शुक्रिया अनजान दोस्त – संगीता अग्रवाल

#जादुई_दुनिया

” आज तो काफी रात हो गई निकलने में पता नही इतनी बारिश में इस तरफ कोई ऑटो भी मिलेगा या नहीं !” तृप्ति ऑफिस से निकलते हुए खुद से बोली।

उसने अपने बैग से छाता निकाला साथ ही मोबाइल भी जिससे घर में फोन करके पति मनन से बोल सके। पर ये क्या मोबाइल में तो बैट्री नही है “उफ्फ आज मीटिंग के चक्कर में फोन भी चार्जिंग पर लगाना भूल गई थी इससे तो ऑफिस के किसी स्टाफ से लिफ्ट ले लेती पर अब तो वो भी निकल गए ।” अब क्या होगा उसके दिमाग में यही प्रश्न घूम रहा था।

” ऑटो …ऑटो !” अचानक सामने एक ऑटो देख उसने आवाज दी।

” कहां जायेंगी मैडम !” ऑटो वाला पास आकर बोला।

” भैया पटेल नगर चलोगे?” तृप्ति ने पूछा।

” नही मैडम वहां तो बहुत पानी भरा है आपको वहां के लिए कोई सवारी नही मिलेगी इस समय !” ये बोल ऑटो वाला बंदूक से निकली गोली सा निकल गया।

ओह अब क्या होगा इस अंधेरी सुनसान रात में उम्मीद की आखिरी डोर भी टूटती सी लगी उसे वहां रुकना मुनासिब ना समझ उसने मुख्य सड़क की राह पकड़ी। रोज की अपेक्षा आज वो लंबे डग भर रही थी। तभी उसे अपने पीछे कुछ हलचल सुनाई दी ….उसने पीछे मुड़कर देखा तो तीन लड़के उसके पीछे आ रहे है वो डर गई

अगर इन्होंने कुछ गलत हरकत की तो क्या करूंगी मैं यहां तो दूर दूर तक कोई नही है मेरी मदद को । ये सोच कर सर्दी की रात में भी तृप्ति के माथे पर पसीने छलक आए। उसने अपने कदमों को तेज कर दिया पीछे आते लड़के भी तेज चलने लगे। तृप्ति ने ये देख भागना शुरू कर दिया वो लड़के भी भागने लगे। 



तृप्ति अंधाधुंध भागे जा रही थी ये भी नही पता उसे किस दिशा में बहुत सुनसान और अंधेरी रात हो चुकी थी । अचानक वो एक कार से टकराई। कार में बैठे शख्स ने दरवाजा खोल दिया वो लड़के बहुत करीब आ गए थे तो बिना ये जाने की कार में कौन है वो फटाफट कार में बैठ गई ।

कुछ पल उसे अपनी उखड़ी सांसे समेटने में लगे फिर उसने देखा वो लड़के बहुत पीछे छूट गए है तब उसकी जान में जान आई । अब उसने अपने अनजान मददगार की तरफ देखा जो की एक लड़की थी।

” बहुत बहुत शुक्रिया आपका मेरी मदद करने के लिए !” तृप्ति उस लड़की से बोली।

” तुम्हे इतनी रात को इस तरफ नही आना था जानती नही हो ये इलाका कितना सुनसान है!” उस लड़की ने कहा उसका स्वर बहुत सपाट था जो तृप्ति को बहुत अजीब लगा। 

” वो असल में मैं ऑफिस से निकली थी ऑटो की तलाश में तो ये लड़के मेरे पीछे पड़ गए फिर मुझे होश ही नहीं रहा मैं कहां भाग रही हूं !” तृप्ति बोली।

” ये दुनिया बहुत खराब है हम लड़कियों के लिए हर मोड़ पर यहां इंसानी भेड़िए खड़े रहते हम लड़कियों के शिकार के लिए तुम्हे ध्यान रखना चाहिए अपने पति को बुला लेना चाहिए था तुम्हे !” वो बोली। तृप्ति उसके चेहरे को गौर से देख रही थी पर उसे सिवा बालों के कुछ नजर नही आ रहा था क्योंकि उसने अपने बाल इस तरह से खुले छोड़े थे की वो दोनो तरफ से उसका चेहरा ढक रहे थे।

” दुर्भाग्य से मैं आज अपना फोन चार्ज करना भूल गई और वो बंद हो गया !” तृप्ति शर्मसार हो बोली।

