मीता एक सुलझी हुई लड़की थी जिसके माता पिता बचपन में ही गुजर गए ।पहले वो अपने मामा मामी के यहां रही पर मामा सारा दिन दफ्तर में होते और मामी सारे घर का काम उससे करवाती।
उसकी मामी का भाई मदन भी अपनी बहन के घर ही पड़ा रहता।उसकी नीयत बहुत गंदी थी इसलिए मीता उससे बहुत डरती थीं।
वो कई बार मीता का फायदा उठाने की कोशिश कर चुका था।पर भगवान की दया से वो बच जाती ।मामा को मदन बिल्कुल पसंद नही था
पर मामी के सामने उनकी चलती ना थी ।एक दिन मामी बाजार गई थी और मीता अकेली थी तब मदन अचानक घर में घुस आया और मीता
से जबरदस्ती करने लगा वो तो मामा दफ्तर से जल्दी घर आगया उन्होंने सब देखा तो मदन ने सारा इल्ज़ाम मीता पर लगाना शुरू कर दिया।
मामी ने भी आकर उसकी झूठी बातों में आकर मीता को पीटना शुरू कर दिया।
मामा समझ गए कि यहां मीता सुरक्षित नही हैं इसलिए मामा ने चुप चाप मीता के ताऊजी को फोन कर दिया कि आप मीता को ले जाएं बहुत पूछने पर मामा को सब सच बताना पड़ा ।
और इस तरह मीता मामा के यहां से ताऊजी के यहां आ गई। यहां भी वो सारे काम करती पर ताऊजी की बेटी गीता उसे पदाती
क्योंकि वो कॉलेज में लेक्चर थी।उसकी की वजह से मीता बारहवीं पास कर पाई।गीता के लिए रिश्ते आने लगे।उन्ही में से एक ने गीता के साथ मीता को भी अपने मझले बेटे के लिए पसंद कर लिया
ताई जी तो न चाहती थी कि ये रिश्ता हो पर लड़के वालों की जिद थी ताऊजी ने समझाया गीता तो मोहन के साथ दिल्ली चली जाएगी वो कहा मीता के साथ रहेगी
बहुत समझाने पर ताई जी शादी के लिए तैयार हो गई और नीयत समय पर दोनों की शादी हो गई नई ससुराल में आकर दोनों का बहुत अच्छा स्वागत हुआ मीता हैरान थी
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कि सब उसे कितना प्यार कर रहे है उसके पति रजत तो उस पर जान छिड़क रहे थे। वो गीता से बोली दीदी मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मेरी किस्मत इतनी अच्छी हो सकती हैं ।
गीता बोली जब तुम हमारे यहां आई थी तब मैने बाबूजी को मा को तुम्हारे साथ क्या हुआ बताते हुए सुन लिया था मां तो सोच रही थी
कि नौकरानी आएगी पर मैं नरेश चाचा और आरती।चाची का प्यार कैसे भुला सकती थी वो मुझे कितना प्यार करते मेरे नखरे उठाते मां भूल गई पर मैं नहीं तभी जब अमित का रिश्ता आया
तो मुझे पता चला उसका एक भाई रजत भी है फिर पूजा वाले दिन अमित के साथ आए रजत ने तुम्हे देखा और पसंद कर लिया
अमित और रजत के पिताजी बाबूजी के बचपन के दोस्त है जब उन्हें ये बात पता चली तो उन्होंने बाबूजी से बात की फिर मैने भी बाबूजी को बोला कि तुम्हारी जिंदगी स्वर जाएगी तो वो भी तैयार हो गए ।
आज मीता की शादी को बीस साल हो चुके है वो अपने घर की और रजत की आखों का तारा है।।मांग में सिंदूर लगाते हुए मीता यही सोच रही थीं कि मैं कितनी खुशकिस्मत हूं जो मुझे रजत मिले और गीता दी जिनकी वजह से मेरी मांग में सिंदूर जगमगा रहा है।
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