सोहबत का असर – अर्चना कोहली ‘अर्चि

तुम्हारी सोहबत से ही मैं बदल पाया

सीमा और रवि अपनी उच्च आकांक्षाओं के चलते देर रात तक काम में व्यस्त रहते। इस कारण उनके पास अपने इकलौते बेटे रमेश के लिए भी समय नहीं था।

रमेश की देखभाल के लिए उन्होंने एक पूरे दिन की आया का इंतजाम कर दिया था। रमेश की पढ़ाई के लिए भी उन्होंने ट्यूटर भी लगा रखे थे।  इसी कारण रमेश गलत संगत में पड़ गया और बारह साल की उम्र में ही उसे नशे की, सिगरेट पीने की लत लग गई। पढ़ाई में भी वह पिछड़ने लगा।

माता-पिता को इसकी भनक तब लगी, जब सीमा की सहेली मीना किसी काम से उनके शहर आई तो उसने रमेश को कुछ आवारा मित्रों के साथ सिगरेट और ड्रिंक करते देख लिया। मीना  ने सहेली से इस बारे में बात करने का निश्चय किया। उससे मिलने वह सीधे घर गई।

बहुत देर के इंतजार के बाद सीमा और रवि से मुलाकात हुई। सच जानकर वे व्यग्र हो उठे। इस संबंध में उन्होंने एक दूसरे पर दोषारोपण करना आरंभ कर दिया।

मीना ने उन्हें शांत करते हुए कहा, “यह समय एक दूसरे के दोष निकालना नहीं, रमेश को सुधारने का है”। इस विषय पर लंबी चर्चा के बाद मीना ने उसे कुछ दिनों के लिए अपने घर ले जाने का निर्णय किया। मीना का भी रमेश की ही उम्र का एक पुत्र था।  मीना को पूर्ण विश्वास था, उसके पुत्र समय की संगत रमेश को अवश्य बदल देगी।  साथ ही मीना ने रवि और सीमा को भी कुछ दिन की छुट्टी लेकर चलने का आग्रह किया।


बेटे रमेश की खातिर सीमा और रवि ने दस दिन की छुट्टी के लिए बॉस से बात कर ली। आखिर बेटे से जरूरी तो कुछ नहीं है।

जैसा कि मीना को विश्वास था, वैसा ही हुआ। बेटे समय के अच्छे स्वभाव से रमेश उससे प्रभावित होने लगा। उसकी सोहबत के असर से वह उस जैसा बनने का प्रयास करने लगा। समय ने उसे अपने मित्रों से भी मिलवाया। सभी शाम को एक साथ क्रिकेट खेलते थे, घूमते थे।

रमेश के माता-पिता भी देख रहे थे, मीना के घर सभी एक दूसरे का अच्छी तरह से ध्यान रखते हैं। मीना भी नौकरी करती थी,पर बच्चों के साथ-साथ घर का भी पूरा ध्यान रखती है। आठ दिन बीतते बीतते रमेश में परिवर्तन नज़र आने लगा।

घर वापस आते वक्त रमेश ने समय से कहा, “तुम्हारी सोहबत के कारण ही मैं बदल पाया। अकेलेपन के कारण मैंने गलत राह पकड़ ली थी”।

रवि और सीमा ने भी रमेश से कहा, “अब तुम्हें अकेलेपन से जूझना नहीं पड़ेगा। हम तुम्हें बुरी राह पर नहीं जाने देंगे। तुम्हें भी वादा करना होगा, अपने आवारा मित्रों का साथ छोड़ दोगे”। रमेश ने माता-पिता से वादा किया।  रवि और सीमा ने मीना और उसके घरवालों का भी धन्यवाद दिया, जिसके कारण रमेश बदल पाया।

घर आते ही सीमा और रवि में बदलाव नजर आने लगा। सीमा अब नौकरी के साथ  साथ रमेश का भी पूरा ध्यान रखती थी। पिता रवि भी अब घर जल्दी आने लगे। रमेश की संगत पर भी दोनों पूरी नज़र रखने लगे। हर पंद्रह दिन में पास ही कहीं न कहीं घूमने जाने लगे। रमेश ने भी किए वादे के अनुसार अपने आवारा मित्रों को हमेशा के लिए छोड़ दिया।


सच है, सोहबत में ही अच्छा या बुरा इंसान बनाने की शक्ति है।

#अर्चना कोहली ‘अर्चि

‘नोएडा (उत्तर प्रदेश)

मौलिक और स्वरचित

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