शिकायत वहां होती है, जहां उम्मीद होती है…- रोनिता कुंडू  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

मां, कहां हो आप..? रजनी ने घर के अंदर आते ही अपनी मां रीना जी को आवाज़ लगाया….

क्या हुआ रजनी..? रीना जी ने कमरे के अंदर से निकलते हुए कहा…

 देखो मां… आज मैंने क्या-क्या शॉपिंग की है..? रजनी ने मुस्कुराते हुए कहा… फिर वह एकदम से रुक गई और पूछा… 1 मिनट… मां, यह भाभी कहां है..?

 रीना जी:   वह तो अभी यही थी मेरे साथ, उसकी मां का फोन आया तो अंदर चली गई बात करने… 

रजनी:   ऐसी भी क्या बात करनी थी जो यहां नहीं कर सकती थी..? जरूर अपनी मां से हमारी शिकायत कर रही होगी..?

 रीना जी:   तू भी ना बस..

रजनी:   नहीं मां, अभी शुरुआत से ही भाभी पर लगाम कसकर नहीं रखोगी तो बाद में पछताओगी..

 रीना जी:   यह सब छोड़ अपनी शॉपिंग दिखा… और आज इस समय शॉपिंग..? घर पर काम नहीं था क्या..? 

रजनी:   था तो.. पर मैंने भी कह दिया मुझे शॉपिंग पर जाना है… मेरी सासू मां का बस चले तो पूरा दिन मुझे रसोई में ही रख दे….

 रीना जी:   फिर तू भी तो अभी अपनी सास की शिकायत ही कर रही है मुझसे…. फिर राशि को क्यों दोष देती है..?

 रजनी:   मां, यह आप भी अच्छे से जानती है कि मेरी सासू मां कैसी है..? भाभी की तो किस्मत अच्छी है जो आप जैसी सास मिली उनको… 

उसके बाद रजनी चली जाती है.. उसका ससुराल और मायका एक ही शहर में होने की वजह से आना-जाना लगा रहता था… एक दिन रीना जी अपनी नई नवेली बहू राशि को पालक पनीर बनाना सिखा रही थी कि तभी राशि का फोन बज उठा.. जिस पर रीना जी ने उससे कहा… जा राशि बात कर लो… 

एक तरफ राशि फोन लेकर अपने कमरे में गई, इधर रजनी बाहर हॉल में मां को न पाकर सीधे रसोई में आ गई और अपनी मां को खाना बनाते हुए देखा तो उसने पूछा… मां, आप बना रही हो खाना, भाभी कहां गई..?

रीना जी:  अरे उसकी बहन का फोन आ गया था.. इसलिए उसे भेज दिया बात करने…

 रजनी:   कभी मां का फोन आता है, तो कभी बहन का, बस सारा दिन क्या शिकायत ही करती रहती है भाभी..? तभी तो इतना फोन आता है.. मैं तो कहती हूं अब से आप उसे अपने सामने बात करने को कह दो… पता तो चले कि वह हमारे बारे में क्या सोचती है..? 

रीना जी: बेटा, तुझे हर वक्त ऐसा ही क्यों लगता है की राशि हमेशा हमारी शिकायत ही करती होगी..? अरे नई नई शादी हुई है, उसका और उसके परिवार वाले दोनों को ही एक दूसरे की याद आती होगी, इसलिए बार-बार फोन कर लेते हैं…

 रजनी:   मां, आप बड़ी भोली है… पर सारे आपकी तरह नहीं होते… आपको अगर मेरी बात का विश्वास नहीं होता तो चलो मेरे साथ चुपके से भाभी की बातें सुनते हैं…  दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा… 

रीना जी:  देख बेटा तू जानती है मुझे यह सब बिल्कुल भी पसंद नहीं…  अगर तुम्हारी कोई शिकायत करता भी है, तो उससे यह समझो कि उसको तुमसे कई सारे उम्मीदें होंगे जो तुम पूरी नहीं कर पाई, इसलिए वह अब शिकायत बन गई और हम उम्मीद भी अपनों से ही करते हैं ना, तो फिर शिकायत तो अच्छी बात हुई, बस शिकायत हो तो, उसे वक्त प र ही खत्म कर लिया करो, जो इसका पुलिंदा बनती चली गई तो फिर बस शिकायत ही बस जाएगी.. वहां उम्मीद का नामोनिशान भी ना होगा… 

