सोच से लड़ाई – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ मनीष बीस साल होने जा रहे है हमारी शादी को…ज़रूरी है माँ को गड़े मुर्दे उखाड़ना….पहली बार में ही मैं समझ गई थी कि बड़ी भाभी से माँ की बहुत बनती है…आपके पिताजी के देहान्त के बाद बड़े भैया भाभी ने पूरे घर को बहुत अच्छे से सँभाल लिया…अपने से छोटे दोनों भाई बहन को अच्छी शिक्षा दी…

मनु की शादी भी बहुत धूमधाम से की …आपकी पढ़ाई नौकरी सब उनकी मेहरबानी से हुई है…आख़िर ये बात वो जब भी हमारे पास रहने आती है हर एक दिन बीच कर के मुझे सुनाती रहती है…बार बार ये सब कह कर वो क्या जताना चाहती है कि हमने किसी के लिए कुछ भी नहीं किया?” नमिता उखड़ी हुई सी बोली

हाँ 

“ नमिता माँ की आदत है वो बार बार वही सब बोलती रहती है शायद उन्हें लगता हो उन लोगों ने इतना किया है तो हमें भी उनके लिए करना चाहिए…ऐसा नहीं है कि हमने कुछ नहीं किया है…मनु की शादी की बागडोर ज़रूर भैया ने सँभाली हुई थी पर उसके गहने और तिलक का सारा सामान सब हमने जुटाया पर माँ को लगता है वो सब भैया ने किया है…फिर भैया की बेटी की शादी में भी हमने बढ़चढ़कर सब किया…. मेरी आदत नहीं है काम करके ढिंढोरा पीटते रहने की..ये आदत भाभी में है इसलिए माँ की नज़रों में भैया भाभी के किए गए काम ज़्यादा दिखते हैं।” मनीष नमिता को समझाते हुए बोला 

“ इसका मतलब मुझे भी भाभी की तरह हमारे किए गए सब काम को बताते रहना चाहिए तभी उन्हें लगेगा हम भी बड़े भैया भाभी से कम नहीं है ।” नमिता ने धीरे से कहा 

“ क्या ऐसा करना ज़रूरी है…..आज तुमने भी कुछ तो कहा ही होगा जब माँ चुपचाप सी पड़ी है ?” मनीष ने यूँ ही कहा 

“ हाँ मैंने कह दिया आप जो ये वक्त बेवक्त गड़े मुर्दे उखाड़ती रहती है ….कभी उनके साथ साथ हमारे किए को भी देख लीजिएगा …मनीष कितना कुछ करते हैं पर आपको तो बस बड़े भैया भाभी ही सबसे अच्छे दिखते हैं तभी से अपने कमरे में पड़ी है।” नमिता ने बिना कुछ छिपाएँ सब कह दिया 

“फिर तुममें और माँ में अंतर ही क्या रह गया… तुम भी तो गड़े मुर्दे उखाड़ने की ही कोशिश कर रही थी…जब तुम सब सच्चाई जानती हो तो क्यों इतना सोचना कभी कभी लोगों को भ्रमित ही रहने देना चाहिए… माँ जिस उम्र में है वो बात समझेंगी कम तनाव ज़्यादा करेगी फिर तबियत ख़राब होगी….मैं तो यही कहूँगा उन्हें बोलने दो उससे हमारा किया कम तो नहीं हो जाएगा पर आपसी मनमुटाव से घर घर ना रहेगा।”मनीष नमिता को समझा सकता था अपनी माँ को नहीं क्योंकि वो जानता था जो माँ पहले ना समझी वो अब क्या समझेंगी।

दोस्तों कभी कभी कहानी को उसके ही अंत पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि उस सोच को कहानी में बदल सकते हक़ीक़त में बदलना जरा मुश्किल है ।

आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#मुहावरा 

# गड़े मुर्दे उखाड़ना 

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