सौम्या – डॉ आभा माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi

सौम्या– यथा नाम तथा गुण– जैसा उसका नाम था उसका व्यवहार भी वैसा ही सौम्य और शालीन था।वह एक भरे पूरे परिवार से थी ।जहाँ बच्चा बचपन से ही देख देखकर सब बातें सीख जाता है– उसमें व्यावहारिकता आ जाती है– ऐसे ही परिवेश की थी सौम्या।उसका विवाह माधव के संग हुआ।

माधव का एक जमींदारी परिवार था।उसके परिवार में दादा-दादी, उसके माता-पिता, चाचाजी और आठ भाई बहन थे। बहुत बड़ा कुनबा था।जमींदारी परिवार था– सबको रौब जमाने की आदत थी।नौकर से भी अकड़ कर बोलते थे।जरा जरा सी बात पर नौकर को गाली देने लगते और कभी कभी हाथ भी उठा देते।

        सौम्या अभी नई  नई आयी थी।वो सबको समझने का प्रयास कर रही थी।दादी माँ के चरणस्पर्श कर आशीर्वाद लेने गई तो दादी जी ने आशीर्वाद तो दिया पर कड़ककर बोली,” क्यों री– क्या तेरे माँ-बाप ने कुछ सिखाया नही कि जल्दी चार बजे उठना है ससुराल में– और तू महारानी —

अब उठकर आई है छै बजे– कल से चार बजे उठ जाइयो– समझी,” सौम्या तो बड़े शाँत स्वभाव की थी। उसने कहा,” जी– अम्मा जी– मैं कल से उठ जाऊंगी”। तभी दादाजी की रौबदार आवाज सुनाई दी,” माधव– आज सुबह घूमने नही गया- पड़ा सो रहा था” माधव चुप रह गया सौम्या के सामने अपने को बेइज्जत देखकर। 

  सौम्या की चार ननद थीं।तीन की शादियाँ होगई थीं– चौथी रमा कुँवारी थी।वो अभी बी.ए की पढ़ाई कर रही थी।बहुत अच्छे स्वभाव की थी।

धीरे धीरे एक साल होगया सौम्या की शादी को लेकिन परिवार में किसी के स्वभाव में कोई परिवर्तन नही आया।सौम्या जैसे कोई कहता वैसे ही उसका काम कर देती।उसे चाहे कोई गाली दे या फटकार दे– वो चुप रहती।सौम्या नौकरों के प्रति भी बहुत सहृदय थी।उससे किसी का दुख देखा नही जाता था।

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एकदिन घर की नौकरानी कमजोरी की वजह से बेहोश होगई और गिर पड़ी– दादी दूर से देख रहीं थी — कहने लगी कि,” हरामखोर– मक्कारी कर रही है– कामचोर,” और मारने ही वाली थीं डंडे से कि सौम्या आगे आ गई और कहने लगी,” दादी जी– आप मारो मत इन्हें– मैं इनका सब काम कर दूंगी–

ये बहुत बीमार हैं बेचारी,” दादी का गुस्सा तो सातवें आसमान पर पहुँच गया और चिल्लाने लगीं कि,” कल की आई हमें सिखा रही है– आने दे माधव को,” और बड़ बड़ करती हुई अपने कमरें में चली गई। सौम्या ने नौकरानी को गरम दूध दिया और कहा कि, ” मुन्नी ताई– अब उठना मत– मैं सब कर लूंगी”–

उसकी ननद रमा ये सब देख रही थी।उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और वो भाभी के गले लिपटकर रोती रोती बोली,”भाभी– आप इतना सब कुछ कैसे सह लेती है? मैं तो कभी भी ऐसा व्यवहार सहन नही कर सकती– सबकी डाँट फटकार भी सहती हो  –आप फिर भी मुस्करा कर सब काम करती हो सबक–

भाभी– u are great–” सौम्या मुस्काराने लगी और बोली,” दीदी– मैरे पीहर में सब एक दूसरे से बहुत प्यार से बोलते हैं– एक दूसरे का सम्मान करते हैं– मेरी भी वो ही आदत होगई है और देखना दीदी– एक दिन ये लोग भी बदल जायेंगे।”

     थोड़े दिन बाद एकबार दादीजी गिर गई और उनकी कूल्हे की हड्डी टूट गई– बिस्तर पर आगईं।उनके खराब व्यवहार के कारण कोई भी नौकर उनके पास नही फटकता।एकदिन वो पानी मांग रहीं थी लेकिन किसी ने नही सुना– सौम्या दौड़कर पानी लेगई और दादीजी को पिलाया।आज दादाजी को अपने व्यवहार पर बड़ा पछतावा हुआ कि उन्होंने सौम्या को कितना डाँटा किंतु आज सौम्या ही बड़े प्रेम से उनकी सेवा कर रही है।

अब दादी जी का बरताव बदल गया– वे सबसे प्रेम से बोलने लगीं और धीरे धीरे सौम्या के मधुर व्यवहार के कारण पूरा घर बदल गया।सब एक दूसरे का सम्मान करने लगे।परिवार में खुशियाँ छा गई। सौम्या की सहनशीलता और व्यवहारिकता से पूरा परिवार खुश था।

      और  अब सौम्या के एक बेटा भी होगया।पूरा परिवार उसपर जान छिड़कना था।माधव तो कहता कि,” सौम्या– बस तुम और तुम ही ऐसा कर सकती थी और कोई दूसरी नही,” सौम्या लजाकर माधव की बाँहों में छिप गई।।

 

 लेखिका: डॉ आभा माहेश्वरी अलीगढ

#भाभी ,आप सब इतना कैसे सह लेती हो?

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