रजनी:   मैं नहीं मानती की शिकायत का मतलब उम्मीद होता है… आप कुछ भी कहती हो… आपको नहीं जाना मत जाओ… पर मैं तो जा रही हूं.., मुझे सुनना है भाभी की शिकायत और फिर रिकॉर्ड करके आपको भी सुनाऊंगी… तब आपको पता चलेगा की शिकायत शिकायत होती है..? जिसे सुनकर सबको बुरा लगता है.,

 रजनी फिर राशि के कमरे के बाहर जाकर चुपचाप कान लगाकर खड़ी हो जाती है…

राशि फोन पर अपनी बहन से…. नहीं रानू, इस घर के लोग तो बड़े ही सीधे साधे हैं, इन्हें अपने वश में करना बड़ा आसान है… बस मेरी ननद रजनी को छोड़कर… उसे तो मेरे हर काम से शिकायत होती है… पता नहीं मुझसे क्या परेशानी है..? उसे मेरी हर बात से दिक्कत रहती है… उसे लगता है उसका यहां आने का मकसद मैं नहीं समझती, पर उसे यह नहीं पता कि उसकी भाभी उससे चार कदम आगे है… 

यह सब सुनकर रजनी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है… और वह दौड़कर अपनी मां के पास जाती है, अब भाभी की सारी बात बता देती हैं…रीना जी ने रजनी की पूरी रिकॉर्डिंग बड़े ध्यान से सुनी और फिर जोर से हंसने लगी… 

रजनी:   मां आप सारी बातें सुनकर भी हंस रही हो..? गुस्सा नहीं आ रहा आपको..? देखा आपने… मुझे लगा ही था क्योंकि यह जब से इस घर में आई है… पता नहीं मुझसे बड़ी कटी कटी रहती है… आज जाना इसका सच… 

रीना जी:  हंसी नहीं तो और क्या करूं..? बिल्कुल राशि ने जैसा कहा, वैसा ही तू बर्ताव कर रही है… 

रजनी:   क्या मतलब…?

 रीना जी:  मतलब यह कि जब तू राशि की शिकायत सुनने जा रही थी ठीक उसी समय राशि ने तेरी शिकायत सुन ली, तो उसने मुझसे कहा कि जैसा रजनी कह रही है मैं वैसा ही कहूंगी… फिर जब वह गुस्से में अपने दिल की बात बताएगी तभी मैं उसकी शिकायत दूर कर पाऊंगी… 

राशि:   रजनी, ऐसी बात नहीं है कि मैं आपसे घुलना मिलना नहीं चाहती… पर जरा याद करना के जब भी मैंने आपकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया आपकी प्रतिक्रिया कैसी थी..? आप यहां आकर मम्मी जी से घंटो बातें करती थी, पर कभी मेरी खैरियत तक नहीं पूछी… उल्टा मेरे पूछने पर बड़े बेमन से जवाब देती, तो फिर मैं ही पीछे हट जाती… मम्मी जी, सही रहती है शिकायत वही होती है जहां उम्मीद होती है… पर शिकायतों का पुलिंदा उस उम्मीद को ही खत्म कर देता है… 

रीना जी:   हां बेटा… तू भी अपनी सासू मां की शिकायत इसलिए ही करती है ना क्योंकि वह तेरी घर के कामों में मदद नहीं करती..? तुझे जिसकी उम्मीद होती है… 

राशि की और अपनी मां की बात सुनकर रजनी को अपनी गलती का एहसास हो जाता है और वह उस दिन के बाद से राशि और रजनी ननद भाभी कम दोस्त ज्यादा बन जाते हैं… 

दोस्तों.. कभी आपने सोचा है..? हम किसी की या कोई हमारी शिकायत क्यों और कब करता है..? जब सामने वाले को हमसे या हमें सामने वाले से कोई उम्मीद होती है… और वह पूरा नहीं होता.., तब हम इसकी शिकायत उसे या किसी और से करते हैं, तो सामने वाला भी उसे शिकायत को नजर में रख या तो खुद को बदल लेता है या वैसा ही रह जाता है… पर यही शिकायत बहुत सारे अगर हो जाए तो सामने वाला उसे और सुनने में दिलचस्पी नहीं लेता और उसे नजर अंदाज कर, सामने वाले की कोई उम्मीद को तवज्जो नहीं देता… कहने का मतलब यह है, शिकायत तब तक ही ठीक है, जब तक वह शिकायतों का पुलिंदा ना बन जाए..

धन्यवाद 

#शिकायत 

स्वरचित/मौलिक/अप्रकाशित

रोनिता कुंडू

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