” ओह…आइंदा से लेकिन ध्यान रखना हर बार तो क्योंकि मैं मदद को आऊंगी नही !” वो लड़की अभी भी बिन तृप्ति की तरफ देखे सपाट लहजे में बोली।

” जी !” तृप्ति ने ये कहा तभी गाड़ी झटके से रुकी तृप्ति ने देखा उसका घर आ गया।

” फिर से एक बार आपका धन्यवाद …आप अंदर आईए ना!” तृप्ति गाड़ी से उतरते हुए बोली।

” नही मुझे वापिस भी तो जाना है!” वो लड़की बोली।




” वापिस क्यों?” तृप्ति ने हैरानी से पूछा।

” अपने घर …जहां से तुम्हे मैने गाड़ी में बैठाया वहीं तो मेरा घर है !” वो लड़की बोली।

” क्या …फिर आपने मेरे लिए इतना कष्ट क्यों किया ?” तृप्ति हैरान थी।

” मैं हर रोज तुम्हारी जैसी लड़कियों की मदद करती हूं जिससे जो मेरे साथ हुआ वो किसी और के साथ ना हो ….कोई और लड़की अपनी अस्मत खोकर उस जगह ना जाए जहां आज मैं  हूं !”  वो बोली इस बार उसकी आवाज में दर्द था।

” क्या ….क्या मतलब है तुम्हारा !” तृप्ति इस बार डर गई।

” तृप्ति तुम यहां खड़ी क्या कर रही हो मैं तुम्हारे ऑफिस तक तुम्हे ढूंढ कर आया तुम्हारा फोन भी बंद था !” तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा और वो मुड़ी तो सामने मनन था।

” वो मनन मुझे इन्होंने यहां तक छोड़ा !” तृप्ति ये बोल जैसे ही मुड़ी वहां ना कोई गाड़ी थी ना गाड़ी वाली लडकी तृप्ति ये देख लड़खड़ा गई !

” संभल कर तृप्ति …पर यहां तो कोई नही था तुम अकेली थी जब मैं आया!” मनन उसे संभालता हुआ बोला।

” क्या …!” तृप्ति को उस लड़की की अंतिम शब्द याद आए साथ ही ये की उसने कहा था उसे वापिस वहीं जाना है जहां से तृप्ति को लिया उसने ….पर ….पर वहां तो …. “ओह माई गॉड क्या मैं एक आत्मा के साथ थी क्योंकि वहां तो शमशान घाट था!” तृप्ति बुदबुदाई।



” क्या बोल रही हो आत्मा, शमशानघाट …तबियत तो ठीक है तुम्हारी ?” मनन बोला और उसे अंदर लाने लगा।

तृप्ति ने अंदर आते हुए मुड़ कर पीछे देखा….उसे वो लड़की दिखाई दी पर इस बार उसका मुंह दिख रहा था खून से लथपथ साथ ही अंधेरी रात में भी उसकी आंखे चमक रही थी।

” मनन देखो वो रही वो लड़की !” तृप्ति चिल्लाई ।

” कोई नही है तृप्ति वहां तुम अंदर चलो थक गई हो तुम !” मनन ने पलट कर देखा और बोला।

” नही मनन वो थी अरे हां उसे तो मैंने अपने घर का पता भी नही बताया था फिर उसने गाड़ी यहां क्यों रोकी। मतलब क्या वो कोई आत्मा ही थी जो मेरी मदद को आई थी मतलब मैं पिछले आधे घंटे से एक आत्मा से बात कर रही थी !” ये बोलते हुए तृप्ति का चेहरा सफेद पड़ गया फिर उसने मनन को उस लड़की से हुई सारी बात बताई। 

” तृप्ति वो भले कोई आत्मा थी पर मेरे लिए तो आसमान से उतरी कोई परी थी जिसने तुम्हारी हिफाजत की वरना ना जाने क्या हो जाता आज ….आइंदा से तुम्हे जब भी देर होगी मैं खुद तुम्हे लेने तुम्हारे ऑफिस आ जाऊंगा समझी !” ये बोल मनन ने तृप्ति को गले लगा लिया।

तृप्ति मनन के गले लगी अभी भी उस लड़की के बारे में ही सोच रही थी ….फिर उसने अपना सिर झटक कर केवल इतना कहा ” शुक्रिया अनजान दोस्त ” और आंखे बंद कर ली।

आपकी दोस्त

संगीता

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