सिद्धि इस बार तू ससुराल में बहुत दिन रही, क्या हुआ …कोई ख़ास बात… ! प्रिया ने अपनी सहेली से विस्मयता के साथ पूछा…
हाँ यार इस बार ज़्यादा दिन रुकना पड़ा, सास ससुर बुज़ुर्ग हैं और उन्होंने पहले जो मेड रखी थी, उसने काम छोड़ दिया l जब तक कोई दूसरी लग नहीं जाती, उन्हें छोड़ कर आते भी नहीं बन रहा था l और उन्हें कुछ दिनों के लिए हमारे साथ चलिये, कहने पर भी वो राज़ी नहीं हुए …फ़िर बहुत मुश्क़िल से एक लड़की मिली पायल नाम है उसका .. पढ़ी लिखी भी है , घर का काम भी बढ़िया कर रही है l और सबसे बड़ी बात बहुत स्मार्ट है वो.. मार्केट वगैरह भी चली जाती है… फ़ोन पर तो बहुत बढ़िया से बात करती है l मेरे सामने ही उसके पास किसी का कॉल आया तो उनसे कह रही थी – “मैं अपने दादा जी के घर में हूँ..!”
तो सामने वाला उससे शायद आश्चर्य से पूछा था कि ” तेरे दादा जी ..?”
तो वो उनसे कहने लगी – “मैं बचपन से इनको छोड़कर माँ बापू के पास चली गई थी …अभी ज़िद करके यहाँ आई हूँ , अब तो यहीं रहूँगी ! “
सिद्धि तो एक रौ में अपनी बात कहती चली गई, पर प्रिया के दिमाग़ में तो चिंता के बादल गहराते चले गए, लेकिन अगले ही क्षण वो बोली … -” देख कहीं ज़्यादा ही स्मार्ट न हो फ़िर तेरे सास ससुर अकेले भी रहते हैं… डर है न…! “
” हाँ बात तो तू सही कह रही है, मैं आज ही मम्मी जी को सतर्क रहने के लिए बोल दूँगी..!” सिद्धि ने कहा
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अगले दिन सिद्धि ने प्रिया को बताया – ” मम्मी जी बता रहीं थीं प्रिया, कि पायल बढ़िया काम कर रही है, खाना भी बना लेती है, और ख़ाली समय में पापा जी के साथ पढ़ती भी है और मेरी मालिश भी कर देती है… एक दिन तो बेचारी रोते हुए उनसे बोली -” मेरी क़िस्मत अच्छी है दादी, मुझे दो टाईम का खाना और कपड़ा मिल रहा है ..वरना हमारे घर में तो किसी किसी दिन चूल्हा भी नहीं जलता.. यहाँ मुझे किसी चीज़ की कोई परेशानी भी नहीं है…मुझे यहीं रख लेना न दादी…मैं हमेशा आप लोगों के साथ रहूँगी..! “
प्रिया हूं हूं करते हुए सिद्धि की बातें सुन तो रही थी पर उसके दिमाग़ में संशय का कीड़ा कुलबुला रहा था -” सीधे सादे बनकर भी तो लोग झांसा देते हैं, भगवान करें सब ठीक हो …! “
और अब धीरे-धीरे तीन चार महीना बीत गया, ससुराल में सब कुछ ठीक चल रहा था, तभी एक दिन सुबह सुबह सिद्धि के पास पायल का फ़ोन आया -” भाभी, दादा जी का ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ गया और वो गिर गये थे, तो दादी से पूछकर मैंने डॉ. को फ़ोन लगाया और ड्राईवर को बुलाकर हॉस्पिटल ले गई, अभी तो दादा जी ठीक हैं… वैसे आप चिंता मत करना… लो दादा जी से बात करो कहते हुए उसने फ़ोन पकड़ा दिया.. क्या हुआ बाउजी आप ठीक तो हैं न… घबराते हुए सिद्धि और सुशांत (बेटा) एक स्वर में बोले..
“हाँ ,एकदम ठीक हूँ बेटा ये जो होशियार लड़की है न, ये अगर न होती तो पता नहीं मेरा क्या होता.. . डॉ. साब बोल रहे थे अच्छा हुआ समय से ले आये…!” कहते हुए वो पायल की प्रशंसा करने लगे… बाउजी की बातें सुनते हुए सिद्धि के आँखें भर आई … और दिमाग़, दिमाग़ तो बस एक ही बात दुहरा रहा था…” होगा कोई #स्मार्ट धोखेबाज पर, मेरे लिए तो ये #स्मार्ट बैसाखी बन गया…! “
…
मधु मिश्रा, ओडिशा