सिन्दूर की कीमत – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” हेल्लो जी मेरा नाम निशा है मैं आपके पड़ोस मे ही रहती हूँ !” नई नई उस कॉलोनी मे आई आभा से एक औरत बोली।

” जी हेल्लो बहुत अच्छा लगा आपसे मिलकर !” दरवाजे पर खड़ी आभा मुस्कुरा कर बोली।

” आपके घर मे कौन कौन है ?” निशा ने सवाल किया।

” मैं , मेरे मम्मी पापा और छोटा भाई और मेरा आठ महीने का बेटा।…पापा बैंक मे नौकरी करते है उनका तबादला यहां हुआ है और मैं भी जॉब ढूंढ रही हूँ !” आभा शालीनता से बोली।

” क्या ये आपका मायका है मैं तो ससुराल समझी थी !” निशा हैरानी से बोली।

” जी नही मैं तलाकशुदा हूँ !” आभा ने बिना किसी संकोच के बता दिया वैसे भी ऐसी बाते कब तक छिप सकती है। और आभा को इसमे शर्म भी नही थी उसने तो एक दर्दभरे रिश्ते से खुद को आज़ाद किया था ।

” ओह्ह !” निशा के मुंह से केवल इतना निकला पर उसका चेहरा साफ बता रहा था उसे गॉसिप का नया मुद्दा मिल गया है। यही तो होता है कुछ औरतों का नेचर उन्हे दुसरो की जिंदगी मे झाँकना ज्यादा पसंद होता है । दुसरो के घर की ऐसी बाते उनके लिए मसाला होती है । उस वक्त दोनो ने एक दूसरे से विदा ली। कुछ दिनों मे आभा की नौकरी लग गई तो वो कम ही नज़र आती थी मोहल्ले मे अब । पर उसके तलाकशुदा होने की बात सारे मोहल्ले मे फैल चुकी थी।

” नमस्ते आंटी जी बड़ा प्यारा बच्चा है आपका नाती !” एक दिन आभा की मम्मी सुलभा जी आभा के बेटे अद्दू को बाहर घुमा रही थी तब निशा उनसे बोली।

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” नमस्ते बेटा …हां बहुत प्यारा है ये और नटखट भी बहुत है !” सुलभा जी मुस्कुराते हुए बोली।

” जी पर बेचारा बदकिस्मत है जो बाप के प्यार से मेहरूम है !” निशा अफसोस जताते हुए बोली।

” नही बेटा बल्कि ख़ुशक़िस्मत है कि ऐसे बाप के साये से दूर हो गया वरना कल को ये भी उसके नक़्शे कदम पर चल पड़ता तो बेचारी आभा का जीना मुहाल हो जाता।” सुलभा जी बोली।

” हम्म… वैसे ऐसा हुआ क्या था जो आभा जी को ये फैसला करना पड़ा आपने छानबीन नही की थी क्या रिश्ता करने से पहले !” निशा जो अपनी आदत से मजबूर थी वो और कुरेद कर पूछने लगी।

” बस बेटा सब किस्मत की बात है प्रेमविवाह था मेरी आभा का पर किसी को कहाँ पता था ये सब होगा !” सुलभा जी दुखी हो बोली।

” ओह्ह प्रेम विवाह था तभी तो ..!! बिन सोचे प्रेम मे पड़ विवाह कर लेने मे यही तो होता है शादी माँ बाप की पसंद से करो तो सब देखभाल के किया जाता है तब असफल होने की गुंजाइश नही रहती  !” निशा बोली।

