स्नेह भरी टिकिया – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

हैलो…… बुलबुल का फोन….?

 आज अचानक कैसे याद आ गई मेरी तुझे बुलबुल…..?

अरे तूलिका… सुन ना ….तू मुझे अपने घर का एड्रेस बता ना जल्दी से…. या लोकेशन भेज……

क्या…..?  एड्रेस ….? लोकेशन  ?

 पर तू है कहां….. और इतने हड़बड़ी में मेरा एड्रेस क्यों मांग रही है…? सब ठीक तो है ना…?

हां हां सब ठीक है तू बस जल्दी से लोकेशन भेज….

तूलिका ने फटाफट लोकेशन भेजा और थोड़ी हड़बड़ाहट में घबरा भी रही थी……उसे अंदेशा हो रहा था कहीं बुलबुल मेरे घर तो नहीं आ रही है ना….. नहीं नहीं …..इतनी दूर बिन बताएं वो नहीं आएगी ……फिर लोकेशन क्यों मांगी …..?

यदि अचानक आ ही गई तो ये (पति) भी नहीं है ऑफिस गए हैं… सिर्फ मम्मी जी (सासू मां) और श्रेया ( नंद ) ही घर पर हैं …..क्या  बनाऊंगी क्या खिलाऊंगी ….?

       इसी  उधेड़बुन में तूलिका लगी हुई थी…… तभी मनोरमा जी ने कहा …अरे क्या बात है बहू…. परेशान लग रही हो किसका फोन था बेटा….?

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   मम्मी जी वो लगता है मेरी सहेलिया आने वाली है…..सोच रही हूं इतने कम समय में तैयारी कैसे करूं…. तूलिका ने मन में चल रहे हैं भावों को मम्मी जी के सामने रख दिया…!

    देखो बहू ….पहले तो तुम कपड़े चेंज कर लो… तैयार हो जाओ… मैं ड्राइंग रूम ठीक कर देती हूं….सास बहू आपस में बातें ही कर रही थी…. तभी श्रेया आ गई और आते ही बोली…. भाभी ,आप इधर संभालिए ….मैं नाश्ते में मस्त गरमा गरम टिकिया बनाती हूं ….अरे श्रेया आप ….?

आश्चर्य से तूलिका श्रेया की ओर देखती हुई बोली ….हां भाभी , आपको विश्वास नहीं हो रहा है ना कि मैं कुछ अच्छा बना सकती हूं …..देखिएगा भाभी ,आपको आपकी सहेलियों के सामने निराश और लज्जित नहीं होने दूंगी ….!

      कल ही मैंने इस टिकिया के बारे में पढ़ा था और देखिए ना आज ट्राई करने वाली थी तभी मुझे मौका भी मिल गया….. अब तो मैं चली रसोई में…. कहकर श्रेया रसोई की ओर चल पड़ी….!

    तभी बाहर से कॉलबेल की आवाज आई…..लगता है बुलबुल आ गई…. दुपट्टा ठीक करते हुए तूलिका ने दरवाजा खोला…. एक साथ तीनों सहेलियों को देख तूलिका का मुंह खुला का खुला रह गया….।

तुम सब एक साथ…?

बताया क्यों नहीं ….?

पहले गले तो मिलो….

        ये सरप्राइज नाम की भी कोई चीज होती है या नहीं…..

 हम तुम्हें सरप्राइज देना चाहते थे तूलिका …..हम तीनों ने प्लान बनाया तुमसे मिलने का ….फिर तय किया बिना बताए जाएंगे…. वरना तू परेशान हो जाएगी ….!

     बुलबुल , रिमझिम और पायल तीनों सहेलियों का नाम दोहराते हुए तूलिका  सुखद आश्चर्य से अपने अतीत  की , कॉलेज की…. बातें याद करने लगी थी…!

   आओ  , आओ अंदर आओ ….सोफे पर बैठाया …..इधर मनोरमा जी ट्रे में पानी लेकर आ गई…..अरे मम्मी जी ,मैं ले आती ना….. तूलिका ने औपचारिकता पूरी की….!

 तू अपनी सहेलियों के साथ बातें कर बेटा  ,मनोरमा जी ने कहा ….सभी सहेलिया सम्मान पूर्वक मनोरमा जी को अभिवादन किया…. मनोरमा जी  भी हाल-चाल पूछने के बाद अंदर आ गईं….!

    तब तक इधर श्रुति कुकर में आलू उबालने को चढ़ा चुकी थी ….दो-तीन सिटी के बाद कुकर बंद भी कर दिया..? जल्दी से प्याज ,हरी मिर्च , धनिया पत्ती ,शिमला मिर्च ,छोटे-छोटे टुकड़ों में काटे ….आलू छीलकर मैश किया…..तवे पर ही थोड़ी सी मूंगफली भुनी …उसे दरदरा कूट लिया… नमक व सभी चीजों को आलू में मिला दिया…. अच्छी तरह मिलाने के बाद छोटी-छोटी टिकिया का आकार देती हुई… थोड़े से सेवई के छोटे-छोटे टुकड़ों में टिकिया को लपेटती गई और गरम-गरम तेल में गुलाबी होने तक तल लिया….. हरे धनिये की चटनी के साथ ट्रे में लेकर भाभी की सहेलियों के बीच श्रेया पहुंची ….!

