स्कूल के लिए तैयार हो गई और दूध पीने में
नखरे किए तो मैंने तुम्हे डाट कर दूध पिलाया।
साथ ही स्कूल से आकर चिराग को नही छेड़ने की हिदायत दी।
और तो और जब ऑफिस से घर आई और तुम्हे बाहर मिट्टी में खेलते देखा तो तुम्हारी सखियों के सामने तुम्हारे
थप्पड़ लगा कर घर में ले आई।
शाम को जब खाना खाते समय तुमसे दाल ढुल गई तब भी मैंने तुम्हे बहुत डाटा।
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पर फिर भी रात को सोने से पहले तुम मुझे गुड नाईट
कहने आई थी।
प्यार से मुझसे चिपकने की कोशिश भी की थी।
पर मैं मोबाइल में इतनी मशरूफ थी की मुझे तुम्हारा चिपकना डिस्टर्ब लगा।
मैने तुम्हे फिर डाट दिया ” जाओ सो जाओ फिर सुबह समय पर नही उठोंगी””
तुम पैरो से टक टक करती हुई दादी के पास चली गई।
तुम्हारे कमरे में आने के बाद मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ।
मैं गलत थी।
तुम भी अभी बच्ची ही तो हो चिराग के आने के बाद
मुझे ना जाने मुझे क्यों ऐसा लगने लगा की तुम बड़ी हो गई।
और तुम्हारा बचपन छीनने की की गलती करने लगी।
इसीलिए आज रात जब तुम सो गई थी।
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तब गोद में उठा कर तुम्हे अपने पास ले आई।
आज सन्डे हे ना ?
इसीलिए उठाया नही है।
पर अपनी मम्मी को माफ कर देना।
अब तुम्हारी मम्मी पुनः लोट आई है तुम्हारे पास।
10 वर्षीय दीया ने मम्मी का लिखा पत्र पढ़ा।
और भाग कर किचन में चली गई पीछे से चिपक कर बोली ” आई लव यू मम्मी”
मम्मी ने दीया को गोद में उठा लिया और माथे को चूमने लगी।
दीया बोली ” मम्मा आप कितनी अच्छी हो?
सॉरी मम्मी मैं सोच रही थी आप मुझसे तो प्यार ही नही करती क्योंकि मैं तो एक लड़की हु पर आपने मुझे बता दिया कि आप व्यस्तता के रहते मुझे समय नही दे पाती
करेक्ट?”
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मम्मी ने दिया को गोद में उठाया ” हां,बेटा “
दीया;” तो ठीक है ना मम्मी मैं भी आपके काम में हेल्प करूंगी ताकि आपको अपने लिए भी समय मिलेगा “
तभी पीछे खड़े पापा बोल पड़े ” अगर मेरी गुड़िया तुम्हारी मदद के लिए तैयार है तो मैं भी कुछ तो कर ही सकता हु।”
दिया;” पक्का पापा “
“Yes ” पापा ने हाथ मिलाया और जोश में बोले।
मम्मी बोली ” आप और काम”
पापा बोले ” ये जो बेटियां है ना ? सब कुछ सीखा देती है।
अभी थोड़ी देर पहले मुझसे लड़कर आ रही है कह रही थी आप तो मोबाइल में व्यस्त रहते हो और मम्मी कितना काम करती है।
तो क्या हम मम्मी की मदद नही कर सकते।”
हां,तो कभी एक कप भी इधर से उधर नही रखा अब खुद की ओलाद सीखा रही है तो मान गया।
वाह सही कहा है बेटियां अच्छे अच्छे को सुधार देती है।
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समझे दादा साहब दीया के कंधे पर हाथ रख कर बोले।
सखियों रचना कैसी लगी जरूर बताएं।
और पसंद आए तो फॉलो ओर लाइक तो बनता ही है।
आपकी अपनी सखी
दीपा माथुर