( असल मे आभा और उसका पति नितिन एक कम्पनी मे नौकरी करते थे दोनो मे प्यार हुआ और बात शादी तक पहुंची आभा के माता पिता ने बेटी की खुशी की खातिर इस रिश्ते को मंजूरी दे दी । नितिन के घर मे सिर्फ भाई भाभी थे तो उन्हे भला क्या एतराज होता इस रिश्ते से । शादी के बाद नितिन ने आभा की नौकरी छुड़वा दी । धीरे धीरे नितिन आभा से कटने लगा । वो बस जरूरत के लिए आभा के पास आता था। आभा को समझ नही आता था नितिन की बेरुखी का कारण। आभा नितिन से पूछती तो वो टाल जाता या काम का बहाना कर देता।

पर वो कारण जल्द खुल गया जब शादी के ढाई साल बाद आभा को पता लगा कि नितिन का ऑफिस की एक शादीशुदा महिला के साथ अवैध रिश्ता है। आभा रोने गिड़गिड़ाने वाली औरतों मे से नही थी वैसे भी जब रिश्ते मे कोई तीसरा आ जाये तो उसे बनाये रखकर भी क्या फायदा । इसलिए आभा ने नितिन का घर छोड़ दिया और नितिन के खिलाफ केस डाल दिया तभी उसे पता लगा वो गर्भवती है पर उसने नितिन को भनक तक नही लगने दी। आपसी रजामंदी से तलाक हो गया और उसके बाद अद्दू का जन्म हुआ। )

” निशा जी क्या गारंटी है कि माँ बाप की इच्छा से किया विवाह सफल ही हो और प्रेमविवाह असफल। प्रेम विवाह तो सब कुछ देख कर एक दूसरे को समझ कर किया जाता है ना पर सामने वाला शख्स गलत निकल जाये फिर कोई क्या करे ये तो किसी भी विवाह मे हो सकता है ना। वैसे भी सिंदूर की कीमत एक औरत ही क्यो चुकाये शादी दो लोगो ने की तो दोनो का फर्ज है ना इसे निभाने का । पर जब एक इंसान किसी दूसरी राह मुड़ जाये तो दूसरे को ऐसी स्थिति मे सारी जिंदगी घुट घुट कर जीना चाहिए या खुद को उस रिश्ते से आज़ाद कर चैन की सांस लेनी चाहिए !” तभी वहाँ आभा आ गई और निशा की बात सुन बोल पड़ी।

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” नही मेरा वो मतलब नही था पर सारी जिंदगी का अफ़सोस तो रहेगा ना अब ऊपर से बच्चा भी बाप के साये से दूर !” निशा आभा को सामने देख सकपका कर बोली।

” निशा जी मेरे लिए उस इंसान से तलाक लेना खुशी का पल था क्योकि एक घुटन भरे रिश्ते का चार साल बाद अंत हुआ था …तो मैं अफ़सोस क्यो करूंगी बल्कि मेरे लिए वो जश्न का दिन होगा। मेरी मांग के सिंदूर की कीमत पल पल का तिरस्कार थी जो मुझे मंजूर नही था । रही मेरे बेटे की बात ऐसे बाप के साये मे पलने से बेहतर है वो बाप के साये से दूर रहे। वैसे भी मैं काफी हूँ इसे माँ बाप दोनो का प्यार देने को !” ये बोल आभा अदू को गोद मे ले अंदर चली गई पीछे निशा आभा की बात सुन सोचने पर मजबूर हो गई के विवाह कोई भी हो असफल दोनो हो सकते है

पर ये हमारा समाज् ज्यादातर प्रेम विवाह को शक की नज़र से देखता है साथ ही चाहता है औरत भले सब सहे पर उसकी मांग का सिंदूर चमकता रहे । ऐसे ही समाज की सोच से वो खुद भी अछूती नही।

दोस्तों इस कहानी को ले आपकी क्या राय है क्या सच मे ऐसे रिश्ते से छुटकारा मिलना भी एक खुशी की बात नही है ।

 क्या जरूरी है प्रेम विवाह ही असफल हो ?

क्या जरूरी है मांग मे सिंदूर और गले मे मंगलसूत्र की कीमत औरत सारी जिंदगी चुकाये ?

#सिन्दूर 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

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