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   सबको नमस्ते किया ..सब ने आश्चर्य से श्रुति को प्रशंसा भरी नजरों से देखा… विशेष रूप से तूलिका ….जिसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी ….इतने कम समय में इतनी खूबसूरती से श्रुति ने टिकिया तलकर अपना बड़प्पन दिखाया…..!

    और सबसे बड़ी बात श्रुति ने अपनी भाभी की भावनाओं को समझ उसका सम्मान किया…,।। वाह श्रुति… सभी सहेलियों ने श्रुति की खूब तारीफ की… श्रुति नाश्ता रखने के बाद उठकर जाने लगी ….तभी सभी सहेलियों ने उससे वहीं बैठे रहने का आग्रह किया….!

      बुलबुल ने ड्राइंग रूम में बैठे-बैठे ही आवाज लगाई ….आंटी जी आइए ना…..प्लीज…. आप भी हमारे साथ बैठिए ……तूलिका से तो फोन पर बातें होती ही रहती हैं…. हम लोग तो आप सब लोगों से मिलने आए हैं…!

   सब ने मिलकर चटकारे ले लेकर तारीफ कर कर के टिकिया का मजा लिया…. पायल ने कहा…. तुम्हारी नंद बहुत अच्छी है तूलिका ….और टिकिया तो गजब की स्वादिष्ट बनाई है तभी रिमझिम ने तपाक से कहा… अरे सिर्फ नंद ही नहीं ….सासु मां भी बहुत प्यारी है….!

इसी बीच बातों ही बातों में तूलिका ने स्पष्ट किया …. ये सिर्फ आलू की टिकिया या स्वादिष्ट टिकिया नहीं है ये मेरी और मेरी ननद की   ” स्नेह भरी  टिकिया ”  है….!

चाय नाश्ते और गपशप के बाद सभी सहेलियों ने विदा लिया ।

  सहेलियों के जाने के बाद तूलिका ने श्रुति का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा …. वाह श्रुति…. जितनी अच्छी आप है , उतनी  ही अच्छी आपने टिकिया भी बनाई थी….और उससे भी कहीं ज्यादा अच्छी आपकी भावनाएं उभर कर सामने दिखाई दी थी…!

   जब आपने कहा था ना …आप तैयार हो जाइए भाभी ….मैं नाश्ता बनाती हूं… सच में श्रुति  , मैं यही सोच रही थी…  खुद की तैयारी करूं या उनके आवभगत की… पर आपने तो  मिनटों में मेरी सारी चिंताएं ही दूर कर दी…. तूलिका के शब्दों से कृतज्ञता साफ जाहिर हो रही थी…!

    अरे भाभी …आप ये कैसी बातें कर रही हैं…..ऐसा बोलकर …” जिम्मेदारियां के अपनेपन के एहसास को कम मत कीजिए “…..

 जब मुझे स्कूल की तरफ से पिकनिक जाना था आपने सुबह जल्दी उठकर वो बैंगन के कलौंजी बना कर दिए थे ना ….सबने कितनी तारीफ की थी …तो  ये सब तो होता ही है भाभी… फिर देखा ना ….आपकी सहेलियों ने मेरी कितनी तारीफ की…. मस्ती भरे लहजे में श्रुति ने इतराना चाहा…।

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  उधर मनोरमा जी ननद भाभी की बातें सुनकर प्रसन्न हो रही थी …. सोच रही थी…. यदि घर में थोड़ी भी समझदारी से तालमेल बैठाया जाए तो घर को स्वर्ग बनने में देर नहीं लगती ….और इन सब में मनोरमा जी का योगदान भी कम नहीं है…..

      जिन्होंने कभी बेटी और बहू में कामों के मध्य भेद नहीं किया…. बड़े सरल , सहज और वास्तविक नजरिए को …..देखते …दिखाते… हुए घर में एक स्वस्थ सुंदर माहौल को पनपाकर  उसे विकसित होने में सहायता की….!

 दोस्तों ….कभी-कभी हमें अपने पद सास ,नंद ,बहू ,बेटी से ऊपर उठकर मानवता … जरूरत.. आवश्यकता ..मदद … जैसे जरूरी मानवीय रिश्तों और संवेदनाओं की ओर भी ध्यान देना चाहिए…!

फिर कुछ रिश्ते तो नाम से ही बदनाम है….तो क्यों ना हम दूसरों से अपेक्षा रखने की बजाय , खुद ही उस बदनाम रिश्ते रूपी धब्बे को हटाकर खूबसूरत रिश्ते का नाम देने का कार्य शुरू कर मिसाल बने….? आखिर हम भी तो किसी की ननद , किसी की भाभी , किसी की सास तो किसी की बहू है….!

(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित अप्रकाशित रचना )

साप्ताहिक विषय : # स्नेह का बंधन 

संध्या त्रिपाठी

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