“ तुम ये कैसे बात कर रहे हो अंश.. यही सब सीख रहो हो स्कूल जाकर…पहले तुम कितने अच्छे बच्चे थे …अब बड़ों से बात करने की तमीज़ भी भूलते जा रहे हो… चलो सॉरी बोलो …नहीं तो आज मेरा हाथ उठ जाएगा ।” कसमसाते हुए निशिता ने बेटे से कहा
आठ साल का अंश चुपचाप कभी दादी को देखता कभी पापा को तो कभी अपनी मम्मी को …उसे समझ ही नहीं आ रहा था उसने ऐसा क्या कह दिया जो मम्मी ग़ुस्सा हो रही है
सुमिता जी अपने पोते को अपने पास बुलाई और बोली ,” बेटा अपनी मम्मी से कोई ऐसे बात करता है क्या…
आपका सामान बिखरा हुआ था तभी तो मम्मी ने उसे हटाकर अच्छे से रख दिया था ….फिर जब आपको नहीं मिल रहा था तो आपने ग़ुस्से में ऐसे क्यों बोला मम्मी मेरे सामान को हाथ क्यों लगाती हो जब रखकर आप भूल जाती हो …आपको तो कुछ भी याद नहीं रहता लगता है आप बुड्ढी हो रही हो।”
“ दादी मैं तो गुड बॉय हूँ ….सब मुझे कहते हैं मैं सबके साथ गुड बिहेवियर करता हूँ और आपके साथ रहकर अच्छी अच्छी बातें ही सीख रहा हूँ ….फिर ये बात तो पापा अक्सर आपको बोलते रहते हैं और आप ग़ुस्सा भी नहीं होती ना पापा से कुछ बोलती हो रोती
रहती हो और याद करके उनका सामान खोजती हो… फिर जब मैंने ऐसे कह दिया तो मम्मी मुझ पर ग़ुस्सा क्यों कर रही है?” अंश ने जैसे ही ये बात कही उसके पापा रितेश, निशिता और दादी दोनों पानी पानी हो गए
निशिता रितेश की ओर देखने लगी जो इस वक्त ये सुन कर पानी पानी हो रखा था ।
“ सॉरी मम्मी… सॉरी बेटा आज के बाद आपके पापा आपकी दादी से कभी मिस विहेव नहीं करेंगे… आप को तो ये पता ही नहीं है कि
अपनी माँ से इस तरह से बात करना गलत होता है ।” रितेश घुटनों के बल बैठ बेटे को गले लगा बैठी हुई सुमिता जी के गोद में सिर रख कर अपनी गलती स्वीकार कर रहा था
“ सच कहते हैं लोग बच्चे घर से भी बहुत कुछ सीखते हैं इसलिए हमें सोच समझकर बात व्यवहार करना चाहिए क्योंकि ये सीख हम ही उन्हें दे सकते हैं कोई बाहर वाले नहीं ।” निशिता बेटे की बात सुन माथे पर पड़े बल को दूर करने की कोशिश करते हुए बोली
दोस्तों आप इस बारे में क्या कहते हैं…मेरा मानना है हमारा व्यवहार ही बच्चों में अच्छी और बुरी सीख का विकास करता है अच्छी सीख गर्व की अनुभूति करवाती है और गलत सीख किसी के सामने पानी पानी कर सकती है ।
रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
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